सीवान : स्वास्थ्य विभाग द्वारा पांच सौ बेडवाले अस्पताल के रूप में सदर अस्पताल को मान्यता दिये जाने के करीब सात साल बाद भी पूर्ण अस्तित्व में नहीं आ सका सदर अस्पताल. सदर अस्पताल जिले के करीब 37 लाख लोगों के उपचार करने की जिम्मेवारी है. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण पूर्ण रूप से […]
सीवान : स्वास्थ्य विभाग द्वारा पांच सौ बेडवाले अस्पताल के रूप में सदर अस्पताल को मान्यता दिये जाने के करीब सात साल बाद भी पूर्ण अस्तित्व में नहीं आ सका सदर अस्पताल. सदर अस्पताल जिले के करीब 37 लाख लोगों के उपचार करने की जिम्मेवारी है. लेकिन संसाधनों की कमी के कारण पूर्ण रूप से अस्तित्व में नहीं आने के कारण लोगों को पूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पाता है.
डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण कई विभागों के ओपीडी नहीं चलते हैं. अस्पताल में रखे कीमती उपकरण डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी कारण जंग खा रहे हैं. सदर अस्पताल में मुश्किल से महिला व पुरुष वार्ड को मिला दिया जाये, तो 60 बेडों की भी व्यवस्था सदर अस्पताल में नहीं है. इसके अलावे मरीजों को मिलनेवाली अन्य सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों की संख्या सामान्य वार्ड में कम रहती है. कोई भी मरीज जब सदर अस्पताल आता है, तो विशेषज्ञ डॉक्टरों के उपल्ब्ध नहीं रहने के कारण उसे रेफर कर दिया जाता है.
हाथी का दांत बना सदर अस्पताल का आइसीयू : मरीजों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग ने करीब एक दशक पूर्व सदर अस्पताल में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित आइसीयू का निर्माण तो करा दिया. लेकिन डॉक्टरों व कर्मचारियों के अभाव में यह आइसीयू मरीजों के लिए हाथी का दांत ही साबित हुआ है. आइसीयू में रोज एएनएम की ड्यूटी लगती है. लेकिन आइसीयू के लिए विभाग ने अब तक कोई स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की पदस्थापना नहीं की गयी, जिसके कारण इसका लाभ मरीजों को नहीं मिलता है. कागज पर सदर अस्पताल का आइसीयू रनिंग पोजीशन में है. वैसे इसका इस्तेमाल वीआइपी मरीजों के लिए सामान्य वार्ड के रूप में किया जाता है.
नहीं चलते है कई विभागों के ओपीडी : सदर अस्पताल में सभी विभागों के ओपीडी नहीं चलते हैं. मुख्य रूप से जेनेरल, महिला, नेत्र व आंशिक रूप से चाइल्ड ओपीडी ही चलता है. डॉक्टर के नहीं रहने से आॅर्थोपेडिक्स, स्किन, इएंडटी विभागों के ओपीडी प्राय: नहीं चलते हैं. सदर अस्पताल में आॅर्थोपेडिक्स के मात्र एक डॉक्टर उपाधीक्षक डॉ एमके आलम हैं. जो हमेशा कार्यालय के कार्य में ही व्यस्त रहने के कारण ओपीडी में समय नहीं दे पाते. इसी तरह नेत्र रोग का ओपीडी तो चलता है लेकिन अधिकांशत: आपथेलमिक सहायक ही मरीजों का इलाज करते हैं. सदर अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर हैं, जिनके पास नेत्र रोग के अलावे रेडक्राॅस सोसाइटी के अध्यक्ष कार्य, ब्लड बैंक में डॉक्टर के कार्य के अलावे एसीएमओ कार्यालय से जुड़े अंधापन निवारण कार्यक्रम की जिम्मेवारियां शामिल हैं. इसी कारण ये ओपीडी में मरीजों को बहुत ही कम समय दे पाते हैं.
सदर अस्पताल .
डॉक्टरों व कर्मचारियों की है कमी
सदर अस्पताल में डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी है. किसी तरह काम चलाया जा रहा है. डॉक्टरों की कमी के कारण ही कई विभागों के ओपीडी को बंद कर दिया गया है. कई विभागों में तो या तो एक डॉक्टर है या विभाग ही खाली है.
डॉ एमके आलम, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल