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तीन वर्षो में 214 बाल श्रमिक मुक्त

हाजीपुर : बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए श्रम विभाग का प्रयास जारी है. जिले में बाल श्रमिकों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ श्रम विभाग की कार्रवाई से अधिकांश नियोजकों में भय पैदा हो गया है. दर्जनों नियोजकों से जुर्माने की वसूली की गयी, जिसकी वजह से बाल श्रमिकों की संख्या में […]

हाजीपुर : बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए श्रम विभाग का प्रयास जारी है. जिले में बाल श्रमिकों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ श्रम विभाग की कार्रवाई से अधिकांश नियोजकों में भय पैदा हो गया है. दर्जनों नियोजकों से जुर्माने की वसूली की गयी, जिसकी वजह से बाल श्रमिकों की संख्या में कमी आयी है.
वहीं, नियोजकों ने 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्ति को काम पर रखना भी शुरू कर दिया है. जिले के विभिन्न प्रखंडों से विगत दो वर्षो में काफी संख्या में नियोजकों को दंडित किया गया है. 20 लाख से अधिक जुर्माना वसूला गया. 15 दर्जन से अधिक बच्चों को मुक्त कराया गया है.
क्या है जुर्माने का प्रावधान : बाल मजदूरी कराते हुए पकड़े गये नियोजक को कई तरह से दंडित किया जाता है. बाल श्रमिक प्रतिषेध अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई करते हुए सीजेएम के यहां अभियोजन दायर किया जाता है. आर्थिक दंड 10 से 20 हजार रुपये तक और एक से तीन माह की कारावास की सजा होती है. एमसी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नियोजकों से 20 हजार रुपये जुर्माना वसूली कर बाल श्रमिक पुनर्वास सह कल्याण कोष में राशि जमा की जाती है.
नियोजकों द्वारा राशि जमा नहीं करने पर बिहार एवं ओड़िशा पब्लिक रिमांड रिकवरी एक्ट के तहत नीलाम पत्र दायर किया जाता है. बाल श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान करने पर अंतर राशि के लिए दावा पत्र एवं अधिनियम की धारा 12-एक के तहत सीजेएम के यहां अभियोजन दायर किया जाता है.
क्या है कार्रवाई की प्रक्रिया : छापेमारी करने के लिए श्रम विभाग द्वारा धावा दल का गठन किया जाता है, जिसमें श्रम विभाग के अधिकारी, स्थानीय थाने की पुलिस, गैर सरकारी संगठन के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल किये जाते हैं. धावा दल द्वारा मुक्त कराये गये अज्ञात बाल श्रमिक को मुजफ्फरपुर एवं छपरा स्थित शेल्टर होम में रखा जाता है. वहीं, जिन बाल मजदूरों का पता-ठिकाना मालूम होता है, उसे उसके घर पर सुरक्षित भेज दिया जाता है.
कहां-कहां हुई कार्रवाई : वैशाली जिले के हाजीपुर नगर व सदर, सराय, भगवानपुर, गोरौल, पढेढ़ी बेलसर, वैशाली, लालगंज, राजापाकर, महुआ, पातेपुर, जंदाहा, चेहराकलां, देसरी, सहदेई, महनार, बिदुपुर व राघोपुर में श्रम विभाग का धावा दल छापेमारी कर चुका है.
कितने बच्चे हुए मुक्त : वर्ष 2013-14 में 71 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया. 2014-15 में 113 बच्चे को मुक्त कराया गया. वहीं, 2015-16 में अभी तक 30 बाल श्रमिकों को आजाद कराया जा चुका है.
कहां-कहां के नियोजक पर हुई कार्रवाई : हाजीपुर सदर के मदारपुर, वैशाली एवं चेहराकलां के एक-एक होटल संचालक पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. वहीं, हाजीपुर नगर, भगवानपुर, महुआ, महनार, सहदेई, राजापाकर, बेलसर, गोरौल सहित अन्य थाना क्षेत्र में स्थित होटल, चिमनी, ढाबा, फैक्टरी और बड़े मकान के कई मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी.
जिले में कम रहे बाल श्रमिक
पिछले दो-तीन वर्षो में बाल श्रम पर काफी हद तक काबू पाया गया है. सप्ताह में दो-तीन दिन योजना बना कर धावा दल हर इलाके में छापेमारी कर बाल श्रमिक को मुक्त कराता है. हर वर्ष अपेक्षा के अनुरूप बाल श्रमिकों की संख्या कम रही है.
अरुण कुमार श्रीवास्तव, श्रम अधीक्षक, वैशाली

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