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मंडी से मुंह मोड़ रहे कारोबारी
मंडी से तकरीबन एक करोड़ रुपये का राजस्व रोज हासिल होता है सरकार को बाजार में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं सीवान : सूबे के पूर्वी क्षेत्र की सबसे बड़ी गल्ला मंडी से हर दिन सरकार को तकरीबन एक करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होता है. जिला मुख्यालय स्थित इस गल्ला मंडी का अस्तित्व ही अब […]
मंडी से तकरीबन एक करोड़ रुपये का राजस्व रोज हासिल होता है सरकार को
बाजार में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं
सीवान : सूबे के पूर्वी क्षेत्र की सबसे बड़ी गल्ला मंडी से हर दिन सरकार को तकरीबन एक करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होता है. जिला मुख्यालय स्थित इस गल्ला मंडी का अस्तित्व ही अब खतरे में है. मंडी में बुनियादी सुविधाओं का इंतजाम नहीं होने व हर तरफ गंदगी के अंबार के चलते थोक कारोबारी यहां से अब मुंह मोड़ने लगे हैं. अनुमान के मुताबिक, हर दिन लगभग सात करोड़ का कारोबार यहां होता है. यहां जिले के अलावा सारण मंडल के अन्य जिलों के भी कारोबारी आते हैं.
शहर के बीचोबीच मौजूद गल्ला मंडी तकरीबन पांच एकड़ के परिक्षेत्र में फैली है. घनी आबादी के बीच मौजूद मंडी होने के चलते यहां के रास्ते तंग गलियों में तब्दील हो चुके हैं.
इसके चलते दिन भर छोटे-बड़े वाहन रेंगते हुए नजर आते हैं. व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष शारदा प्रसाद कहते हैं कि तकरीबन डेढ़ सौ वर्ष पूर्व से गल्ला बाजार का अस्तित्व है. यहां हर दिन पांच सौ से अधिक कारोबारी जिले के अलावा गोपालगंज व छपरा समेत यूपी के सीमावर्ती जिलों से आते हैं.
एक दशक पूर्व यहां से पलायन कर गये थोक कारोबारी : कारोबारियों का मानना है कि व्यवसाय के लिए संसाधनों के साथ ही सुरक्षा प्रमुख मायने रखता है. यहां शुरू से ही बुनियादी सुविधाओं का अभाव खलता रहा है. खास बात यह है कि पिछले एक दशक पूर्व बिगड़ती कानून व्यवस्था को देख यहां के कई कारोबारी अन्य शहरों की ओर पलायन कर गये.इसके अलावा नये कारोबारियों ने अपने व्यवसाय की शुरुआत नहीं की.
शौचालय व पेयजल संकट से जूझते हैं कारोबारी : थोक गल्ला मंडी से करोड़ों के राजस्व के बाद भी बुनियादी सुविधाएं यहां मयस्सर नहीं हुईं. कारोबारी राकेश कुमार रौक्सी कहते हैं कि शौचालय व पेयजल इंतजाम के लिए नगर पर्षद के अलावा पीएचइडी समेत अन्य जवाबदेह विभाग से दरख्वास्त के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. इसके चलते कारोबारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बाजार समिति भंग होने के बाद बढ़ी समस्या : गल्ला मंडी से पूर्व में बाजार समिति द्वारा चुंगी वसूली जाती थी. चुंगी के रूप में होनेवाली आय से यहां बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था होती थी. 10 वर्ष पूर्व सरकार ने बाजार समिति को भंग कर दिया. कहा जाता है कि कुछ कारोबारियों के विरोध के चलते शासन ने यह निर्णय लिया. अब यह कारोबारियों के लिए ही मुसीबत बन गयी है.
क्या कहते है कारोबारी
जाम की समस्या से कारोबारियों को जूझना पड़ता है. इससे राहत के लिए पुलिस प्रशासन से मदद की गुहार लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती, जिसका खामियाजा कारोबारियों को भुगतना पड़ता है.
राजेश कुमार, थोक कारोबारी
शौचालय व पेयजल इंतजाम के लिए व्यावसायिक संघ की तरफ से कई बार जिला प्रशासन को आवेदन दिया गया. इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई. इससे हर दिन परेशान होना पड़ता है.
शारदा प्रसाद, अध्यक्ष, व्यावसायिक संघ
गल्ला मंडी में वाहनों के आवागमन में परेशानी होती है. एक वर्ष पूर्व यहां की सड़क की मरम्मत हुई. लेकिन, एक वर्ष के अंदर ही सड़क ध्वस्त हो गयी. इससे फिर एक बार परेशानी बरकरार है.
पारस नाथ प्रसाद, थोक व्यवसायी
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