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हद है. निर्धारित केंद्र पर योगदान नहीं कर मनमाफिक परीक्षा केंद्रों पर ड्यूटी

वीक्षकों ने निर्देश की उड़ायी धज्जियां सरकार व प्रशासन ने इस बार कदाचारमुक्त परीक्षा कराने को लेकर तमाम निर्देश दिये हैं, ताकि परीक्षा की सूचित बरकरार रहे. पर, इंटर परीक्षा के पहले दिन ही कई केंद्राधीक्षक व वीक्षकों ने इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया. बहुत से वीक्षकों ने अपने निर्धारित स्थान पर ड्यूटी करने […]

वीक्षकों ने निर्देश की उड़ायी धज्जियां

सरकार व प्रशासन ने इस बार कदाचारमुक्त परीक्षा कराने को लेकर तमाम निर्देश दिये हैं, ताकि परीक्षा की सूचित बरकरार रहे. पर, इंटर परीक्षा के पहले दिन ही कई केंद्राधीक्षक व वीक्षकों ने इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया. बहुत से वीक्षकों ने अपने निर्धारित स्थान पर ड्यूटी करने के बजाय मनमाफिक केंद्रों पर ड्यूटी बजायी, जिससे परीक्षा के कदाचारमुक्त कराने पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है.
सुपौल : इंटरमीडिएट परीक्षा में कदाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार एवं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा कई प्रकार के निर्देश जारी किये गये हैं. यह दीगर बात है कि सरकार व समिति द्वारा जारी निर्देशों का शत-प्रतिशत अनुपालन स्थानीय अधिकारी व कर्मियों द्वारा नहीं किया जा रहा है.
सरकार के आदेश को ठेंगा दिखाने वाला ऐसा ही एक मामला बुधवार को सामने आया. कई परीक्षा केंद्रों पर ऐसे वीक्षक ड्यूटी करते नजर आये, जिनकी प्रतिनियुक्ति बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा कहीं और की गयी है. इस वजह से कदाचार मुक्त परीक्षा आयोजित कराने के प्रशासनिक प्रतिबद्धतता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है.
केंद्राधीक्षकों की मनमनानी
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा जारी निर्देश के अनुसार केंद्राधीक्षकों को बोर्ड द्वारा प्रतिनियुक्त एवं आवंटित वीक्षकों से ही परीक्षा में कार्य लिया जाना है. पर, जिले के करीब 08 से 10 केंद्राधीक्षकों द्वारा इस निर्देश का उल्लंघन किया गया है. एक ओर जहां असंबद्ध कॉलेज के व्याख्याता एवं कर्मियों को परीक्षा कार्य से अलग रखा गया है, वहीं इन केंद्राधीक्षकों द्वारा बाहरी व्यक्तियों को परीक्षा कार्य में लगाया गया है. उदाहरण के तौर पर उच्च माध्यिमिक विद्यालय सुपौल में सुंदर कांत झा तथा बबि बालिका उच्च विद्यालय केंद्र पर विशेश्वर प्रसाद साह का नाम शामिल है.
महिला दंडाधिकारी की नियुक्ति पर प्रश्नचिह्न
जिले भर में कई महिला पदाधिकारी पदस्थापित हैं. इनमें डीसीएलआर, जिला मत्स्य पदाधिकारी, बीडीओ, सीडीपीओ समेत इनके समकक्ष कई पदाधिकारी हैं. बावजूद इसके आइसीडीएस की महिला पर्यवेक्षिका सुचित्रा कुमारी, अल्पना कुमारी एवं चंद्रिका कुमारी को दंडाधिकारी बनाया गया है, जो सरकारी सेवक नहीं हैं. इनकी बहाली संविदा के आधार पर एक वर्ष के लिए की जाती है.
कम अनुभव वालों को लगाया परीक्षा कार्य में अनुभवी दरकिनार
जारी निर्देश के अनुसार उच्च विद्यालय के शिक्षकों को ही परीक्षा ड्यूटी में लगाया जाना था. इन शिक्षकों की अनुपलब्धता की स्थिति में मध्य विद्यालय के योग्य एवं अनुभवी शिक्षकों को वीक्षक बनाया जाना था. पर, इस निर्देश का अनुपालन नहीं किया गया. उदाहरण के तौर पर तेजेंद्र उच्च विद्यालय बरूआरी में करीब दो दर्जन शिक्षक हैं. इसी प्रकार उच्च विद्यालय गौरवगढ़, उच्च विद्यालय किशनपुर सहित अन्य कई विद्यालयों के शिक्षकों को परीक्षा कार्य में नहीं लगाया गया. इतना ही नहीं मध्य विद्यालयों के स्नातक ग्रेड एवं वेतनमान तथा वरीय शिक्षकों को भी अलग रख कर नियोजित एवं कम अनुभव वाले शिक्षकों को परीक्षा कार्य में लगाया गया है.
बाहरी व्यक्ति को लगाया परीक्षा कार्य में
एक ओर जहां दर्जनों वीक्षकों ने सरकार के आदेश को ठेंगा दिखा कर अपने निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर योगदान नहीं किया, वहीं उच्च माध्यमिक विद्यालय सुपौल के केंद्राधीक्षक द्वारा बाहरी व्यक्ति को परीक्षा कार्य में लगाया गया है. सबसे अहम बात यह है कि केंद्राधीक्षक द्वारा इसी व्यक्ति को गश्ती दल दंडाधिकारी के साथ मिल कर संयुक्त हस्ताक्षर से कोषागार से प्रश्न पत्र लाने की जिम्मेवारी सौंपी गयी.
कोषागार पदाधिकारी किशोर कुमार ने बताया कि केंद्राधीक्षक द्वारा जारी पत्र के आधार पर गश्तीदल दंडाधिकारी एवं सहायक शिक्षक सुंदर कांत झा को प्रश्नपत्र रिसीव कराया गया है. गौर करने वाली बात यह है कि सुंदर कांत झा उक्त विद्यालय के शिक्षक ही नहीं हैं. आगे यही हाल रहा, तो कदाचार पर रोक लगाने में मुसीबत खड़ी हो जायेगी.

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