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मंहगाई की भेंट चढ़ रहे त्योहार

सिमराही : अक्तूबर व नवंबर के माह को त्योहारों का मौसम कहा जाता है. हिंदू धर्मावलंबियों का पर्व दुर्गापूजा, दीपावली व छठ के साथ ही मुसलमान भाइयों का पर्व मुहर्रम भी इसी पाक महीनें में मनाने की परंपरा रही है. इन खास पर्व में दोनों धर्म के अनुयायियों द्वारा कई खास तैयारी करनी होती है. […]

सिमराही : अक्तूबर व नवंबर के माह को त्योहारों का मौसम कहा जाता है. हिंदू धर्मावलंबियों का पर्व दुर्गापूजा, दीपावली व छठ के साथ ही मुसलमान भाइयों का पर्व मुहर्रम भी इसी पाक महीनें में मनाने की परंपरा रही है. इन खास पर्व में दोनों धर्म के अनुयायियों द्वारा कई खास तैयारी करनी होती है.

मसलन परिवार के लोगों के लिए नये वस्त्र सहित विशेष पकवान व मिठाई आदि. पर, आसमान छूती मंहगाई ने हर्षोल्लास के साथ मनाये जाने वाला पर्व को लेकर दोनों धर्मों के लोगों के चेहरे की खुशी गायब कर दी है.महंगाई की भेंट चढ़ रहा महत्वपूर्ण पर्वप्याज 50 से 60 रुपये , दाल अरहर 180 से 190 रुपये प्रति किलो व सब्जी के भाव ने पहले से ही मध्यम परिवार के बजट को बिगाड़ रखा है. गृहिणी स्मृति कुमारी, हेमलता वर्मा, रतना देवी, मो मंजूर अंसारी, हाजी रहमान, मो कलीम अंसारी आदि ने बताया कि पहले सी आसमान छूती मंहगाई ने परिवार की जीविका चलाने में कई सारी समस्याएं खड़ी कर रखी हैं.

ऊपर से त्योहार का अतिरिक्त बोझ ने परेशान कर रखा है. लोगों का कहना है कि इन महत्वपूर्ण पर्व में बच्चों को नये-नये वस्त्र देने के साथ कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती है. बताया कि किसी तरह प्लेट के बजट को कम किया जा सकता है. लेकिन बच्चों को कैसे मनाया जा सकता है. लोगों का कहना है कि परिवार के लोगों के लिए हमलोग दाल-रोटी तो सही से जुटा नहीं पा रहे हैं. तो दशहरा, दीपावली, छठ व मुहर्रम पर्व में अपने परिवार व बच्चों के लिए नये कपड़े, खिलौने, पटाखा व अन्य कई जरूरत की चीज कहां से खरीद पायेंगे.

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