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हकीकत से दूर विकास का दावा

सीवान : नगर निकाय के चुनाव का बिगुल बज चुका है. एक नगर पर्षद व दो नगर पंचायतों वाले जिले में चुनावी समर में दावेदारों की तैयारी चल रही है. शहरी क्षेत्र के इस चुनाव में पुराने चेहरे भी एक बार फिर मैदान में हैं, तो दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों पर अब तक जन समस्याओं को […]

सीवान : नगर निकाय के चुनाव का बिगुल बज चुका है. एक नगर पर्षद व दो नगर पंचायतों वाले जिले में चुनावी समर में दावेदारों की तैयारी चल रही है. शहरी क्षेत्र के इस चुनाव में पुराने चेहरे भी एक बार फिर मैदान में हैं, तो दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों पर अब तक जन समस्याओं को दरकिनार करने का आरोप लगाते हुए सेवा के अवसर देने का अपील करते हुए युवा मतदाता बड़ी संख्या में दिख रहे हैं. इन सबके बीच मुद्दे को लेकर मतदाताओं में मंथन शुरू हो गया है.

शहरी क्षेत्र को बुनियादी सुविधाओं में सबसे अधिक पेयजल आपूर्ति का सवाल अब भी अधूरा है. जिले के नगर निकाय क्षेत्र की पेयजल आपूर्ति की प्रस्तुत है यहां ग्राउंड रिपोर्ट-

नगर पर्षद, सीवान : तकरीबन पांच लाख आबादी वाले नगर पर्षद की 1935 में स्थापना हुई. पेयजल आपूर्ति के लिए अब तक के प्रयास को देखें, तो 38 वार्डों में विभाजित शहर में विभाग ने सात जलमीनारों का निर्माण करते हुए वाटर सप्लाइ के लिए पाइप लाइन बिछायी है. इसके द्वारा शहर के अधिकांश हिस्सों में पेयजल आपूर्ति का विभागीय अधिकारी दावा कर रहे हैं. वहीं, हकीकत है कि शहर की बमुश्किल 30 से 35 फीसदी आबादी के बीच ही नियमित पेयजल आपूर्ति हो पाती है
कई स्थानों पर पाइप लाइन में लीकेज के कारण सड़कों पर पानी पसरा रहता है. वार्ड नंबर 27 हनुमंत नगर में बनी जलमीनार एक दशक पूर्व बन कर तैयार हुई. मुहल्ले के नंदकिशोर प्रसाद कहते हैं कि जलमीनार निर्माण के वर्षों बाद भी वाटर सप्लाइ नहीं शुरू हुई. बबुनिया रोड पर अड्डा नंबर दो के समीप जलमीनार काफी पुरानी है. संदीप सिंह कहते हैं कि तकनीकी खराबी के कारण पिछले 10 वर्षों से लोगों के घरों में वाटर सप्लाइ नहीं हो रही है. पुलिस लाइन, विदुरतीहाता, चकिया, महादेवा, नयी बस्ती, फतेहपुर, शिवाजी नगर, एमएम कॉलोनी,
मखदुमसराय, मौली के बथान समेत अन्य मुहल्ले में पाइपलाइन भी नहीं बिछायी जा सकी है. इसके चलते पेयजल संकट से जूझते नागरिकों की समस्या को रेखांकित करते हुए कार्यपालक पदाधिकारी आरके लाल से पूछे जाने पर वह कहते हैं कि चार जलमीनारें बन रही हैं. इनके बन जाने पर काफी हद तक पेयजल संकट से निजात मिल जायेगी.
नगर पंचायत, मैरवा : जिले के मैरवा कसबे को वर्ष 2000 में नगर पंचायत का दर्जा मिला. तकरीबन 30 हजार की आबादी वाले उपनगर को 13 वार्डों में विभाजित किया गया है. यहां पेयजल आपूर्ति के लिए प्रखंड कार्यालय परिसर में जलमीनार का निर्माण कराया गया है. दो करोड़ की लागत से वर्ष 2010 में जलमीनार बन कर तैयार हो गयी,
लेकिन चौदह वर्ष बाद भी उपनगर में पेयजल की आपूर्ति शुरू नहीं हुई है. इससे लोगों में नाराजगी है. पेयजल की उम्मीद में 40 परिवारों ने कनेक्शन भी लिया है. इस संबंध में नगर पंचायत की सभापति शुभावती देवी कहती है कि दो माह पूर्व ही जलमीनार हमें हैंड ओवर हुई है. पूर्व में प्रखंड कार्यालय के जिम्मे थी. अब चुनाव आचार संहिता लग जाने के कारण इस क्षेत्र में कोई कार्य नहीं हो पा रहा है.
नगर पंचायत, महाराजगंज
अनुमंडल मुख्यालय के साथ ही महाराजगंज जिले के पुराने बाजार के रूप में इसकी पहचान रही है. वर्ष 2001 में इसे सरकार ने नगर पंचायत का दर्जा दिया. इसके बाद लोगों में बेहतर बुनियादी सुविधाएं मिलने की एक उम्मीद जगी. तकरीबन 32 हजार की आबादी वाले उपनगर में पेयजल आपूर्ति के लिए एक जलमीनार का निर्माण वर्ष 2007 में हुआ.
इस पर एक करोड़ 39 लाख 75 हजार रुपये खर्च हुए. इसके बाद अब हाल यह है कि लगभग 75 फीसदी आबादी के हिस्से में ही पाइप लाइन बिछायी गयी है. इसके बाद भी मात्र ब्लॉक कैंपस से राजेंद्र चौक तक तीन सौ मीटर की दूरी पर ही वाटर सप्लाइ शुरू हो सकी है. नगर पंचायत की अध्यक्ष शारदा देवी कहती हैं कि जगह-जगह पाइप लाइन में लीकेज के कारण वाटर सप्लाइ बाधित है. इसके निर्माण के लिए टेंडर प्रस्तावित है.

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