अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा फोटो -28कैप्सन- आंवला वृक्ष के नीचे भोजन ग्रहण करते लोगवीरपुर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी के रूप में मनाने की परंपरा है.शुक्रवार को अनुमंडल क्षेत्र में महिलाओं द्वारा इस त्योहार के मौके पर आंवला के वृक्ष के नीचे विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना की गयी.पद्म पुराण के अनुसार इस दिन द्वापर युग का आरंभ हुआ था.इस दिन विशेष कर आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है.इस लिए इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है. ऐसा माना गया है कि आंवले के वृक्ष पर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का वास होता है.भारत- नेपाल सीमा पर अवस्थित वीरपुर अनुमंडल क्षेत्र में इस पर्व को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. अक्षय नवमी का महत्व अक्षय नवमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए पंडित देबू झा ने बताया कि इस दिन गुप्त दान की परंपरा है.गुप्त दान को कुष्मांड दान भी कहा जाता है. पूजा के बाद आंवला के फल या पत्ते को भी प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. उन्होंने बताया कि अक्षय नवमी के मौके पर आंवला के पेड़ के नीचे भोजन बना कर ग्रहण करना काफी फलदायी होता है.बताया कि आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष के पूजन का बड़ा महत्व है. पूरे विधि विधान के साथ पूजन तथा अन्न दान से सुख-समृद्धि के साथ-साथ पुत्र रत्न की भी प्राप्ति होती है.
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अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा
अक्षय नवमी पर आंवला के वृक्ष की हुई पूजा फोटो -28कैप्सन- आंवला वृक्ष के नीचे भोजन ग्रहण करते लोगवीरपुर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी के रूप में मनाने की परंपरा है.शुक्रवार को अनुमंडल क्षेत्र में महिलाओं द्वारा इस त्योहार के मौके पर आंवला के वृक्ष के नीचे विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चना […]
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