महाराजगंज : रबी फसल का सस्ती पटवन बड़ी समस्या बनी हुई है. किसानों को नोटबंदी में निजी नलकूपों से पटवन की चिंता सता रही है. क्षेत्र में कहीं भी सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. प्रखंड क्षेत्र में आठ सरकारी नलकूप लगे हैं. छोटी-छोटी गड़बड़ी से नलकूप से पानी नहीं निकलता है. कई नलकूपों पर […]
महाराजगंज : रबी फसल का सस्ती पटवन बड़ी समस्या बनी हुई है. किसानों को नोटबंदी में निजी नलकूपों से पटवन की चिंता सता रही है. क्षेत्र में कहीं भी सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है. प्रखंड क्षेत्र में आठ सरकारी नलकूप लगे हैं. छोटी-छोटी गड़बड़ी से नलकूप से पानी नहीं निकलता है. कई नलकूपों पर ऑपरेटर नहीं हैं. जो हैं, नलकूप बंद हैं.
अकिल टोला नलकूप के कुछ नालाें का निर्माण हुआ है. बाकी महुआरी, जिगरावां, सिकटिया, आदि सात नलकूप के पास पानी वितरण करने के लिए नाला नहीं है. प्रखंड क्षेत्र से होकर बहनेवाली नदियों में सुखाड़ की स्थिति है. कुछ किसानों को छोड़ दें, तो आज भी प्रखंड के अधिकतर किसान बारिश के पानी के भरोसे ही अपनी खेती कर रहे हैं. लगभग 58 सौ हेक्टेयर खेत में रबी की बुआई हुई है. जो पिछले साल की अपेक्षा काफी अधिक है. पिछले साल भी सरकारी नलकूप से सिंचाई नहीं हो सकी थी. यही हाल इस साल भी होने की संभावना है.
समस्या को गंभीरता से नहीं लेते अधिकारी : नहरों की सफाई व बंद पड़े नलकूपों को सिंचाई लायक व्यवस्थित करने के प्रति अधिकारी उदासीन हैं. प्रखंड क्षेत्र में नहरों की सफाई नहीं होने से किसानों के खेत तक पानी पहुंचना मुश्किल हो रहा है. आवश्यकता के अनुसार सरकारी नलकूप नहीं है. सभी आठ नलकूप हैं. विभाग की लापरवाही से किसी न किसी कारण से बंद है. इसके कारण किसानों को सस्ता पानी पटवन के लिए नहीं मिल पा रहा है. सरकार के प्रयास के बावजूद संबंधित विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
बंद पड़े नलकूपों को चालू कराने की होगी पहल
कृषि विभाग के सर्वे के हिसाब से बंद पड़े आठ नलकूप के अलावा वर्तमान में 14 सरकारी नलकूपों की आवश्यकता प्रखंड क्षेत्र में है. बंद पड़े नलकूप को चालू कराने व नये नलकूप स्थापित करने की पहल की जायेगी.
रवि कुमार, बीडीओ, महाराजगंज