वीरपुर : बिहार सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी द्वारा सदन में पेश किये गये बजट में सात निश्चयों पर विशेष बल दिया गया है. साथ ही राज्य के आर्थिक स्थिति को देखते हुए कई समस्याओं को भी शामिल किया गया है. ताकि बजट से राज्य का समुचित विकास करायी जा सके. प्रस्तुत बजट को जहां अधिकांश अनुमंडल वासियों ने बेहतर बताया है. वहीं कुछ लोगों ने 2016- 17 के बजट को जनता के साथ धोखा किये जाने की बात कही. बजट के बाबत स्थानीय अधिवक्ताओं ने अपना – अपना विचार व्यक्त किया है.
अधिवक्ता जीवानंद मिश्र ने बताया कि सरकार का बजट गरीब व किसान विरोधी है. बीते दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किसानों को धान की खरीदारी पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अलावा तीन सौ रुपये बोनस दिये जाने की बात कही गयी थी. लेकिन किसानों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है. कहा कि बोनस को भी बजट से जोड़ कर जनताओं के बीच रखना चाहिए.
अधिवक्ता देव चंद्र मेहता ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि सरकार द्वारा समाज के निचले तबके के लोगों को ध्याम में रख कर पेश किया गया है. बताया कि पेश बजट राज्य के विकास पर रौशनी बिखेरने का काम करेगी.
अधिवक्ता मोहन कुमार ममता ने सरकार के बजट को जन विरोधी बताते हुए कहा कि इस बजट से भोजन, दवा और वस्त्रों की कीमत में काफी वृद्धि होगी. जो मध्यमवर्गीय पर अतिरिक्त बोझ के समान है. सरकार को मध्यम वर्ग के लोगों को ध्यान में रख कर बजट प्रस्तुत करना चाहिए था.
अधिवक्ता अशोक खेड़वार ने कहा कि बजट सराहनीय है. लेकिन कोसी पीड़ित व किसानों को विशेष पैकेज नही दिया गया है. सरकार को इस दिशा में भी पहल करना चाहिए. जो बजट में नहीं दिखा.
अधिवक्ता वेद प्रकाश पांडेय ने बजट को किसान विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां धान की पैदावार कम हुई है. वहीं पैक्स द्वारा धान में अधिक नमी रहने की बात कह धान का क्रय नहीं किया जा रहा है. साथ ही धान के समर्थन मूल्य के साथ बोनस भी नहीं दिया जा रहा है.
अधिवक्ता मिथिलेश कुमार कुशवाहा ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि बजट में समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखा गया है. साथ ही शिक्षा, सड़क व विधि व्यवस्था कायम किये जाने पर विशेष तरजीह दिया गया है. स्वास्थ्य व किसान के हित में पेश किये गये बजट काबिले तारीफ है.