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आजादी की लड़ाई में महिलाओं के योगदान को नहीं भुलाया जा सकता

हाजीपुर : आजादी की लड़ाई में बिहार की महिलाओं के योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसी अनेक वीरांगनाएं, जिन्होंने अपनी घर-गृहस्थी को छोड़ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी थीं. समाज उनकी भूमिका को हमेशा याद रखेगा. आज की युवा पीढ़ी खास कर छात्रओं को महिला सेनानियों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए. स्वतंत्रता आंदोलन […]

हाजीपुर : आजादी की लड़ाई में बिहार की महिलाओं के योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता. ऐसी अनेक वीरांगनाएं, जिन्होंने अपनी घर-गृहस्थी को छोड़ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी थीं. समाज उनकी भूमिका को हमेशा याद रखेगा. आज की युवा पीढ़ी खास कर छात्रओं को महिला सेनानियों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए.
स्वतंत्रता आंदोलन में बिहारी महिलाओं का योगदान विषय पर बोलते वक्ताओं ने ये बातें कहीं. नगर के वैशाली महिला कॉलेज में उक्त उक्त विषय पर सिम्पोजियम का आयोजन हुआ. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नारायण दास तथा इतिहास की विभागाध्यक्ष डॉ रेखा झा के संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने वैशाली और सारण जिले की महिला नेत्रियों की संघर्ष यात्र पर विस्तार से प्रकाश डाला.
सिम्पोजियम के मुख्य वक्ता डॉ नवल किशोर प्रसाद सिंह ने कहा कि महिलाओं की सशक्त भागीदारी के दम पर ही स्वतंत्रता की लड़ाई सफल हो सकी. प्राचीन काल से लेकर 1942 के आंदोलन तक महिलाओं की भूमिका की चर्चा करते हुए प्रभावती नारायण तथा तारा रानी श्रीवास्तव के योगदान पर प्रकाश डाला.
जमुनी लाल महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रेणु कुमारी ने किशोरी प्रसन्न सिंह की पत्नी सुनीति देवी एवं बैकुंठ शुक्ल की पत्नी राधिका देवी की भूमिका पर चर्चा की. आरएन कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर अनुराधा जायसवाल ने जोहरा, जानकी देवी, जयप्रभा देवी के संघर्षो की याद दिलायी.
इस मौके पर कॉलेज की छात्र खुशबू कुमारी, आंचल वर्मा, दीपशिखा, रूही खातून, अंजुम परवीन आदि ने अपने विचार रखे.

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