घर बैठे शिक्षिका लेती रहीं वेतन
अधिकारी कब किसके ऊपर मेहरबान हो जाय, कहना मुश्किल है. जहां एक शिक्षिका बीइओ एवं डीडीओ की मिलीभगत से नियुक्ति तिथि के बाद से बिना विद्यालय में योगदान किये ही करीब नौ महीने तक वेतन का लाभ लेती रही.
सुपौल : जिले के शिक्षा विभाग में नियमों की नहीं बल्कि अधिकारियों की मनमर्जी चलती है. ये अधिकारी कब किसके ऊपर मेहरबान हो जाय, कहना मुश्किल है. लेकिन यदि इनकी मेहरबानी किसी के ऊपर हो गयी तो कुछ भी हो सकता है. यहां तक कि कागज पर ही किसी को शिक्षक बना कर वेतन भुगतान किया जा सकता है.
इतना ही नहीं इन अधिकारियों की मेहरबानी से वगैर विद्यालय में योगदान किये घर बैठे वेतन आदि का लाभ भी मिल सकता है. ऐसा ही एक मामला सदर प्रखंड क्षेत्र में सामने आया है. जहां एक शिक्षिका बीइओ एवं डीडीओ की मिलीभगत से नियुक्ति तिथि के बाद से बिना विद्यालय में योगदान किये ही करीब नौ महीने तक वेतन का लाभ लेती रही. मामले का खुलासा तब हुआ जब तत्कालीन डीडीओ के सेवा निवृति के बाद नये डीडीओ ने योगदान किया.
उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई थी नियुक्ति : उच्च न्यायालय पटना द्वारा जारी आदेश के आलोक में शिक्षा विभाग द्वारा 34540 कोटि के नियमित वेतनमान वाले शेष बचे शिक्षकों को योगदान का एक मौका दिया था.
विभागीय आदेश के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित जिला नियुक्ति समिति की बैठक के बाद 04 शिक्षकों को जून 2015 में नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया. इस समिति में डीसीएलआर समेत एक अन्य सदस्य भी थे. नियुक्ति पत्र मिलने के बाद तीन शिक्षकों ने संबंधित विद्यालय में योगदान कर लिया.मध्य विद्यालय धोरे कटैया में पदस्थापित शिक्षिका सुलेखा झा ने अपने विद्यालय में योगदान नहीं किया.
योगदान किये वगैर लेती रही वेतन का लाभ : सदर प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नरेंद्र झा की मेहरबानी उक्त शिक्षिका पर इस कदर हुई कि बिना विद्यालय में योगदान किये ही उनका वेतन भुगतान प्रारंभ कर दिया गया. जून 2015 से जनवरी 2016 तक बीइओ की असीम कृपा से सुलेखा झा घर बैठे वेतन का लाभ लेती रही. इस दौरान नौ महीने के भीतर वेतन मद में लाखों रुपये की अवैध रूप से निकासी होती रही. बीइओ ने इसके लिए आसान सा तरीका निकाला. अपने कार्यालय से निर्गत अनुपस्थिति विवरणी में श्रीमती झा के नाम को भी बीइओ शामिल करते रहे.