सुपौल : नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर 26 में योजना स्थल से दूर सड़क निर्माण मामले में सड़क की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि सड़क निर्माण के दौरान विभागीय अधिकारियों द्वारा निर्माण सामग्री की जांच नहीं की गयी. निर्माण कार्य में घटिया क्वालिटी के सामान का इस्तेमाल किया गया. इतना ही नहीं सरकारी दिशा-निर्देश का भी पालन नहीं किया गया. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना के तहत वार्ड नंबर 26 में 7,72,792 रुपये की लागत से स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन द्वारा सड़क का निर्माण किया गया है.
नहीं बना 350 फीट सड़क. लोगों का दावा है कि अब तक 350 फिट सड़क का निर्माण भी नहीं हुआ है, जबकि योजना की कार्य समाप्ति तिथि सात मार्च 2015 है, लेकिन विभागीय कनीय अभियंता दीनबंधु साह योजना के तहत कार्य पूर्ण कर लेने का दावा करते हैं. उनका कहना है कि योजना के अनुरूप ही कार्य किया गया है. हालांकि उनके दावों को अगर सही भी माना जाय फिर भी सरकारी निर्देशों की अवहेलना विभागीय कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न् खड़ा करता है.
निर्माण में नहीं बरती गयी पारदर्शिता
लोगों का आरोप है कि सड़क निर्माण में पारदर्शिता नहीं बरती गयी. कार्य पूर्ण होने के बाद योजना का बोर्ड लगाया गया, जिससे कभी भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि कार्य किस योजना के तहत किया जा रहा है और सड़क का निर्माण कहां से कहां तक होना है. बोर्ड नहीं लगने की बात स्वयंअधिकारी भी स्वीकारते हैं, जिससे स्पष्ट है कि लोगों को अंधेरे में रखा गया.
दिशा-निर्देश की हुई अवहेलना
सरकारी निर्देश के अनुसार योजना का बोर्ड कार्य शुरू होने के पूर्व लगाया जाना अनिवार्य होता है. जिसे सुनिश्चित करना संबंधित कनीय अभियंता का कार्य है. साथ ही स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी सड़क में अगर निर्माण कार्य होगा तो महादलित मुहल्ले को प्राथमिकता दी जायेगी, लेकिन यहां सरकार के इस निर्देश का भी अनुपालन नहीं किया गया.