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हिट वार्म से लोग हो रहे बीमार, काम पर भी पर रहा असर जले पर नमक छिड़क रही बिजली
सुपौल: भगवान भास्कर के रौद्र रूप अख्तियार करने से बढ़ी भीषण गरमी के कारण जनजीवन अस्त -व्यस्त हो गया है. उस पर से बिजली की कटौती लोगों को रूला रही है. रविवार को जिले का तापमान अधिकतम 42 व न्यूनतम 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. बीते एक सप्ताह से हो रही चिलचिलाती धूप के […]
सुपौल: भगवान भास्कर के रौद्र रूप अख्तियार करने से बढ़ी भीषण गरमी के कारण जनजीवन अस्त -व्यस्त हो गया है. उस पर से बिजली की कटौती लोगों को रूला रही है. रविवार को जिले का तापमान अधिकतम 42 व न्यूनतम 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. बीते एक सप्ताह से हो रही चिलचिलाती धूप के कारण दोपहर में ही बाजार में सन्नाटा पसर जाता है. स्थिति यह है कि सुबह 10 बजे के बाद से ही लोग अपने घरों से निकलने में परहेज कर रहे हैं. ज्यादा परेशानी निजी स्कूलों के बच्चों को हो रही है. सबसे विकट स्थिति दैनिक मजदूरों व रिक्शा चालकों की है, जो अपने परिवार के भरण-पोषण हेतु धूप की परवाह किये बगैर लोगों की सेवा में जुटे रहते हैं.
बिजली विभाग ने बढ़ायी परेशानी: भीषण गरमी के कारण घरों में दुबके लोगों को बिजली उपलब्ध रहने से कुछ राहत जरूर मिलती है, लेकिन विद्युत विभाग ने इन दिनों लोगों की परेशानी कम करने के बजाय इसमें इजाफा ही किया है. उपभोक्ताओं को निर्बाध विद्युत आपूर्ति व विद्युत चोरी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से शहर में केबल लगाने का काम चल रहा है. कुछ वार्डो में इस काम को पूरा कर लिया गया है, जबकि कई ऐसे वार्ड हैं जहां आज भी काम जारी है. नतीजतन इस कार्य में लगे मजदूरों द्वारा विद्युत आपूर्ति बाधित कर कार्य किया जाता है. इससे दिन भर उक्त मुहल्ले के लोग भीषण गरमी में परेशान रहते हैं. स्थिति यह है कि एक वार्ड में कई दिनों तक काम जारी रहता है.
स्कूली बच्चों की बढ़ी मुश्किलें : भीषण गरमी को देखते हुए सरकारी स्कूलों में अवकाश की तिथि बढ़ा दी गयी है, लेकिन निजी विद्यालय खुले हुए हैं. लिहाजा छोटे-छोटे बच्चों को इस चिलचिलाती धूप में भी विद्यालय जाने की बाध्यता बनी हुई है. दोपहर के समय अधिकतर निजी विद्यालयों के बच्चे तपती धूप में पसीने से लथपथ घर लौटते हैं.
मौसमी फलों की बढ़ी बिक्री : गरमी की वजह से कोल्डड्रिंक व लस्सी की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ तो लगी ही रहती है, मौसमी फलों ककड़ी, तरबूज, खीरा, बेल जैसे फलों को भी काफी तरजीह दी जा रही है. हालांकि शहर में कहीं भी प्याऊ अथवा शीतल पेयजल की व्यवस्था नहीं है.
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