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नामांकन व चुनाव प्रक्रिया स्थगित

नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया अब अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गयी है. गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संदर्भ में सभी जिलों के जिला पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी (नगरपालिका) के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग किया. सुपौल : नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन की […]

नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया अब अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गयी है. गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संदर्भ में सभी जिलों के जिला पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी (नगरपालिका) के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग किया.

सुपौल : नगर निकाय चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया अपरिहार्य कारणों से अब अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दी गयी है. साथ ही अन्य निर्धारित तिथियों को भी निरस्त करते हुए आयोग ने नये सिरे से तिथि की घोषणा का आदेश दिया है. गुरुवार को राज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संदर्भ में सभी जिलों के जिला पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी (नगरपालिका) के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग किया. साथ ही कई आवश्यक निर्देश भी दिये. चुनाव आयुक्त ने तैयारियों की भी गहन समीक्षा की. इस दौरान उप निर्वाचन पदाधिकारी भी मौजूद थे.

वीडियो कांफ्रेंसिंग अपने निर्धारित समय दिन के 11 बजे से 01 बजे तक किया गया. जिसमें जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव, डीडीसी अखिलेश कुमार झा, डीपीआरओ विश्वजीत हेनरी सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए. निर्वाचन आयुक्त ने चुनाव संबंधी बारीकियों की भी जानकारी दी. साथ ही चुनाव पूर्व सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं.

प्रत्याशियों को मिली राहत, अधिकारियों की बढ़ी मुश्किलें : नगर निकाय चुनाव की तिथि विस्तार के बाद प्रत्याशियों ने राहत की सांस ली है. वही नगर निकाय के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. दरअसल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शुक्रवार से सुपौल नगर परिषद सहित वीरपुर व निर्मली नगर पंचायत में नामांकन की प्रक्रिया आरंभ होनी थी. शुक्रवार से प्रक्रिया आरंभ होते ही आदर्श आचार संहित भी लागू हो जाती. जिसके बाद नये कार्य आरंभ करने पर रोक लग जाती. वही नये आवेदकों को किसी प्रकार का योजना लाभ भी नहीं मिल पाता. लेकिन तिथि विस्तार होने से यह अवधि अब बढ़ गयी है. जाहिर है,

अपनी उम्मीदवारी तलाश कर रहे अभ्यर्थियों के लिए चुनाव प्रचार का समय तो बढ़ा है ही, अपने पक्ष में लोगों को करने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने का मौका भी मिल गया है.

नगर परिषद के एक अधिकारी ने दबी जुबान कबुला कि तिथि विस्तार होने से अब विभिन्न योजना लाभ के लिए उनके पास फाइलें मोटी हो सकती हैं. जबकि आचार संहिता लागू हो जाती तो ऐसा नहीं होता. जाहिर है, फाइलें मोटी हुई तो उन दस्तावेजों की जांच और उचित कार्रवाई का दबाव भी संबंधित नगर निकाय के कार्यपालक पदाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों पर होगा.

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