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पुरस्कार मिला, पर निर्मल नहीं हुईं ग्राम पंचायतें
जिले की 290 ग्राम पंचायतों में 55 ग्राम पंचायत पूर्व से है निर्मल ग्राम घोषित हाजीपुर : जिले की 290 ग्राम पंचायतों में 55 ग्राम पंचायतों को जिला प्रशासन द्वारा पूर्व से निर्मल घोषित किया जा चुका है. शेष पंचायतों के लिए कार्ययोजना तो बन कर तैयार है, लेकिन इस दिशा में कार्रवाई अब तक […]
जिले की 290 ग्राम पंचायतों में 55 ग्राम पंचायत पूर्व से है निर्मल ग्राम घोषित
हाजीपुर : जिले की 290 ग्राम पंचायतों में 55 ग्राम पंचायतों को जिला प्रशासन द्वारा पूर्व से निर्मल घोषित किया जा चुका है. शेष पंचायतों के लिए कार्ययोजना तो बन कर तैयार है, लेकिन इस दिशा में कार्रवाई अब तक शून्य है. हालांकि निर्मल हो चुकी पंचायतें भी कितनी निर्मल हुई हैं, इस पर कई सवाल पहले से ही खड़े हैं.
इनमें शायद ही कोई पंचायत निर्मल ग्राम पंचायत की कसौटी पर खड़ा उतरती है. बहरहाल प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों का जो रवैया है, उससे नहीं लगता कि वर्ष 2019 तक वैशाली जिले को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त कराने का लक्ष्य पूरा हो सकेगा.
बातें हुईं, पर काम नहीं दिख रहा : तीन माह बीत गये, जब जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक में कार्ययोजना को गंभीरता से अमल में लाने की बात कही गयी थी. बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी विनोद सिंह गुंजियाल ने कहा था कि जिले की सभी ग्राम पंचायतों को पंच वर्षीय योजना के तहत निर्मल बनाना है. उन्होंने बताया कि इसके लिए कार्ययोजना बनायी गयी है, जिस पर सख्ती से अमल करना है. बैठक में खुले में शौच की प्रथा को सामाजिक अभिशाप बताते हुए जिले को इससे पूर्णत: मुक्त कराने का संकल्प व्यक्त किया गया था.
पांच वर्षो में पूरा करने का था लक्ष्य : बताया गया था कि जिले की जो पंचायतें निर्मल हो चुकी हैं उनके अलावा शेष बची 235 पंचायतों के लिए बनायी गयी वर्षवार कार्ययोजना के तहत 2015-16 में 50 ग्राम पंचायतों को, वर्ष 2016-17 में 50, वर्ष 2017-18 में 50 तथा 2019-2020 में शेष ग्राम पंचायतों को निर्मल बनाने के लिए चिह्न्ति किया जायेगा. योजना के तहत पहले वर्ष 2015-16 के लिए जिले की गंगा तटीय ग्राम पंचायतों को प्राथमिकता दी गयी है, ताकि उन पंचायतों को बहुप्रचलित गंगा स्वच्छता अभियान के साथ जोड़ा जा सके.
इस तरह से वर्ष 2019 तकपूरे जिले के सभी घरों को शौचालय युक्त बना कर खुले में शौच की विवशता को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.
लक्ष्य प्राप्ति को लेकर गंभीर नहीं : ग्राम पंचायतों को निर्मल बनाने के लिए गठित जिला जल एवं स्वच्छता समिति भी इस दिशा में अब तक ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकी है, जिससे लगे कि धरातल पर काम शुरू हो गया है. शौचालय निर्माण के मामले में तसवीर पूरी तरह निराशाजनक है.
समिति के सचिव पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता हैं. उपविकास आयुक्त, ग्रामीण विकास अभिकरण के निदेशक, सिविल सजर्न, जिला कल्याण पदाधिकारी, जिला पंचायती राज पदाधिकारी, जिला सूचना एवं जन संपर्क पदाधिकारी, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी, आइसीडीएस तथा जिला शिक्षा पदाधिकारी बतौर सदस्य समिति में शामिल हैं.
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