उदासीनता. अधिकतर नलकूपों की नालियां हुईं अनुपयोगी
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42 में से 14 राजकीय नलकूप ही हैं चालू
उदासीनता. अधिकतर नलकूपों की नालियां हुईं अनुपयोगी सिंचाई इंतजाम नाकाफी रहने से मुश्किल में किसान बारिश का ही सामान्य किसानों को रह गया भरोसा किसानों की बढ़ी परेशानी सीवान : रबी के मौसम में किसानों की एक बार फिर सरकारी सिंचाई इंतजाम ध्वस्त होने से परेशानी बढ़ गयी है. नहरें सूखी पड़ी हैं. उधर, अधिकांश […]
सिंचाई इंतजाम नाकाफी रहने से मुश्किल में किसान
बारिश का ही सामान्य किसानों को रह गया भरोसा
किसानों की बढ़ी परेशानी
सीवान : रबी के मौसम में किसानों की एक बार फिर सरकारी सिंचाई इंतजाम ध्वस्त होने से परेशानी बढ़ गयी है. नहरें सूखी पड़ी हैं. उधर, अधिकांश सरकारी नलकूपों के ध्वस्त हो जाने से ये बेकार पड़े हुए हैं. उनकी नालियों का कई इलाकों में नामोनिशान मिट गया है. ऐसे में अब मौसम की बारिश का ही सामान्य किसानों को भरोसा रह गया है.
हाल यह है कि सरकारी सिंचाई इंतजाम लंबे समय से बेकार पड़े हैं.आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में विभिन्न पंचायतों में सिंचाई के लिए तीन दशक पूर्व के बने नलकूप मौजूद हैं.इसके बाद शासन ने इस मामले में कोई बड़ी दिलचस्पी नहीं दिखलाई. राजकीय नलकूपों की संख्या 42 है. इसमें विभाग के मुताबिक मात्र 14 चालू हालत में हैं. इसी तरह नाबार्ड द्वारा स्थापित नलकूप 174 हैं. जिसमें से फेज वन में 52 नलकूप बनें. इनमें से 35 चालू हालत में हैं. इसके अलावा फेज दो के 122 नलकूपों में से 56 सिंचाई योग्य हैं.
ये कागजों पर दर्ज किये गये आंकड़ें हैं. वहीं, विभागीय जानकारों का मानना है कि बंद दरसाये गये नलकूपों के अलावा यांत्रिक व विद्युत खराबी के कारण बंद पड़े नलकूपों की संख्या भी अधिक है. इसके अतिरिक्त कई जगह हाल यह है कि नलकूप हैं, पर इसकी नालियां ध्वस्त हैं. इससे लोगों के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाता है. अव्यवस्था का आलम इस कदर है कि दरौंदा प्रखंड के रमसापुर में तीन वर्ष पूर्व नलकूप निर्माण शुरू हुआ.
लेकिन अब भी कार्य पूरा नहीं हो सका है. उधर यही हाल जीरादेई प्रखंड के छितनपुर गांव का भी है. यहां दस वर्ष पूर्व नलकूप का निर्माण कराया गय, लेकिन आज तक कार्य अधूरा है. इसको लेकर ट्रांसफाॅर्मर व विद्युत पोल लगाने सहित पाइप बिछाने का कार्य भी पूरा हो गया. इसके बाद भी सिंचाई सुविधा का ग्रामीणों को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
भगवान भरोसे है खेतों की सिंचाई
किसानों का कहना है कि नलकूप बंद होने के कारण सिंचाई भगवान भरोसे रहती है. भगवानपुर हाट के किसान मिथिलेश्वर प्रसाद का कहना है कि नलकूप के सही से व्यवस्था नहीं होने के कारण किसान सिंचाई से वंचित हैं. चोरौली निवासी किसान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सभी जगहों पर नलकूप की व्यवस्था नहीं होने के कारण बहुत से पंचायत इससे वंचित हैं. चाह कर भी किसान कुछ नहीं कर पाते हैं. मीरा टोला निवासी किसान काशी नाथ पांडेय का कहना है कि अधिकांश नलकूप बंद हैं.
इसकी मरम्मत के लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा कोई पहल नहीं की जाती है. सोंधानी निवासी किसान राजेंद्र पांडेय का कहना है कि जो नलकूप लगे हैं, वह पांच किलोमीटर दूर है. ऐसे में सिंचाई की कल्पना नहीं की जा सकती. ऐसे में सिंचाई अब भगवान भरोसे रह गयी है. इस कारण बारिश का सहारा रहता है. दरौंदा प्रखंड के रमसापुर निवासी किसान राजू गिरि कहते हैं कि सरकारी सिंचाई इंतजाम के भरोसे फसल को सिंचित करना संभव नहीं है. हमने नलकूप स्थापित करने के लिए जमीन दी, पर तीन वर्ष बाद भी निर्माण अधूरा है.
एक नजर में सरकारी नलकूप
जिले में राजकीय नलकूप 42 हैं
जिले में राजकीय नलकूप 14 चालू हालत में हैं
नाबार्ड द्वारा फेज एक में स्थापित नलकूप 52 हैं
नाबार्ड द्वारा फेज एक में स्थापित नलकूप में से 35 चालू हालत में हैं
नाबार्ड द्वारा फेज दो में स्थापित नलकूप 122 हैं
नाबार्ड द्वारा फेज दो में स्थापित नलकूप में से 56 चालू हालत में हैं
खराबी दूर करने का हो रहा प्रयास
बंद पड़े नलकूपों की खराबी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. विद्युत व यांत्रिक खराबियों का आंकलन कर संबंधित कर्मियों को निर्देशित किया जायेगा.
संजय कुमार, कार्यपालक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग, सीवान
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