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बड़े नोट का खुल्ला कराने में हो रही परेशानी

महाराजगंज : नोटबंदी के बाद महाराजगंज का बाजार ठप हो गया है. बाजार के छोटे-बड़े सभी व्यापारियों का धंधा बरबाद हो रहा है. शहर से गांव हर जगह यही स्थिति बनी हुई है. लिहाजा, जहां लोगों को खरीदारी में परेशानी हो रही है, वहीं व्यवसायी वर्ग को बड़े नोट का खुल्ला करने में व सिक्के […]

महाराजगंज : नोटबंदी के बाद महाराजगंज का बाजार ठप हो गया है. बाजार के छोटे-बड़े सभी व्यापारियों का धंधा बरबाद हो रहा है. शहर से गांव हर जगह यही स्थिति बनी हुई है. लिहाजा, जहां लोगों को खरीदारी में परेशानी हो रही है, वहीं व्यवसायी वर्ग को बड़े नोट का खुल्ला करने में व सिक्के को खर्च करने में समस्या आ रही है. अलबत्ता, दुकानदार दो हजार का नोट व सिक्का लेने से साफ इनकार कर रहे हैं. आंकड़ों की मानें, तो हर सप्ताह लगभग सात से 10 लाख से अधिक का व्यवसाय करने वाले महाराजगंज बाजार में पिछले 10 दिनों में तीन लाख का भी व्यवसाय नहीं हो सका है. इस बाबत बरतन व्यवसायी कमला प्रसाद कसेरा बताते हैं कि सौ दो सौ के सामान के बदले ग्राहक दो हजार का नोट थमा देते हैं.

ऐसे में एक या दो लोगों को खुदरा देने के बाद खुल्ला पैसे ही खत्म हो जाते हैं. इसके बाद किसी ग्राहक को सामान नहीं बेच पाते हैं. वहीं, राशन के थोक व खुदरा व्यवसायी प्रेम कुमार प्रेमी कहते हैं कि वर्तमान में ग्राहक सिक्कों से भरी थैली या दो हजार का नोट लेकर खरीदारी के लिए पहुंच रहे हैं, सौ व पांच सौ के नोट के बिना ये दोनों ही बेकार हैं. फल विक्रेता चुन्ना मियां ने बताया कि इस व्यवसाय में वे पिछले 10 साल से लगे हैं, लेकिन ऐसी मंदी पहले कभी नहीं हुई थी. मुसीबत यह कि लोग फल लेने आ रहे हैं. पैसे भी दे रहे हैं, लेकिन उन्हें हम फल नहीं बेच पाते. क्योंकि या तो वो सारे पैसे सिक्के में अथवा दो हजार के नोट. नोट का खुल्ला नहीं दे पाते और छुट्टा लेने पर उसे खर्च करने में परेशानी होती है. उन्होंने बताया कि फल व्यवसाय की शुरुआत उनके पिता ने की थी. लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ था कि फल भी है, ग्राहक पैसे भी दे रहे हैं, लेकिन धंधा बैठ गया है. वहीं, इलेक्ट्राॅनिक व्यवसायी विजय कुमार, मोबाइल विक्रेता सोनू कुमार व सीमेंट विक्रेता भरत प्रसाद ने भी बताया कि अजीब स्थिति बन गयी है. ग्राहक पैसे दे रहे हैं, दुकानदारों के पास सामान है, इसके बावजूद बिक्री नहीं हो रही है. कारण कभी छुट्टा पैसा का अभाव, तो कभी सारा पैसा ही छुट्टे में मिल रहा है. सबकी निगाहें एटीएम व बैंक में आनेवाले सौ व पांच सौ के नये नोट के इंतजार में टकटकी लगाये बैठी हैं.

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