छातापुर : बीते एक पखवारे से हो रही बारिश से ग्रामीण सड़कों में बरती गई अनियमितता की पोल खुल गई है. ग्रामीण कार्य विभाग की निगरानी मे बनाये गये सड़कों में इन दिनों लग रहे रैनकट ने सड़क के अस्तित्व को खतरे मे डाल दिया है. जहां संबंधित कार्य एजेंसी द्वारा मेंटनेंस के नाम पर […]
छातापुर : बीते एक पखवारे से हो रही बारिश से ग्रामीण सड़कों में बरती गई अनियमितता की पोल खुल गई है. ग्रामीण कार्य विभाग की निगरानी मे बनाये गये सड़कों में इन दिनों लग रहे रैनकट ने सड़क के अस्तित्व को खतरे मे डाल दिया है. जहां संबंधित कार्य एजेंसी द्वारा मेंटनेंस के नाम पर रैनकट की मरहम पट्टी कर खामियों को छुपाने की भरपुर कोशिश की जा रही है.
लोगों की मानें तो कुशहा त्रासदी के बाद विश्व बैंक के सहयोग से हाल के वर्षों मे प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना एवं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अलावे कोशी फ्लड रिकवरी प्रोजेक्ट के तहत दर्जन भर से अधिक पक्की सड़कों का निर्माण कराया गया.जहां विभागीय स्तर से निगरानी का घोर अभाव रहा. नतीजतन संवेदकों ने अपने मनमर्जी के मुताबिक निर्माण कार्य को अंजाम दिया. आनन फानन मे कराये गये सड़क निर्माण कार्य की स्थिति यह रही कि कार्य के सभी स्तरों पर गुणवत्ता से खिलवाड़ हुआ. सबसे बड़ी लापरवाही सड़क पर मिट्टी देने मे हुई.
प्राक्कलन के अनुरूप सड़क को उंचा करने के बजाय पूर्व से निर्मित सड़क के स्तर पर ही बिना मिट्टी डाले घटिया जीएसबी बिछा कर कालीकरण कर दिया गया. हालांकि निर्माण कार्य के दौरान स्थानीय लोगों ने घटिया कार्य का विरोध भी किया, कई बार काम रोका भी गया. लेकिन विभागीय सांठ गांठ से कार्य निष्पादित कराने में जुटे संवेदक व उनके कर्मियों ने ताकत का प्रदर्शन कर कार्य को पूर्ण करवा लिया. ग्रामीणो की मानें तो गुणवत्ता विहीन कार्य की शिकायत विभागीय कनीय अभियंता से लेकर कार्यपालक अभियंता तक को शिकायत की गई. लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही साबित हुआ. नतीजतन प्राक्कलन के विरूद्ध बने कई ग्रामीण सड़कों पर पानी चढ गया है.
फ्लेंक में मिट्टी के अभाव के कारण अनेकों जगह रैनकट लग रहा है. पुल पुलिया झुका हुआ हैं. सड़को की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि इस बरसात के बाद से ही सड़क का बजूद मिट सकता है.