प्रतापगंज. पैक्स के माध्यम से धान क्रय प्रारंभ नहीं होने से मजबूर किसान धान को औने -पौने दाम में बेचने को विवश हैं. किसानों के लिए रबी फसल की बुआई महत्वपूर्ण होती है. इसमें लागत की राशि अधिक होती है. ऐसे में खुले बाजार अथवा बिचौलियों के हाथों धान बेचना उनकी मजबूरी होती है. बहरहाल किसान अपने धान को खुले बाजार में प्रति क्विंटल एक हजार रुपये की दर से बेच रहे हैं, जबकि न्यूनतम सरकारी धान खरीद का मूल्य 1360 रुपये प्रति क्विंटल है. किसानों की मानें तो गेहूं की खेती करने में ही धान 80 प्रतिशत भाग बिक जाता है. ऐसे में पैक्स के माध्यम से धान खरीद का कोई मतलब नहीं होता है. गेहूं की खेती की वजह से किसान पैक्स का इंतजार नहीं कर पाते हैं. विलंब से पैक्स द्वारा धान खरीद से बिचौलियों की ही पौ बारह होती है. पैक्स अध्यक्षों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक एसएफसी से धान क्रय के लिए बोरी भी आवंटित नहीं की गयी है. तेकुना के देवराज कुसियैत, अर्जुन महतो, भुवनेश्वरी मेहता, प्रवीण झा, रवींद्र झा आदि ने अविलंब धान क्रय की मांग करते कहा है कि सरकार को किसानों की समस्या का ध्यान रखना चाहिए.
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खुले बाजार में कम कीमत पर धान बेचने को विवश हैं किसान
प्रतापगंज. पैक्स के माध्यम से धान क्रय प्रारंभ नहीं होने से मजबूर किसान धान को औने -पौने दाम में बेचने को विवश हैं. किसानों के लिए रबी फसल की बुआई महत्वपूर्ण होती है. इसमें लागत की राशि अधिक होती है. ऐसे में खुले बाजार अथवा बिचौलियों के हाथों धान बेचना उनकी मजबूरी होती है. बहरहाल […]
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