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टीश्यू कल्चर लैब से उन्नत किस्म की बांस की होगी पैदावार, समृद्ध होंगे किसान

सुपौल : मानव जीवन की सुरक्षा, फसलों की उन्नत पैदावार सहित प्राकृतिक जन जनजीवन के लिए पर्यावरण की सुरक्षा आवश्यक है. पर्यावरण को हरा-भरा रखने के लिए सरकार द्वारा संचालित योजना के तहत सार्वजनिक स्थलों पर पौधारोपण किया जा रहा है. वहीं कोसी इलाके के किसानों के समृद्धि के लिए वर्ष 2016 में राज्य सरकार […]

सुपौल : मानव जीवन की सुरक्षा, फसलों की उन्नत पैदावार सहित प्राकृतिक जन जनजीवन के लिए पर्यावरण की सुरक्षा आवश्यक है. पर्यावरण को हरा-भरा रखने के लिए सरकार द्वारा संचालित योजना के तहत सार्वजनिक स्थलों पर पौधारोपण किया जा रहा है. वहीं कोसी इलाके के किसानों के समृद्धि के लिए वर्ष 2016 में राज्य सरकार के पर्यावरण एवं वन विभाग द्वारा बीएसएस कॉलेज में राज्य का सबसे विकसित एवं आधुनिक पादप ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला एवं उत्पादन केंद्र में उन्नत किस्म के बांस की पैदावार के लिए टीश्यू कल्चर लैब की स्थापना की गई. जहां कॉलेज के प्राचार्य सह अन्वेषक डॉ संजीव कुमार के मार्गदर्शन में सात स्कॉलर इस पर शोध कर रहे हैं.

गौरतलब है कि कोसी का इलाका बांस की बहुतायत खेती के लिए जाना जाता है. यहां कि मिट्टी बांस की उपज के लिए अनुकूल है. टीश्यू कल्चर लैब से जो किसानों को उन्नत किस्म के पौधे प्राप्त होंगे तो बांस की खेती को ना सिर्फ बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे प्राप्त होने वाले राजस्व से किसानों में समृद्धि भी आयेगी.

बांस के कई किस्मों के पौधे होंगे तैयार
कृषि आधारित जिले में बांस की खेती की अपार संभावना बतायी जा रही है. जिले के किसान आमतौर पर सामान्य किस्म के बांस की खेती कर रहे रहे है. जिसमें चाभ, मोगला, हरोंत आदि शामिल है. इन बांसों की लंबाई और मोटाई कमोवेश एक समान ही रहता है. लेकिन टीश्यू लैब से उन्नत किस्म के बांस के पौधे तैयार किये जा रहे है. जिसकी मोटाई एवं लंबाई इन बांसों से अपेक्षाकृत अधिक होगी. वहीं बताया गया कि बांस के कई रंग भी होंगे. लैब के स्थापना के बाद स्थापना में मुख्य भूमिका निभाने वाले स्थानीय विधायक एवं सूबे के उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव एवं बीएनएमयू के कुलपति डॉ अवध किशोर द्वारा निरीक्षण किया गया है.
क्या है टीश्यू कल्चर लैब
पादप ऊतक संवर्धन पौधे की कोशिका ऊतक अथवा उसके सूक्ष्म भाग से संपूर्ण पौधे के उत्पादन की एक अत्याधुनिक तकनीक है. जिसे प्रयोगशाला में कृत्रिम पोषक माध्यम तथा नियंत्रित वातावरण में संपन्न किया जाता है. इसके सफल परीक्षण के बाद उन्नत किस्म के पौधे तैयार किये जाते है. इस तकनीक द्वारा बहुत ही कम समय में किसी पौधे की अत्यंत उच्च उत्पादक एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उत्पादन लाखों की संख्या में किया जा सकता है.
पहले वन विभाग को दिया जायेगा पौधा
प्रयोगशाला से उत्पादित बांस के उन्नत किस्मों के पौधे को पहले तीन वर्षों के लिए वन विभाग को दिया जायेगा. जिसमें दो साल बीत चुके है. लिहाजा बचे एक साल तक पौधे को वन विभाग को दिया जायेगा. जिले के इच्छुक किसान वन विभाग द्वारा पौधे को ले पायेंगे. बांस के उन्नत किस्म के पौधे प्राप्त कर बांस की उन्नत पैदावार कर सकेंगे. अच्छी पैदावार कर जिले के किसान समृद्ध होंगे.
कहते हैं अन्वेषक
टीश्यू कल्चर लैब के अन्वेषक डॉ श्री कुमार ने बताया कि पर्यावरण एवं वन विभाग का यह एक महत्वाकांक्षी योजना है. जिले के किसान बांस के उन्न्त किस्म का पौधा प्राप्त कर बांस के हर किस्म की पैदावार कर सकेंगे. बांस की खेती को बढ़ावा देने एवं बांस से बने वस्तु की उपयोगिता को भी बढ़ावा दिया जायेगा. बांस का उत्पादन कर किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी. वहीं आगामी के दिनों में सरकार की योजना है कि उन्नत किस्म के बांस को पूर्वी कोसी तटबंध के किनारे लगाया जायेगा. कहा कि बांस की जड़ मिट्टी को काफी मजबूती से जकड़े रहता है. लिहाजा कोसी तटबंध की सुरक्षा एवं भू क्षरण को रोका जा सकता है. उन्होंने कहा कि आगामी के दिन में इस लैब में उन्नत किस्म के शीशम के पौधे को भी तैयार किया जायेगा. जो रोग प्रतिरोधक एवं उन्नत किस्म का होगा. इस तरह के पौधे से किसानों को अधिक फैदा होगा.
बांस से बनेगा इथेनॉल
बताया कि भविष्य में बांस से इथनॉल बनाने की प्रक्रिया भी प्रारंभ होगी. जिसके लिए राज्य एवं केंद्र सरकार की और प्रयास शुरू कर दिया गया है. बताया कि फिनलैंड सरकार बांस से इथनॉल की उत्पादन की तकनीक विकसित कर चुका है. जिसे भारत सरकार द्वारा भी असम के तेजपुर में इसका एक प्लांट स्थापित किया जा रहा है. कहा कि बांस से इथनॉल बनाने की प्रक्रिया के सफल होने पर पेट्रोल की बचत की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि बांस के उन्नत एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों के उत्पादन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. शीघ्र ही इसका उद्घाटन किया जायेगा.

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