सीवान : इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल हादसे में ऐसे तो 142 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है. इनमें सीवान के एक ही परिवार के तीन सदस्य भी शामिल रहे. पचरुखी प्रखंड के हकमा गांव के सुबोध सिंह की पत्नी रत्निका सिंह व दो बेटी श्रेया व श्रुति हादसे में अपनी जान गंवा चुकी हैं. अब अगर शेष रह गया है, तो पीछे इनके द्वारा छोड़े गये रिश्ते. रत्निका की मौत ने सात जन्मों को निभाने की कसम खाने वाले वादे को सुबोध से तोड़ दिया है, तो उस भाई की कलाई भी सूनी हो गयी है, जिसे हर वर्ष अपनी बहन रत्निका के आने का इंतजार रहता था. उधर, मासूम व सबकी लाडली श्रेया (03) व श्रुति (05) की मौत ने उनसे जुड़े सबके सपनों को चकनाचूर कर दिया है.
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रत्निका को याद कर हर किसी की आंखें हुईं नम
सीवान : इंदौर-पटना एक्सप्रेस रेल हादसे में ऐसे तो 142 से अधिक लोगों की मौत हो गयी है. इनमें सीवान के एक ही परिवार के तीन सदस्य भी शामिल रहे. पचरुखी प्रखंड के हकमा गांव के सुबोध सिंह की पत्नी रत्निका सिंह व दो बेटी श्रेया व श्रुति हादसे में अपनी जान गंवा चुकी हैं. […]
रत्निका शादी के बाद भले ही हकमा गांव से अपने जीवन की नयी शुरुआत की, पर उसके पहले का जीवन शहर के महादेवा नई बस्ती में ही गुजरा था. नईबस्ती महादेवा के अपूर्वा रंजन ने बताया की हमने व रत्निका ने एक ही साथ डीएवी महाविद्यालय से पीजी की पढ़ाई की. रत्निका शुरू से ही पढ़ने में तेज थी. जब से घटना की जानकारी मिली है, तब से हमलोगों का हृदय दहल गया है. इसी मुहल्ले की शांभवी ने बताया की हम दोनों एक अच्छे दोस्त थे.
एक साथ ही मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की. मध्य विद्यालय कचहरी के सेवानिवृत शिक्षिका कांति देवी ने बताया कि रत्निका मेरी कक्षा की छात्रा थी. गांधी मैदान मुहल्ले की रहने वाली दोस्त सोनी कुमारी ने बताया कि हमारे स्कूल में वे हमसे जूनियर थीं. एक साथ ही डीएवी काॅलेज जाते थे. उसका व्यवहार काफी मिलनसार था. रत्निका ने अपने मायके नई बस्ती से सटे मध्य विद्यालय कचहरी मोती स्कूल से पढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई नगर के ही राजवंशी देवी उच्च विद्यालय से पूरी की. उनकी शादी 2006 में जीवी नगर थाने के हकमा गांव के सुबोध सिंह के साथ हो गयी. शादी के दो वर्ष बाद उनकी पीजी की पढ़ाई पूरी हुई. चचेरे भाई राहुल कुमार से जब रत्निका के संबंध में बातचीत की गयी, तो आंख भर आयी. रोते-रोते बताया कि वह चार बहन व एक भाइयों में छोटी थी. हमेशा वह सभी का हालचाल लेती रहती थी. सभी बहनों व भाई का शादी हो चुकी है. इसमें बहन में निहारिका, गुड़िया, भोतफुल व भाई अभिषेक कुमार बुल्लु हैं. नई बस्ती महादेवा के कुमार राकेश कहते हैं कि अब मेरे हाथ पर अब राखी कौन बांधेगा. रत्निका की मौत के बाद रिश्ते के भाई राकेश की आंखों के आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं. हर रक्षाबंधन पर रत्निका अपने भाई राकेश को स्वयं राखी बांधती थी या फिर डाक से राखी भेजना नहीं भूलती थी.
किसी ने खोया अपनी लाडली को, तो किसी
ने सहेली
रत्निका से जुड़ीं बातों को याद कर रो उठा हर जाननेवाला
काफी मिलनसार था रत्निका का व्यवहार
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