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अवैध रूप से हो चल रहा शराब का धंधा. कारोबारियों की कट रही चांदी

सिमराही. लाख कोशिश एवं कड़े कानून के लागू होने के बाद भी प्रखंड क्षेत्र में शराब की आवाजाही व उसका सेवन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि प्रखंड के विभिन्न गांव में अभी भी शराबी पति, भाई एवं बेटे शराब पीकर अपने परिवार एवं परिजनों से मारपीट दंगा फसाद करते […]

सिमराही. लाख कोशिश एवं कड़े कानून के लागू होने के बाद भी प्रखंड क्षेत्र में शराब की आवाजाही व उसका सेवन रुकने का नाम नहीं ले रहा है. आलम यह है कि प्रखंड के विभिन्न गांव में अभी भी शराबी पति, भाई एवं बेटे शराब पीकर अपने परिवार एवं परिजनों से मारपीट दंगा फसाद करते रहते है. जिससे परिवार के लोग जहां अपने ही परिवार के सदस्य तंग आ चुके हैं. वहीं शराबी अपने परिजनों के खून पसीनों की कमाई को शराब में बहा रहा है. हालांकि उत्पाद विभाग एवं पुलिस प्रशासन अपनी ओर से शराब के अवैध धंधे में लगे लोगों को नकेल कसने में पूरी ताकत लगा रखी है. बाबजूद राधोपुर प्रखंड क्षेत्र में शराब पर लगाम लगने का नाम नहीं ले रहा है.

शराबियों के घर होम डिलिवरी
उत्पाद विभाग एवं पुलिस प्रशासन को चकमा देने के लिये इस अवैध धंधे में लगे लोग फूंक फूंक का अपना कदम रख रहे है. शराब कारोबारी ऐसे लोगों को शराव दे रहे है जिनको वे पहचानता है और यह भी जानता है कि ये शराब के आदि हो चुके है. दूसरा तरीका यह अपनाया जा रहा है कि कारोबारियों द्वारा अपने क्षेत्र के शराबियों के घर तक शराव पहुंचाया जा रहा है. ये अलग बात है कि शराब पहुंचाने के एवज में कीमत से दुगूने से अधिक राशि मिलती है. महिला एवं स्कूली बच्चे के सहारे हो रहा कारोबार सूत्रों की माने तो शराब के धंधे में महिला एवं कम उम्र के स्कूली बच्चों से कारोबारी द्वारा धंधा करवाया जा रहा है. स्कूली बच्चे एवं महिलाओं पर पुलिस एवं उत्पाद विभाग उतना ध्यान नहीं दे रहे है जिससे इन कारोबार में लगे लोग चांदी काट रहे है. सूत्र बताते है कि गरीब तबके के बच्चों एवं महिलाओं को इस धंधा से जोड़ने के लिये अच्छी रकम की लालच देकर इस गोरख धंधे को अंजाम दे रहे है. जिससे ना केवल कानून की धज्जियां उड़ रही है बल्कि कम उम्र के बच्चे की जिंदगी भी खराब हो रही है.

सीमावर्ती देश नेपाल से होती है तस्करी
बिहार में पूर्ण शराव बंदी के बाद सरकार द्वारा कड़े कानून बनाकर शराव सेवन, खरीद फरोख्त आदि कार्य करने वाले व्यक्ति के उपर दस साल की सजा देने का प्रावधान किया गया, इतना ही नहीं इधर सरकार शराबियों एवं इस गोरखधंदे में लगे कारोबारिओं पर शिकंजा कसने एवं आरोपियों को सजा दिलाने के लिये के लिए राज्य के 38 जिलों में विशेष अदालत खोलने की तैयारी में है. बावजूद प्रत्येक दिन के दैनिक समाचार पत्र हो या टीवी चैनल कहीं न कहीं शराब के साथ लोगों की गिरफ्तारी आम बात हो गयी है. लोग अपने आदत से बाज नहीं आ रहा. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि शराव की लत में शराव बंद होने के बाद बहुत हद तक कमी जरूर आई है.

इस सन्दर्भ में लोगों का कहना है कि सरकार के इस फैसले को आम लोगों ने संघर्ष स्वीकार किया और सरकार को इसके लिये बधाई भी दिया. लेकिन कुछ बिगड़ैल बेटे, भाई या फिर असामाजिक तत्व इस कानून को तोड़ने में लगे है. लेकिन सरकार की शराव नीति एवं बनाये गए कानून की सही से पालन होने पर वो दिन दूर नहीं जव हम गर्व से कहेंगे कि हम नशा मुक्त प्रदेश बिहार की वासिन्दा बिहारी है.

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