सीवान : पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन के अपने मुकदमों का खर्च उठाने से असमर्थता जताते हुए सरकारी खर्च पर अधिवक्ता बहाल करने की मांग का मामला पिछले तीन वर्षों से हाइकोर्ट में लंबित है. इसके चलते उनसे जुड़े तकरीबन चार दर्जन मुकदमों की सुनवाई विशेष अदालत में लंबित है. इन सभी मामलों में मो शहाबुद्दीन को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.तीन वर्ष पूर्व मो शहाबुद्दीन ने विशेष अदालत के न्यायाधीश तत्कालीन एडीजे एक एसके पांडे की अदालत में आवेदन देकर अपने मुकदमों की पैरवी करने में आर्थिक कारणों से असमर्थता जतायी थी. साथ ही सरकारी खर्च पर अधिवक्ता बहाल करने की मांग की थी.
इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए अधिवक्ता बहाल कर दिया. इसके विरोध में अभियोजन पक्ष ने हाइकोर्ट में रिट दायर कर निचले आदेश पर रोक लगाने की मांग की. अभियोजन पक्ष ने दलील दी थी कि मो शहाबुद्दीन सांसद रह चुके हैं. उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि उन्हें सरकारी खर्च पर अधिवक्ता मुहैया कराया जाये. इसके बाद से यह आवेदन हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है, जिसका नतीजा है कि विशेष अदालत में बचाव पक्ष की तरफ से अधिवक्ता की उपस्थिति नहीं होने से मुकदमे की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ रही है. कई मामलों में गवाह कोर्ट में आने के बाद गवाही दिये बिना लौट जाते हैं. इस संबंध में सहायक अभियोजक रघुवर सिंह कहते हैं कि हाइकोर्ट में सुनवाई के लिए मामला लंबित है. अगली सुनवाई की तिथि भी करीब है. उन्होंने स्वीकार किया कि बचाव पक्ष के अधिवक्ता के न होने के चलते विशेष अदालत में मुकदमे की सुनवाई बाधित हो रही है. श्री सिंह ने कहा कि इन सभी मामलों में मो शहाबुद्दीन को कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.