सीवान : गांवों के विकास के लिए अब पंचायतों के खाते में सीधे धनराशि भेजने के बाद अब उसकी ऑडिट की जरूरत महसूस की जाने लगी है. इसके तहत योजनाओं के खर्च की सच्चाई अब ग्राम पंचायत स्तर पर जानने के लिए उसकी ऑडिट कराने का फैसला किया गया है. चतुर्थ वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में पंचायतों का अंकेक्षण अनिवार्य कर दिया गया है. इसके बाद सरकार ने उक्त आदेश जारी किया है.
पचायती राज विभाग ने उपविकास आयुक्त को उनके जिले की जिम्मेवारी दी है. साथ ही जिला पंचायती राज पदाधिकारी के सहयोग के साथ ही आदेश का पालन करेंगे और अपने स्तर से इस पर नजर रखेंगे, ताकि गड़बड़ी की संभावना नहीं रहे. वैसे भी जिले के पंचायती राज पदाधिकारी होने के नाते उनकी सर्वाधिक प्रमुख भूमिका रहेगी. पंचायतों से जुड़ी विभिन्न योजनाओं में खर्च की गयी राशि का अंकेक्षण होगा और एक-एक पाई का हिसाब होगा. पंचायतों द्वारा खर्च की जानेवाली राशि पर नकेल कसेगी और मुखिया व पंचायत समिति की मनमानी पर भी रोक लग सकेगी.
पहले पंचायतों की खर्च राशि के ऑडिट की व्यवस्था नहीं थी. स्कीम के अनुसार खर्च पूरा हो जाने और उसके भुगतान के बाद राशि के हिसाब व उसकी रिपोर्ट ही ऑडिट मानी जाती थी. उसके अलग अंकेक्षण या ऑडिट की कोई अलग से व्यवस्था नहीं थी. अब पंचायतों के वर्षवार ऑडिट की व्यवस्था से कार्यों में पारदर्शिता आयेगी व कार्य की क्वालिटी में भी सुधार होगा. साथ ही पंचायतों की योजनाओं का सही लाभ आम जनता तक पहुंच सकेगा. पंचायतों से जुड़ीं विभिन्न योजनाओं व खर्च का पूर्ण अंकेक्षण कराया जायेगा. साथ ही विभाग से खर्च की गयी राशि का कंडिकावार ब्योरा विभाग को उपलब्ध कराना है. प्रत्येक वर्ष पंचायतों की योजनाओं का पूर्ण अंकेक्षण कराया जायेगा.