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डीएम-एसपी के विरोध में जमकर हुई नारेबाजी

सुपौल : विपक्षी दलों ने बुधवार को नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर शहर में जुलूस निकाल व काला दिवस मना कर विरोध जताया. जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए जैसे ही समाहरणालय गेट के सामने पहुंचा अफरा-तफरी की स्थिति बन गयी. समाहरणालय के आगे विपक्षी दलों द्वारा धरना के लिये लगाये […]

सुपौल : विपक्षी दलों ने बुधवार को नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर शहर में जुलूस निकाल व काला दिवस मना कर विरोध जताया. जुलूस शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए जैसे ही समाहरणालय गेट के सामने पहुंचा अफरा-तफरी की स्थिति बन गयी. समाहरणालय के आगे विपक्षी दलों द्वारा धरना के लिये लगाये गये टेंट को प्रशासन द्वारा हटा दिया गया था.
इसके विरोध में नेताओं ने जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और समाहरणालय परिसर में प्रवेश कर गये. साथ ही गेट को भी जाम कर दिया. बाद में अनुमंडल पदाधिकारी के हस्तक्षेप व पुन: टेंट लगाये जाने के बाद आक्रोशित नेता व कार्यकर्ता शांत हुए तथा धरना कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के साथ ही डीएम-एसपी मुर्दाबाद के नारे लगाये.
अध्यक्षता पिपरा के राजद विधायक सह राजद के जिलाध्यक्ष यदुवंश कुमार यादव ने की. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन विपक्षी दलों को कम नहीं आंके. दल विशेष के लिये काम करने पर हम ईंट से ईंट बजा देंगे. धरना के बाद राज्यपाल के नाम 9 सूत्री मांगों का एक ज्ञापन डीएम को सौंपा गया. कार्यक्रम का नेतृत्व पूर्व मंत्री डॉ अब्दुल गफ्फुर, विधायक यदुवंश कुमार यादव, पूर्व मंत्री कुंभ नारायण सरदार, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रो विमल कुमार यादव, सीपीआई नेता कॉ सुरेश्वर सिंह, सपा के जिलाध्यक्ष डॉ अमन कुमार, जदयू शरद गुट के जितेंद्र कुमार अरविंद, युवक कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जय प्रकाश चौधरी आदि संयुक्त रूप से कर रहे थे.
वक्ताओं ने कहा कि नोटबंदी के कारण देश की अर्थ व्यवस्था चरमरा गयी है. भारत के विकास दर में भारी गिरावट आयी है. इसके लिये विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री से क्षमा याचना की मांग की है. कहा कि नोटबंदी के कारण लाइन में लगने से सैकड़ों नागरिकों की मृत्यु हुई.
कितने लोग रुपये के अभाव में समुचित इलाज के बिना काल के गाल में समा गये. कितनी बेटियों की शादी रुक गयी या टूट गयी. उसका सर्वेक्षण करवा कर समुचित मुआवजा दिया जाये. कालाधन एवं आतंकियों के नाम पर नोटबंदी का तर्क देकर प्रधानमंत्री ने देश को गुमराह किया है. वक्ताओं ने कहा कि रिजर्व बैंक के अनुसार बाजार में प्रचलित नोटों में से 99 प्रतिशत वापस आ गये हैं. वक्ताओं ने सवाल उठाते हुए कहा कि फिर नयी करेंसी छापने पर 24 हजार करोड़ रुपये क्यों खर्च किये गये. नोटबंदी के बाद कितना कालाधन वापस आया? आतंकवादी घटनाओं में कितनी गिरावट आयी? इसका समुचित जवाब देश की जनता जानना चाहती है.
वीरपुर. नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर राजद पंचायती राज प्रकोष्ठ के जिला महासचिव कुमार सौरभ शर्मा ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है. देश वित्तीय संकट की स्थिति पर पहुंचने के कगार पर है. बीजेपी सरकार द्वारा नोटबंदी लागू करने से दो सौ से अधिक गरीब लोगों को अपनी जान बैंकों व एटीएम के लाइन में खड़े होने से गंवानी पड़ी.

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