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15 फीट पर सिमट गयी सड़क

अनदेखी. 100 फीट की सड़क पर अतिक्रमणकारियों का है कब्जा विभिन्न चौक-चौराहों पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों का अघोषित रूप से कब्जा कायम हो गया है. सबसे विकट स्थिति स्टेशन चौक के समीप बनी हुई है. शहर का हृदय स्थली रहने के कारण इस चौक की महत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है. 100 फीट चौड़ी इस […]

अनदेखी. 100 फीट की सड़क पर अतिक्रमणकारियों का है कब्जा

विभिन्न चौक-चौराहों पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों का अघोषित रूप से कब्जा कायम हो गया है. सबसे विकट स्थिति स्टेशन चौक के समीप बनी हुई है. शहर का हृदय स्थली रहने के कारण इस चौक की महत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है. 100 फीट चौड़ी इस सड़क पर इन दिनों करीब 85 फीट भाग में अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमा रखा है. लिहाजा 15 फीट शेष बची सड़क पर वाहनों का परिचालन तो दूर लोगों के पांव पैदल चलने के लिए भी पर्याप्त नहीं है.
सुपौल : प्रशासनिक उदासीनता के कारण शहर के विभिन्न चौक-चौराहों पर इन दिनों अतिक्रमणकारियों का अघोषित रूप से कब्जा कायम हो गया है. अतिक्रमण के कारण सबसे विकट स्थिति स्टेशन चौक के समीप बनी हुई है. शहर का हृदय स्थली रहने के कारण इस चौक की महत्ता काफी अधिक बढ़ जाती है.
लेकिन अतिक्रमण की वजह से चौक स्थित मुख्य सड़क दिन प्रतिदिन सुकुड़ती जा रही है. 100 फीट चौड़ी इस सड़क पर इन दिनों करीब 85 फीट भाग में अतिक्रमणकारियों ने अपना कब्जा जमा रखा है. लिहाजा 15 फीट शेष बची सड़क पर वाहनों का परिचालन तो दूर लोगों के पांव पैदल चलने के लिए भी पर्याप्त नहीं है.
ऐसा नहीं है कि उक्त स्थल पर सड़क की स्थिति ठीक नहीं है. वाहनों के निर्वाध गति से परिचालन एवं आम लोगों को पैदल चलने के लिए चकाचक सड़क के दोनों किनारे नगर परिषद द्वारा पक्की फूटपाथ का निर्माण करोड़ों रुपये की लागत से करवाया गया. लेकिन विडंबना यह है कि करोड़ों की लागत से बने इस फूटपाथ पर पूर्ण रूप से अतिक्रमणकारी सब्जी एवं फल विक्रेताओं का कब्जा बना हुआ है. नगर परिषद की चुप्पी अतिक्रमणकारियों के हौंसले को बुलंद करती है. यही वजह है कि प्रशासन द्वारा हटाये जाने के महज कुछ दिनों के बाद ही पुन: उक्त स्थल पर इन अतिक्रमणकारियों का कब्जा बरकारार हो जाता है.
शहरवासी भी हैं परेशान : स्टेशन चौक पर अतिक्रमण अब नासूर बन चुका है. इस अतिक्रमण के कारण शहरवासियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. खरीददारी के लिए बाजार पहुंचने पर लोगों को आवागमन की सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है. स्टेशन चौक स्थित शिव मंदिर के चारों ओर अतिक्रमणकारी बीच सड़क पर ही अपनी दुकान लगाते हैं.
जिस कारण मंदिर को पार कर उत्तर या पश्चिम दिशा में जाना किसी चुनौती से कम नहीं है. अतिक्रमण कर बीच सड़क पर दुकान लगाने वाले एवं आम लोगों के बीच आये दिन किचकिच व नोंकझोंक की घटना आम हो गयी है.
दरअसल आने-जाने के क्रम में यदि किसी बाइक व साइकिल का टायर इन विक्रेताओं के सामान को छू भी ले तो फिर उक्त चालक की खैर नहीं. सभी विक्रेता एक साथ मिल कर उक्त चालक पर टूट पड़ते हैं. बात इतने पर ही खत्म नहीं होता. कई मामलों में तो थाना पुलिस को बुलाने तक की नौबत आ जाती है.
