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विभाग ने टीबी से छुटकारा दिलायी एनजीओ ने दिया रोजगार का साधन

सीवान : जीरादेई प्रखंड के तितरा मिश्रौली गांव का मियां, जो करीब तीन सालों से टीबी के कारण जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर था, वह टीबी से पूर्ण रूप से ठीक हो चुका है. भोला को स्वस्थ होने में उसका स्वयं, यक्ष्मा विभाग व टीबी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था डीएफआइटी का […]

सीवान : जीरादेई प्रखंड के तितरा मिश्रौली गांव का मियां, जो करीब तीन सालों से टीबी के कारण जिल्लत की जिंदगी जीने को मजबूर था, वह टीबी से पूर्ण रूप से ठीक हो चुका है. भोला को स्वस्थ होने में उसका स्वयं, यक्ष्मा विभाग व टीबी के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था डीएफआइटी का महत्वपूर्ण योगदान है.

एनजीओ ने बुधवार को भोला के जीवन यापन के लिए 15 हजार रुपए मूल्य की सिलाई मशीन खरीद कर दी. भोला को टीबी व गरीबी दोनों से मुक्ति मिल गयी. जिले में एमडीआर के और भी मरीज ठीक हुए हैं. लेकिन, भोला विभाग के नियमानुसार 24 महीने की दवा खाने के बाद ठीक हुआ है. दवा खाने में न तो उसने कोई लापरवाही की और न आरएनटीसीपी कार्यक्रम से जुड़े स्वास्थ्यकर्मियों व एनजीओ ने. सभी ने यह कर दिखाया कि अगर लगन से काम किया जाये, तो जिले को टीबी से मुक्ति दिलायी जा सकती है.

22 मार्च, 2014 से भोला का शुरू हुआ था एमडीआर का ट्रीटमेंट : भोला को जब 2014 में मल्टी ड्रग्स रेसीसटेंस टीबी बीमारी की पहचान हुई, तो उसका इलाज 22 मार्च, 2014 से शुरू किया गया. भोला जीने के लिए टीबी की दवा समय से खाता था और दवा खत्म होने के बाद जिला यक्ष्मा केंद्र से दवा आकर ले भी जाता था. डॉक्टरों द्वारा दी गयी सलाह का वह पालन करता था. समय-समय पर होनेवाले एमडीआर जांच भी कराता था. भोला को 26 माह तक दवा देने के बाद जब उसकी रिपोर्ट सही आयी, तो 21 मई, 2016 को डॉक्टरों ने दवा बंद कर दी. उसके बाद नियमानुसार कई जांच की गयीं. जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे टीबी से पूर्ण रुप से मुक्त होने की बात बतायी. करीब तीन साल के इलाज से ठीक होने के बाद भोला के सामने पेट पालने की समस्या थी. वह सिलाई का काम तो जानता था. लेकिन, उसके पास एक पैसा भी नहीं था. टीबी से मुक्त होने के बाद भोला गरीबी से मुक्ति पाने के लिए अक्सर जिला यक्ष्मा विभाग में आता था. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ सुरेश शर्मा ने डीएफआइ के डॉ. राघवेंद्र मिश्रा से बात की और उसे एनजीओ के सहयोग से जीवन यापन के लिए एक सिलाई मशीन देने का निर्णय लिया. जिला यक्ष्मा पदाधिकारी सह सहायक एसीएमओ डॉ. सुरेश शर्मा ने आरएनटीसीपी से जुड़े सभी स्वास्थ्यकर्मियों व एनजीओ के कार्यों की सराहना की. मौके पर यक्ष्मा विभाग के दिलीप कुमार, प्रदीप कुमार, अब्दुल झनान आदि उपस्थित थे.
26 महीनों के इलाज के बाद एमडीआर मरीज का मरीज हुआ स्वस्थ
जिले का यह पहला केस है, जिसमें उचित समय में मरीज हुआ ठीक
डॉक्टर की दी गयी हर सलाह का करता था पालन

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