रोक रहने के बावजूद हो रहा अवैध उत्खनन का कार्य, माफियाओं की कट रही चांदी
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बालू पर मच रहा बवंडर, भवन निर्माण बंद, व्यवसायी भी परेशान
रोक रहने के बावजूद हो रहा अवैध उत्खनन का कार्य, माफियाओं की कट रही चांदी अधिक कीमत पर भी आसानी से नहीं मिल पा रहा बालू सुपौल : सरकार के द्वारा अवैध उत्खनन को रोकने के लिये लाये गये नये नियम से जहां व्यवसायियों में आक्रोश है. वहीं आमलोग भी हलकान हैं. यही कारण है […]
अधिक कीमत पर भी आसानी से नहीं मिल पा रहा बालू
सुपौल : सरकार के द्वारा अवैध उत्खनन को रोकने के लिये लाये गये नये नियम से जहां व्यवसायियों में आक्रोश है. वहीं आमलोग भी हलकान हैं. यही कारण है कि महंगे दामों में मुश्किल से बालू उपलब्ध होने के कारण कई लोगों का भवन निर्माण अधर में लटक गया है. आमतौर पर जो बालू पहले 45-46 रुपये प्रति सीएफटी आसानी से मिल जाता था, अब उसकी कीमत 85-90 चुकाने पर भी आसानी से नहीं मिल रहा. यही कारण है कि बालू को लेकर क्षेत्र में बवंडर मचा हुआ है.
लोग सरकार की ओर टकटकी लगाये हुए हैं कि कब नये नियम के तहत बाजार में बालू सस्ती दरों में उपलब्ध होगी. इधर, नये नियम से आहत हुए व्यवसायी आर-पार के मूड में हैं और आये दिन धरना-प्रदर्शन कर सरकार को इस दिशा में पहल करने की मांग कर रहे हैं. ताकि पूर्व की तरह आसानी से बालू उपलब्ध हो सके. सूत्रों की मानें तो अवैध बालू उत्खनन को लेकर सरकार के लाख दावों के बाद भी नदियों व अन्य जलस्रोतों से बालू और मिट्टी का अवैध खनन जिले के कई इलाके में चोरी-छिपे बदस्तूर जारी है.
जिलेभर में हालात ऐसी बनी हुई है कि सरकार द्वारा लगायी गयी रोक का असर बालू खनन माफिया पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है. अलबत्ता बालू माफिया अवैध उत्खनन कारोबार के जरिये सरकारी राजस्व को चूना जरूर लगा रहे हैं. ज्ञात हो कि सरकार द्वारा जो बालू उत्खनन को लेकर नियम व प्रावधान पूर्व में तैयार की गयी. इसके अनुपालन का जिम्मा संबंधित विभागीय पदाधिकारियों को दिया गया है. बावजूद इसके उन नियमों की अनदेखी के कारण पर्यावरण पर भी इसका व्यापक असर पड़ रहा है. इधर विभागीय सूत्रों की मानें तो सरकार द्वारा इस दिशा में पहल करने के लिए जिम्मेदारी तय की गयी, लेकिन संबंधित कार्यालय में अधिकारी व कर्मियों का घोर अभाव देखा जा रहा है.
बालू माफियाओं की कट रही चांदी
गौरतलब है कि जिले के अधिकांश क्षेत्रों में चोरी छिपे बालू निकालने का कार्य अभी भी जारी है. बालू पर लगे प्रतिबंध के कारण जहां लोगों को ऊंची कीमत पर खरीदारी करनी पड़ रही है. वहीं इस अवैध धंधे में संलिप्त बालू माफियाओं की चांदी कट रही है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण लोगों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
जानकारों की मानें तो अमूमन एक हजार रुपये टेलर आसानी से मिलने वाला बालू फिलवक्त ढाई से तीन हजार रुपये में लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है. सूत्रों की माने तो अन्य जगहों को छोड़ त्रिवेणीगंज क्षेत्र के जोगियाचाही, लक्ष्मीनिया, कुपरिया सहित अन्य जगहों पर हो रहे अवैध खनन की जानकारी खनन विभाग, स्थानीय थाना-पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी है. कोई भी इस गोरखधंधे को रोकने में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. नतीजतन सरकारी राजस्व का चूना लगाने का खेल काफी तेजी से फल फूल रहा है.
फर्जी तरीके से दिया जा रहा कार्य को अंजाम
बालू उत्खनन को लेकर सरकार व विभाग द्वारा वर्ष 2017 के नियम के तहत बनाये गये नियम में कठोर कार्रवाई की बात शामिल की गयी है. साथ ही राज्यपाल के गजट के मुताबिक किसी भी प्रकार के खनन का कार्य संबंधित विभाग के आदेश के उपरांत ही कराया जा सकता है. बावजूद इसके बालू माफियाओं द्वारा नियम का ताक रख कर फर्जी तरीके से कार्य को अंजाम दिया जा रहा है. मालूम हो कि इस मामले में हालिया दिनों में कुछ माफियाओं पर कार्रवाई की गयी है. इसके बावजूद मिट्टी से सोना निकालने का धंधा बदस्तूर जारी है. इस मामले में जानकारी यह भी मिल रही है कि इलाके में सक्रिय तथाकथित राजनीतिक संरक्षण प्राप्त बालू माफिया आमलोगों व अधिकारियों को झांसा देने के लिए ट्रेक्टर के साथ फर्जी ई-चालान का उपयोग कर खुलेआम लोगों की आंखों में धूल झोक रहे हैं. वहीं सरकारी निर्देश के बाद विभाग ने जिले के सभी बालू घाटों की बंदोबस्ती रद्द कर दिया है.
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