नप की चुप्पी का क्या है मतलब : अतिक्रमणकारियों से पीड़ित अब स्थायी दुकानदार मुखर होने लगे हैं.व्यवसायियों द्वारा अब स्पष्ट शब्दों में पूछा जा रहा है कि अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने में आखिर नगर परिषद ने चुप्पी क्यों साध रखी है! जानकार बताते हैं कि शहरवासियों को अतिक्रमण से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से पूर्व में जिला प्रशासन एवं नगर परिषद द्वारा अभियान चला कर अतिक्रमण हटाया गया था.
इसके बाद विस्थापित हुए सब्जी विक्रेताओं को पुनर्वासित करने के उद्देश्य से दक्षिणी हटखोला रोड में ही सुलभ शौचालय के सामने से लेकर पटेल चौक तक के स्थान को चिन्हित किया गया था. उक्त स्थान पर फुटपाथ विक्रेताओं को नगर परिषद ने लाखों रुपये खर्च कर छतदार चबुतरे का निर्माण करवा कर सौंप दिया. कुछ दिन तक स्थिति ठीक-ठाक रहने के बाद सब्जी विक्रेताओं ने पुनर्वासित स्थल को किराये पर लगा दिया और खुद सड़क पर आ कर बैठ गये.
शुरूआती दौर में दो-तीन टोकरी में सब्जी रख कर बेचने वाले सब्जी विक्रेता आज दर्जनभर टोकरी लगा कर फुटपाथ से लेकर सड़क तक स्थायी रूप से बस गये हैं. लेकिन नगर परिषद द्वारा इनके विरुद्ध किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण स्थायी दुकानदारों में रोष व्याप्त है.
दक्षिणी हटखोला रोड की स्थिति है भयावह
स्टेशन चौक पर जारी अतिक्रमण के बीच सबसे विकट स्थिति दक्षिणी हटखोला रोड की बनी रहती है. इस पथ में सड़क के पश्चिमी हिस्से में जहां फुटपाथ का अतिक्रमण कर सब्जी बाजार सजाया जा रहा है. वहीं पूर्वी भाग में दर्जनों अंडा व नाश्ते के विक्रेताओं द्वारा बीच सड़क पर ठेला व रेहड़ी लगा कर दुकानदारी की जाती है. इस वजह से यह पथ लोगों के आवागमन के लिए दुरूह बन गया है. ज्ञात हो कि दक्षिणी हटखोला रोड जिला मुख्यालय को पड़ोसी जिला मधेपुरा और पूर्णिया से जोड़ती है.
जिला मुख्यालय में प्रतिदिन गुलाबबाग मंडी से सामान लेकर आने वाले दर्जनों ट्रक इसी मार्ग से जिला मुख्यालय में प्रवेश करती है.अतिक्रमण की वजह से सिकुड़ चुकी इस सड़क पर वाहन चिटियों की रफ्तार से रेंगती नजर आती है. वहीं बड़े वाहनों के आने पर हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. खरीददारी हेतु ग्राहक व उनके द्वारा बीच सड़क पर खड़ी किये गये बाइक व साइकिल की वजह से प्रतिदिन जाम लगना नियति बन चुकी है.
करोड़ों का कारोबार हो रहा प्रभावित
दक्षिणी हटखोला रोड में जिला स्तर के कई प्रतिष्ठित कारोबारियों का प्रतिष्ठान भी संचालित है. वहीं हाल के वर्षों में इस पथ में शहर के नामी-गिरामी होटल खुलने के बाद इस पथ की महत्ता अधिक बढ़ गयी है. इस स्थिति में रेल अथवा सड़क मार्ग से पहुंचने वाले बाहर के लोग इन होटलों में विश्राम के लिए पहुंचते हैं. लेकिन होटल के आगे अतिक्रमण के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. सबसे विकट स्थिति उस वक्त उत्पन्न होती है जब यहां पहुंचने वाले अतिथियों के साथ वाहन हो.वाहन लेकिन इस मार्ग से होटल तक पहुंचने में उन्हें जिस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है,
इससे शहर की गलत छवि अतिथियों के सामने पेश होती है.साथ ही इस पथ पर संचालित कई डिलक्स होटल सरकार को राजस्व का भुगतान भी करते हैं. लेकिन अतिक्रमण के कारण व्यवसाय प्रभावित होने के बाद कई होटल व रेस्ट हाउस बंद होने के कगार पर है. जिससे करोड़ों के कारोबार के साथ-साथ सरकारी कोष में लाखों के राजस्व के हानि की भी संभावना है.

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