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सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिख रहा बेअसर

अनदेखी. वाहनों में लाल व नीली बत्ती लगाने की कुछ अफसरों व प्रतिनिधियों को ही है इजाजत प्रभात पड़ताल कुछ पंचायत प्रतिनिधि से लेकर विधायक तक कर रहे नियमों का उल्लंघन कुछ प्राइवेट वाहनों के ग्लास पर चढ़ी रहती है काली फिल्म सीवान :वीआइपी कल्चर में जीने की ललक में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की […]

अनदेखी. वाहनों में लाल व नीली बत्ती लगाने की कुछ अफसरों व प्रतिनिधियों को ही है इजाजत

प्रभात पड़ताल
कुछ पंचायत प्रतिनिधि से लेकर विधायक तक कर रहे नियमों का उल्लंघन
कुछ प्राइवेट वाहनों के ग्लास पर चढ़ी रहती है काली फिल्म
सीवान :वीआइपी कल्चर में जीने की ललक में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की यहां धज्जियां उड़ायी जा रही है. परिवहन नियमों के पालन का सर्वोच्च न्यायालय ने हर हाल में अनुपालन करने का निर्देश दिया है. इसके तहत लाल व नीली बत्ती लगाने से लेकर हूटर व सर्च लाइट सहित अन्य कई उपकरण लगाने के लिए गाइड लाइन जारी की गयी है. इसका यहां आम लोगों के साथ ही माननीय तक खुला उल्लंघन कर रहे हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने वीआइपी कल्चर पर रोक लगाने के लिए दायर याचिका पर अपना फैसला देते हुए दिसंबर, 2013 में संशोधित आदेश को पारित करते हुए प्रशासनिक गाड़ियों पर पीली बती के प्रयोग को पूर्णत: निषेध करते हुए वाहनों में लगनेवाली लाल व नीली बत्ती के संबंध में आदेश पारित किया. इसके अनुपालन में बिहार सरकार परिवहन विभाग ने नयी अधिसूचना जारी की. अधिसूचना संख्या 1374, दिनांक 4.3.2014 द्वारा इसका विस्तृत आदेश पारित हुआ. इसमें इन बत्तियों के प्रयोग को काफी सीमित कर दिया गया.
लेकिन, वीआइपी कल्चर के हावी होने के कारण परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही हैं. फ्लैशर के साथ लाल बत्ती लगाने का अधिकार राज्यपाल, मुख्यमंत्री के साथ ही 14 कैटेगरी को ही प्रदान किया गया है. वहीं, राज्यमंत्री, उपमंत्री, विधान परिषद के उपसभापति समेत 17 कैटेगरी को बिना फ्लैशर की लाल बत्ती लगानी है. अपने वाहनों में पीली बत्ती लगानेवाले प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को नीली बत्ती ही लगाने का आदेश है.
इनमें भी डीएम, एसपी, एएसपी, एसडीओ आदि कानून व्यवस्था में लगे अधिकारी ही इसका प्रयोग करेंगे. उन अधिकारियों के वाहन में सवार नहीं होने की स्थिति में बत्ती को काले कवर से ढक देना है. लेकिन, आम तौर पर इसका पालन नहीं किया जाता है और मात्र नेम प्लेट ही ढका जाता है. पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ही माननीय एमएलए व एमएलसी भी परिवहन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं. इनकी गाड़ियों में आमतौर पर सर्च लाइट व लाउड स्पीकर लगा हुआ नजर आ रहा है. सर्च लाइट व माइक सिर्फ पुलिस व प्रशासन की कानून व्यवस्था में लगी गाड़ियों पर ही लग सकता है,
ताकि विपरीत परिस्थिति में इसका उपयोग हो सके और भीड़ को नियंत्रित किया जा सके. प्रतिनिधियों के अतिरिक्त आम जनता भी परिवहन नियमों का उल्लंघन करती दिख रही है. सड़कों पर चलने वाले प्राइवेट लग्जरी वाहनों के ग्लास पर काली फिल्म चढ़ायी जा रही है, जो नियमों का उल्लंघन है. कई प्राइवेट वाहनों पर बड़ा-बड़ा नेम प्लेट भी लगाया गया है. एंबुलेंस का प्रयोग मरीजों की सेवा के लिए किया जाना है और अगर एंबुलेंस पर मरीज सवार नहीं है, तो लाइट व हूटर का प्रयोग नहीं करना है. लेकिन इसका उल्लंघन हो रहा है. शहर में एक स्काॅर्पियो पर लगी नीली बत्ती गाड़ी दिखती है. इसका उपयोग एंबुलेंस के रूप में करने की बात कही जाती है. लेकिन, कहीं भी इस पर एंबुलेंस नहीं लिखा गया है.
सामने की लुकिंग ग्लास पर मां मंगला लिखा हुआ है, जो नियम का उल्लंघन है. एंबुलेंस में प्रयुक्त वाहन पर एंबुलेंस लिखा होना अनिवार्य है. यहां नवनिर्वाचित एक महिला पंचायत प्रतिनिधि के लाल बत्ती लगा कर चलने की बात चर्चा में है. त्रिस्तरीय पंचायत के बड़े ओहदेदार पद पर निर्वाचित प्रतिनिधि से जब इस पर सवाल किया जाता है, तो वे सीधा सपाट जवाब देती हैं कि अन्य जिलों में हमारे पद पर निर्वाचित लोग लगाते हैं, इसलिए मैं भी लगाती हूं. इनके जैसा ही जवाब अन्य जनप्रतिनिधि भी देते रहे हैं. लेकिन प्रतिनिधियों के इस बयान भर से सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की मंशा पूरी नहीं हो जाती.
क्या कहते हैं डीटीओ
परिवहन नियमों का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई होगी. इसके लिए परिवहन विभाग अभियान शुरू कर रहा है. जिले में किसी भी निर्वाचित पदाधिकारी को लाल बत्ती का प्रयोग नहीं करना है. इसका उल्लंघन करनेवालों को नोटिस देकर कार्रवाई की जायेगी.
वीरेंद्र प्रसाद, जिला परिवहन पदाधिकारी, सीवान
क्या कहते हैं एसपी
वीआइपी दिखने की होड़ में नियमों का उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई होगी. पुलिस व परिवहन विभाग मिल कर इसके लिए अभियान चलायेगा. सभी थानाध्यक्षों को भी इसके पालन के लिए निर्देश दिया जा रहा है.
सौरभ कुमार साह, पुलिस कप्तान सीवान

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