सीवान : जिले में कुष्ठ उन्मूलन के लिए पारा मेडिकल वर्करों (पीएमडब्ल्यू) को वेतन देने के लिए प्रत्येक साल आनेवाले करीब 43 लाख 20 हजार रुपये विभाग प्रत्येक साल के मार्च महीने में वापस कर देता है. करीब तीन सालों से जिले में 20 पारा मेडिकल वर्करों की बहाली नहीं होने से कुष्ठ विभाग तीन […]
सीवान : जिले में कुष्ठ उन्मूलन के लिए पारा मेडिकल वर्करों (पीएमडब्ल्यू) को वेतन देने के लिए प्रत्येक साल आनेवाले करीब 43 लाख 20 हजार रुपये विभाग प्रत्येक साल के मार्च महीने में वापस कर देता है. करीब तीन सालों से जिले में 20 पारा मेडिकल वर्करों की बहाली नहीं होने से कुष्ठ विभाग तीन सालों से राशि को लौटा रहा है. पूरे राज्य में एक साथ करीब तीन साल पहले पारा मेडिकल वर्करों की बहाली निकली.
इसके लिए अभ्यर्थियों ने अपने जिले के जिला स्वास्थ्य समिति में आवेदन किया. राज्य के अन्य जिलों में पीएमडब्ल्यू की बहाली तो हो गयी, लेकिन सीवान जिले में नहीं हो सकी. ये तो विभाग के लोग ही बतायेंगे कि कहां पर पेच फंसा है.
पीएचसी, रेफरल व अनुमंडल अस्पतालों में काम करेंगे पीएमडब्ल्यू : जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, रेफरल अस्पतालों व अनुमंडलीय अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आनेवाले कुष्ठ मरीजों को दवा उपलब्ध कराने व उनका लेखा-जोखा रखने की जिम्मेवारी होगी. इसके अलावा आशा व अन्य लोगों द्वारा खोज कर लाये गये कुष्ठ के नये मरीजों को इलाज के लिए लाइनअप करना भी उनका काम होगा. जिले में कुष्ठ मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए विभाग ने पीएमडब्ल्यू की बहाली करने की योजना बनायी थी. आशा को कई प्रकार की जिम्मेवारियां होने के कारण वे कुष्ठ के नये मरीजों को खोजने में समय नहीं दे पाते हैं. इसके चलते राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन अभियान में तेजी नहीं आती है. विभाग के पास भी गिने-चुने कर्मचारी हैं. इससे किसी तरह काम निबटाया जाता है.
जिले के करीब आधा दर्जन से अधिक प्रखंड कुष्ठ बीमारी के मामले में हाइ रिस्क जोन में हैं.
क्या कहते हैं सहायक एसीएमओ
कुष्ठ विभाग में पीएमडब्ल्यू की बहाली नहीं होने से उनके वेतन मद में आनेवाले रुपये विभाग को प्रत्येक साल मार्च में वापस कर दिये जाते हैं. जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पीएमडब्ल्यू की बहाली की प्रक्रिया में तेजी लायी गयी है. उम्मीद है शीघ्र बहाली हो जायेगी.
डॉ सुरेश शर्मा