सीवान : शुक्रवार को मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में पूर्व सासंद मो़ शहाबुद्दीन के खिलाफ राजीव रौशन हत्या कांड में गवाह बीएमपी जवान प्रदीप मिश्रा की गवाही हुई. गवाही विशेष न्यायाधीश सह एडीजे एक विनोद शुक्ल की अदालत में हुई. वहीं, मृत्युंजय हत्याकांड के मामले में भी आरोप गठन के बिंदु पर आंशिक के कारण 15 मामलों की सुनवाई नहीं हो सकी. तिहाड़ जेल से सीधे वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिये शहाबुद्दीन की पेशी हुई.
राजीव रौशन हत्याकांड के मामले में सहायक अभियोजक रघुवर सिंह ने बताया कि गवाह प्रदीप मिश्रा ने कहा कि गोली की आवाज सुन कर मैं रेडिंग पार्टी के साथ घटनास्थल पर पहुंचा तो देखा कि एक युवक गोली लगने से छटपटा रहा है. जख्मी युवक को पुलिस पार्टी ने अपने वाहन पर लाद कर सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी पहचान राजीव रौशन के रूप में हुई. सदर अस्पताल से पटना रेफर करने पर रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी. गवाह ने पूर्व में पुलिस के समक्ष दिये अपने बयान का समर्थन किया है.
पूर्व एमएलसी मनोज सिंह के भाई मृत्युंजय सिंह हत्याकांड के मामले में आरोप गठन होना है, जिसमें आरोप गठन के बिंदु पर सुनवाई के लिए बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कोर्ट से समय मांगा. इस पर कोर्ट ने अगली तिथि पर सुनवाई करने का निर्देश दिया. वहीं एक क्रिमिनल अपील 14/11 में सुनवाई होनी थी. यह मामला 12 अप्रैल, 1990 का है. इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों ने प्रखंड कार्यालय सीवान से प्रधान सहायक राज नारायण सिंह का अपहरण कर लिया था. इसमें पुलिस द्वारा अनुसंधान करने पर पूर्व सांसद शहाबुद्दीन व मो़ शैदूलहक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. इस मामले में विशेष न्यायिक दंडाधिकारी अमित कुमार दीक्षित ने दोनों आरोपितों को भदवि की धारा 353, 342/ 34,365/ 34 में तीन वर्षों की सजा व 5 हजार का अर्थदंड लगाया था. इस सजा के खिलाफ मो़ शहाबुद्दीन के अधिवक्ता ने जिला जज के कोर्ट में अपील दायर की है. इस पर विशेष न्यायाधीश सह एडीजे 1 विनोद शुक्ल की अदालत में सुनवाई चल रही है. दूसरे सत्र में एसीजेएम 3 मनोज कुमार श्रीवास्तव के न्यायालय में लंबित 15 मामलों में से 3 मुकदमों में आरोप गठन होना था तथा एक मामलों में बयान बनना था. लेकिन मो़ शहाबुद्दीन की तरफ से अधिवक्ता नियुक्ति का मामला उच्च न्यायालय में लंबित है. इस कारण बचाव पक्ष के अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुए. इस पर कोर्ट ने मो़ शहाबुद्दीन की पेशी के दौरान उनसे कोर्ट ने कहा कि अपने अधिवक्ता की उपस्थिति सुनिश्चित कराएं, जिससे मुकदमों की कार्रवाई आगे बढ़ सके.