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किसानों को नहीं मिला डीजल अनुदान का लाभ
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने को लेकर सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश फसलों के बुआई से पूर्व सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किये जाने को लेकर अनुदानित दर पर बीज-खाद, कीटनाशक दवा, कृषि संयंत्र सहित डीजल अनुदान दिये जाने की घोषणा की जाती है. इसके बावजूद […]
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने को लेकर सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश फसलों के बुआई से पूर्व सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किये जाने को लेकर अनुदानित दर पर बीज-खाद, कीटनाशक दवा, कृषि संयंत्र सहित डीजल अनुदान दिये जाने की घोषणा की जाती है. इसके बावजूद भी किसानों को डीजल अनुदान का लाभ नहीं मिल पाया है.
सुपौल : कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने को लेकर सरकार द्वारा कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है. साथ ही अधिकांश फसलों के बुआई से पूर्व सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहित किये जाने को लेकर अनुदानित दर पर बीज-खाद, कीटनाशक दवा, कृषि संयंत्र सहित डीजल अनुदान दिये जाने की घोषणा की जाती है. यहां तक कि किसान पारंपरिक खेती से ऊपर उठ कर खेतों से अच्छी पैदावार कर पाये. इसे लेकर जिला, अनुमंडल व प्रखंड स्तर पर कार्यालय भी संचालित है.
वहीं पंचायत स्तर पर किसान सलाहकारों को भी दायित्व दिया गया है कि सरकारी योजनाओंकी जानकारी किसानों को दे, लेकिन जिला स्तरीय कार्यालय की उदासीनता के कारण कई किसानों को अब तक खरीफ फसल के लिए दिये जाने वाले डीजल अनुदान का लाभ नहीं मिल पाया है, जबकि खरीफ मौसम में उगाये जाने वाले धान की बिचड़ा के बचाव को लेकर दो पटवन तथा मक्का व धान के पैदावार को लेकर तीन-तीन पटवन के लिए किसानों को डीजल अनुदान उपलब्ध कराया जाना था. उक्त अनुदान का लाभ नहीं मिलने से किसानों में भारी आक्रोश का माहौल देखा जा रहा है.
अनुदान वितरण के मामले में विभाग है उदासीन
मालूम हो कि खरीफ फसल के लिए विभाग द्वारा जिला कृषि कार्यालय को 21 जून 2015 को दो करोड़ 47 लाख पांच हजार 943 रुपये का आवंटन किया गया था. कृषि विभाग के मुताबिक उक्त राशि को उन्होंने आवेदन अनुरूप सभी प्रखंड कार्यालय को राशि भेज दिया, लेकिन किस प्रखंड में किसानों द्वारा कितना आवेदन दिया गया. विभाग को इस बात की जानकारी उपलब्ध नहीं है.
इस बाबत विभाग अधिकारी एक ही जानकारी दी जाती है कि सभी प्रखंड कार्यालय से जानकारी प्राप्त करे. अब सवाल है कि जब कृषक कार्य को लेकर एक अलग विभाग संचालित है. ऐसे कार्यालय में समुचित जानकारी उपलब्ध न हो तो किसान आखिरकार कहां अपनी गुहार लगाये. कुछ ऐसी ही स्थिति रबी फसल के लिए मिलने वाले अनुदान का भी है.
रबी फसल के लिए डीजल अनुदान मद में विभाग द्वारा जिला कार्यालय को एक करोड़ 62 लाख 69 हजार 313 रुपये का आवंटन बीते 19 दिसंबर 2015 को ही किया गया, जबकि उक्त फसल के लिए किसानों को तीन पटवन का डीजल अनुदान उपलब्ध कराया जाना है. लेकिन अधिकांश किसानों को एक बार भी इस अनुदान का लाभ नहीं मिल पाया है.
कहते हैं किसान
देवेंद्र मंडल ने बताया कि कृषि विभाग में लूट खसोट की स्थिति बनी हुई है. इस कारण किसानों को किसी भी योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है.
राजेंद्र मेहता ने बताया कि डीजल अनुदान के नाम पर कृषि विभाग किसानों के साथ क्रूर मजाक कर रही है. उन्होंने सात-आठ माह पूर्व ही अनुदान का लाभ पाने को लेकर आवेदन दिया था, लेकिन विभागीय निष्क्रियता के कारण उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है.
मो शमशेर ने कहा कि वे छोटे किसान है. कर्ज लेकर फसल उगाते है कि सरकारी योजनाओं का लाभ मिलने पर कुछ कर्ज को चुकता कर सके. साथ ही अच्छी पैदावार होने से स्वयं व उनके परिवार का गुजारा हो सके.
भागवत साह ने कहा कि स्थानीय कार्यालय के पदाधिकारी व कर्मी द्वारा शिथिलता बरती जा रही है. इस कारण एक भी डीजल अनुदान का लाभ उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है. विभाग द्वारा किसानों को लाभ उपलब्ध नहीं करवाना है. फिर किसानों से आवेदन क्यों लेते हैं.
सुधीर चौधरी ने कहा कि कृषक कार्य में एक तरफ किसानों को बीते कुछ वर्षों से प्राकृतिक मार झेलनी पड़ रही है. वहीं विभागीय शिथिलता के कारण किसानों की दशा व दिशा खराब होती जा रही है.
उमा शंकर मंडल ने बताया कि स्थानीय विभाग द्वारा कृषि कार्य की दिशा में किसी प्रकार का पहल नहीं किया जा रहा है, जबकि सरकार कृषि की बढ़ावा को लेकर किसानों के निमित्त कई योजनाएं चलाती है. लेकिन कार्यालय द्वारा कागजी खानापूर्ति की जा रही है. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
हितेश्वर कुमार ने कहा कि विभागीय शिथिलता का कोपभाजन किसानों को बनना पड़ रहा है. विभाग द्वारा समुचित तरीके से मिट्टी की जांच नहीं करायी जाती है. विभाग मिट्टी का जांच परीक्षण कर किसानों को संबंधित फसल उगाने की बात करें तो किसानों को फसलों की अच्छी पैदावार मिलेगी.
रवींद्र यादव ने कहा कि डीजल अनुदान को लेकर उन्होंने आवेदन दिया है. आवेदन जमा करने में पैसा व समय भी बरबाद हुआ, लेकिन डीजल अनुदान का लाभ नहीं मिल पाया है.
गौरतलब हो कि डीजल अनुदान राशि के वितरण को लेकर जिला कृषि कार्यालय व प्रखंड कार्यालय के बीच पेंच फंसा हुआ है. इस कारण किसान डीजल अनुदान का लाभ पाने से वंचित हो रहे हैं.
जिला कृषि कार्यालय की माने तो डीजल अनुदान पाने को लेकर किसानों द्वारा संबंधित पंचायत के किसान सलाहकारों के पास आवेदन जमा करना होता है. उक्त सभी आवेदन को संबंधित बीएओ जांच कर अपने-अपने प्रखंड विकास कार्यालय को भेजते हैं, जहां प्रखंड कार्यालय द्वारा किसानों के खाते में राशि भेजा जाना है. लेकिन कृषि विभाग संबंधित आवेदन को प्रखंड कार्यालय भेजने के उपरांत योजनाओं का लाभ किसानों को मिला या नहीं इसकी जानकारी नहीं ली जाती है. इस कारण किसानों को ससमय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
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