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बेकार पड़े हैं यूरिनल, कभी नहीं जली हाइमास्ट लाइट

चिंताजनक. पांच लाख के चलंत शौचालय खा रहे जंग नगर पर्षद के फाइबरयुक्त यूरिनल पड़े कूड़े के ढेर पर लगने के चंद दिन बाद ही बेकार हो गयीं दर्जनों हाइमास्ट लाइटें सीवान : आम आदमी की सुविधा के लिए राज्य व केंद्र की सरकारों द्वारा गठित विभिन्न निधियों के माध्यम से हर वर्ष करोड़ों रुपये […]

चिंताजनक. पांच लाख के चलंत शौचालय खा रहे जंग

नगर पर्षद के फाइबरयुक्त यूरिनल पड़े कूड़े के ढेर पर
लगने के चंद दिन बाद ही बेकार हो गयीं दर्जनों हाइमास्ट लाइटें
सीवान : आम आदमी की सुविधा के लिए राज्य व केंद्र की सरकारों द्वारा गठित विभिन्न निधियों के माध्यम से हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं, जिससे कि लोगों को उसका लाभ मिल सके. खर्च हो रहे बजट पर निगरानी के लिए अफसरों की जवाबदेही भी तय की गयी है, लेकिन ऐसे बहुतेरे परियोजना का जमीनी सच बहुत निराशाजनक है, जिसका लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता है. साथ ही उपलब्ध कराये गये सामान बरबाद हो रहे हैं. सरकारी धन की बरबादी के आलम पर नजर के क्रम में सांसद निधि के दुरुपयोग से बात शुरू करते हैं.
दरौली प्रखंड मुख्यालय के थाना मोड़, मुख्य चौराहा व मेला स्थल पर एक वर्ष पूर्व हाइमास्ट लाइट लगी थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि लाइट लगने के बाद कभी जली नहीं. इस संबंध में सांसद ओमप्रकाश यादव कहते हैं कि यह उनके संज्ञान में नहीं था. अब इस मामले में पहल करूंगा.
शौचालय के नाम पर भी बड़ी रकम खर्च हुई
विद्युत विभाग के मैरवा एसडीओ शिव कुमार का कहना है कि इसके लिए अब तक कोई कनेक्शन नहीं लिया गया है. कनेक्शन के लिए आवेदन आने पर पहल की जायेगी. उधर, सांसद निधि से खरीदे गये चलंत शौचालय के नाम पर भी बड़ी रकम खर्च हुई है. दो वर्ष पूर्व पांच लाख के बजट से चार चलंत शौचालय खरीदे गये. इसमें से दो नगर पर्षद, सीवान व दो शौचालय नगर पंचायत, मैरवा को मुहैया कराये गये हैं.
हाल यह है कि ये सब शौचालय लावारिस हालत में पड़े हैं. अब बात करते हैं नगर पर्षद के द्वारा जनहित में खरीदे गये कई सामान की. शहर में कई स्थानों पर कूड़ा पात्र लावारिस हालत में पड़े हैं.
इसके अलावा लोगों को घर-घर कूड़ा एकत्रित करने के लिए नगर पर्षद द्वारा खरीदी गयी बड़ी संख्या में बाल्टियां बेकार पड़ी हैं. नगर पर्षद के ही द्वारा फाइबर निर्मित काफी संख्या में यूरिनल की खरीद की गयी थी. इसे शहर के विभिन्न स्थानों पर लगाया गया. लेकिन इसमें पानी की सप्लाइ नहीं होने से शुरू से ही बेकार पड़े हैं. इसके अलावा सोलर लाइटें भी अधिकांश स्थानों पर खराब पड़ी हैं. वहीं, इसे लगानेवाली एजेंसी के ही जिम्मे इसका रखरखाव भी है. बानगी के तौर पर देखें, तो ऐसी शिकायतें पचरुखी, हुसैनगंज में हैं. सदर अस्पताल में सरकार द्वारा शव को ले जाने के लिए तीन वर्ष पूर्व वाहन उपलब्ध कराया गया. लेकिन विभाग ने कभी उपयोग नहीं किया.

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