सुपौल : आस्था का चार दिवसीय त्योहार छठ जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ. त्योहार के मौके पर मंगलवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी भगवान दिवाकर को व बुधवार की अहले सुबह उदीयमान सूर्यदेव को विधान के साथ अर्घ्य देकर निर्जला व्रत को भंग किया. इस अनुष्ठान को लेकर भक्त जनों में बीते कई दिनों से उत्साह व उमंग का माहौल देखा जा रहा था. लोग हरेक सामग्री की खरीदारी में जुटे हुए थे,
ताकि भगवान सूर्यदेव की आराधना में किसी भी सामग्री की कमी ना रहे. अमूमन अधिकांश त्योहारों में लोग उधार रुपये व सामग्री लेकर भी कार्य करते हैं. लेकिन छठ के त्योहार में भीख मांग कर भी सामग्री जुटाने की परंपरा रही है. आकर्षक रूप से सजाये गये थे घाट त्योहार को लेकर जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र स्थित अधिकांश पोखर, तालाब, सरोवर का तट सहित अहाते को आकर्षक तरीके से सजाया गया था.
ग्रामीण क्षेत्र के घाटों पर स्थानीय सहयोग से रोशनी सहित शामियाना व पंडाल लगाया गया था. साथ ही कुछेक घाटों पर प्रोजेक्टर के माध्यम से रात भर धार्मिक चल चित्र दिखाये जाने की व्यवस्था भी की गयी थी. जहां व्रतियों सहित दर्जनों श्रद्धालुओं ने उक्त घाटों पर रात्रि विश्राम कर भक्तिमय कार्यक्रम का आनंद उठाया. अधिकांश त्योहार का आयोजन मंदिर सहित अन्य स्थानों पर की जाती है.
लेकिन छठ का त्योहार सिर्फ पोखर, तालाब, नदी आदि के तट सहित आहते में भी पानी भर कर भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. त्योहार पर हुई आतिशबाजी त्योहार के मौके पर युवा व बच्चों ने जम कर फुलझड़ियां व पटाखे छोड़े. मंगलवार के सुबह से ही बुधवार की सुबह तक युवाओं ने तरह – तरह के पटाखे फोड़ कर खुशियां मनायी. वहीं बच्चों ने रंग बिरंगी फुलझड़ियों की रोशनी की छटा बिखेरी, जबकि छोटे – छोटे बच्चे घाटों पर जग मग जगमग करती रोशनी देख उत्साहित हो रहे थे.
साथ ही घाटों पर लगाये गये लाउड स्पीकरों में बज रहे धार्मिक गीतों से संपूर्ण वातावरण भक्ति मय हो रहा था.त्योहार में दिखती है समानताअमीर हो या गरीब, आराधना के समय सभी एक समान दिखते हैं. जिले भर के लोगों ने सूर्योपासना हेतु अपने अपने माथे पर पूजन सामग्री लेकर समीप के घाट पहुंचे. जहां व्रतियों द्वारा हरेक सामग्री को हाथ में लेकर सूर्यदेव की आराधना की गयी. साथ ही अपने परिवार व समाज के लोगों के सुख – समृद्धि की कामना की गयी.
छठ घाटों पर अधिकांश महिलाओं ने छठ मइया का गीत गाकर सूर्य देव को उक्त स्थल पर पहुंचने व भक्तजनों द्वारा लाये गये पूजन सामग्रियों को स्वीकार करने की कामना की गयी. साथ ही आराधना के उपरांत व्रतियों ने प्रसाद को घर – घर बांट कर अपना निर्जला व्रत का समापन किया. चिह्नित घाटों पर दिखी विशेष व्यवस्था इस बार मुख्यालय स्थित सभी चिह्नित घाटों पर नगर परिषद द्वारा सफाई की विशेष व्यवस्था की गयी थी.
आम तौर पर प्रशासन द्वारा छठ से एक दिन पूर्व सजावट सहित अन्य व्यवस्था कर दी जाती थी. लेकिन इस बार व्रतियों द्वारा अस्ताचल गामी सूर्यदेव को अर्ध देने के उपरांत नगर परिषद कर्मियों ने रात भर पुन: सभी घाटों को धोकर सफाई किया. इस कार्य में नगर परिषद के सभी जन प्रतिनिधि उत्साह पूर्वक सहयोग करते दिखे.
पुलिस सहित गोताखोरों की थी तैनाती सुरक्षा व्यवस्था को लेकर डूबते व उगते सूर्यदेव के अर्ध के समय जिला पदाधिकारी एम रामचंद्रू डू व पुलिस कप्तान किम निरंतर घाटों का जायजा लेते दिखे. मुख्यालय स्थित सभी 11 घाटों पर महिला व पुरुष पुलिस बल केे जवानों सहित एक – एक गोताखोर को लगाया गया था,
ताकि त्योहार के मौके पर किसी प्रकार का अनहोनी घटित ना हो. नगर परिषद क्षेत्र स्थित बीआरसी स्थित पक्की तालाब में बसंत कुमार,रामदास अखाड़ा से पूर्व कच्ची तालाब में शिव नाथ कुमार, जिलाधिकारी के आवास से पूर्व स्थित तालाब में टेक नारायण यादव, गांधी मैदान स्थित तालाब में सुरेश सिंह गोताखोर का कार्य करते दिखे.
वहीं टीसी चकला निर्मली से पूरब स्थित तालाब में डमर सिंह, निर्मली मुख्य नदी घाट में अशोक ठाकुर, नरहैया मुख्य नदी घाट पर सत्तो पासवान व नरहैया मुख्य नदी हरिजन टोला स्थित घाट पर रंजीत कुमार पासवान गोताखोर की भूमिका में थे.
जबकि रामदत्त पट्टी पक्की स्थित गुल्ली चौधरी पोखर पर बनाये गये घाट पर पप्पू कुमार चौधरी, गोपालपुर सिरे स्थित मुख्य नदी घाट पर मनोज कुमार मुखिया व बलवा स्थित मुख्य नदी घाट पर अनिल पासवान ने अस्ताचल गामी व उदीयमान सूर्यदेव के अर्घ्य के समय गोताखोर का कार्य किया.