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प्रसूताओं को प्रोत्साहन राशि मिलने में आयी बाधा

प्रसव के बाद प्रोत्साहन राशि के लिए लगा रही हैं अस्पताल का चक्कर प्रसव के बाद नवजात शिशु का नहीं मिल रहा है तुरंत जन्म प्रमाणपत्र सीवान : जननी बाल सुरक्षा योजना के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में प्रसव करानेवाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 14 सौ तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए […]

प्रसव के बाद प्रोत्साहन राशि के लिए लगा रही हैं अस्पताल का चक्कर

प्रसव के बाद नवजात शिशु का नहीं मिल रहा है तुरंत जन्म प्रमाणपत्र

सीवान : जननी बाल सुरक्षा योजना के अंतर्गत सरकारी अस्पतालों में प्रसव करानेवाली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 14 सौ तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. अगस्त से विभाग ने प्रसूताओं महिलाओं को प्रोत्साहन राशि देने की प्रक्रिया में काफी बदलाव किया है. लेकिन, इसकी सूचना लाभुक को नहीं होने से प्रसव के बाद महिलाएं प्रोत्साहन के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रही हैं.

पहले प्रसव के तुरंत बाद महिलाओं को चेक व बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र दे दिया जाता था. जन्म प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया में तो कोई बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन प्रोत्साहन राशि अब सीधे लाभुक के खाते में एक अगस्त से भेजने की व्यवस्था विभाग ने की है. रोज सुबह में महिलाएं सदर अस्पताल के एकाउंटेंट के यहां यह शिकायत करने पहुंचती हैं कि उनका पैसा खाते में नहीं आया.

प्रक्रिया बदलाव की विभाग ने नहीं चिपकायी सूचना : एक अगस्त से जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं को उनके बैंक खाते में ही प्रोत्साहन की राशि भेजी जा रही है. इस बदली नयी प्रक्रिया की सूचना विभाग ने वार्डों में नहीं चिपकायी है. इसके कारण प्रसव के बाद प्रसूताएं चेक के लिए टकटकी लगायी रहती हैं. हालांकि, विभाग ने इसकी जानकारी आशा को दे दी है. लेकिन जो मरीज सीधे स्वयं अस्पताल आ जाते हैं. उनके लिए थोड़ी परेशानी जरूर होती है.

प्रसूताओं को प्रोत्साहन राशि लेने के लिए अपने बैंक पासबुक की फोटो कॉपी, अस्पताल की परची की छाया प्रति, एक पासपोर्ट साइज का फोटो तथा आरआइ कार्ड, जिस पर एमसीटीसी नंबर लिखा हो. उपरोक्त कागजात देने के बाद लाभुक के खाते में दो से तीन दिनों के अंदर राशि भेज देने का दावा विभाग करता है, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रोत्साहन की राशि लेने में प्रसूताओं को कई बार अस्पताल का चक्कर लगाना पड़ता है.

बिना पैरवी के नहीं मिलता शिशु का जन्म प्रमाणपत्र : सदर अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों का प्रमाणपत्र पहले दूसरे दिन बेड पर ही मिल जाता था. वहीं, प्रसूताओं का आरोप है कि अब तो शिशु का जन्म प्रमाणपत्र बिना पैरवी के मिलना मुश्किल है. विभाग के नियम के अनुसार, जब तक प्रसूता अस्पताल में है, तब तक बिना किसी आवेदन के अस्पताल में ही जन्म प्रमाणपत्र उसके घर वालों को दे देना है. लेकिन, इधर कई महीनों से अस्पताल में पैदा होने वाले बच्चों के परिजन जन्म प्रमाणपत्र के लिए दौड़ते हैं. सदर अस्पताल में प्रतिदिन करीब 20 बच्चे जन्म लेते हैं.

दो माह का चेक से हुआ भुगतान

प्रोत्साहन राशि लेने की प्रक्रिया, तो अप्रैल से बदली है, लेकिन काफी बैक लॉग होने के कारण जून ओर जुलाई में विभाग के निर्देश पर दो माह का चेक से भुगतान किया गया. आज बदली हुई नयी प्रक्रिया की सूचना वार्ड में चिपका दी गयी है. वैसे आशा को प्रशिक्षण के दौरान ही इसकी जानकारी दी गयी है.

निशांत सागर, अस्पताल प्रबंधक

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