सुपौल : सूबे में पार्कों के सौंदर्यीकरण के प्रति सरकार भले ही काफी संजीदगी से कार्य करने का दावा कर रही हो. लेकिन जिला मुख्यालय में अवस्थित एक मात्र चिल्ड्रेन पार्क सौंदर्यीकरण कार्य से आज भी अछूता है. सरकारी उदासीनता का शिकार यह पार्क दिन-ब-दिन बदहाल होता जा रहा है. खेल मैदानों की जिले में पूर्व से ही भारी कमी है. पार्क बदहाल रहने से लोगों को सैर-सपाटे में भी परेशानी उठानी पड़ती है. बावजूद प्रशासन इस ओर उदासीन बना हुआ है.
करोड़ों की लागत, नतीजा शून्य करीब 45 वर्ष पूर्व तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी आरके मजूमदार के पहल पर गांधी मैदान के समीप इस पार्क की स्थापना लाखों की लागत से की गयी थी. प्रारंभिक दौर में पार्क की रौनक देखते ही बनती थी. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से पार्क समय के साथ बदहाल होता चला गया.
हाल के वर्षों में पार्क के जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों रुपये खर्च किये गये. बावजूद पार्क की समस्या व बदहाली जस की तस बनी हुई है. रख-रखाव के प्रति उदासीन है प्रशासन प्रशासनिक देख-रेख का आलम यह है कि सौंदर्यीकरण के दौरान पार्क में कुल 14 सोलर लाइट लगाये गये थे. लेकिन सभी सेट चोरी कर लिये गये. इतना ही नहीं पार्क में जीर्ण-शीर्ण पड़ा झूला व झरना पार्क के अतीत की पहचान मात्र बन कर रह गया है. समुचित रख-रखाव के अभाव में पार्क के अंदर जगह-जगह गड्ढ़े बन चुके हैं. जिसकी वजह से बच्चे यहां खेलने से कतराते हैं.अंदर लगा बेंच का टाइल्स भी उखड़ चुका है.
जिसके कारण सुबह-शाम पार्क में सैर करने वालों का यहां चंद पल गुजारना मुश्किल है. दिन को चारागाह, रात को बना शराबियों का अड्डा पार्क की घेराबंदी करने के बाद भी यह दिन में आवारा पशुओं का चारागाह बना रहता है. वहीं रात के अंधेरे में यह शराबियों का अड्डा बन जाता है.समुचित रौशनी व सुरक्षा में कमी की वजह से शराबी इस स्थान को महफूज मान कर देर रात तक यहां पूरी मौज-मस्ती करते हैं. शराबियों के अक्सर होने वाले हंगामे से पार्क के अगल-बगल रहने वाले वासिदें त्रस्त हैं. कुल मिला कर बच्चों के मनोरंजन व खेल-कूद के लिए निर्मित यह पार्क अपने उद्देश्यों की पूर्ति में विफल साबित हो रहा है. स्थानीय बुद्धिजीवियों ने पार्क के तत्काल पुनर्निर्माण व सौंदर्यीकरण की मांग की है.