रेलवे अस्पताल सीवान. रेलकर्मियों को ही रेल अस्पताल के इलाज व दवा पर यकीन नहीं
Advertisement
मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए आते हैं कर्मी
रेलवे अस्पताल सीवान. रेलकर्मियों को ही रेल अस्पताल के इलाज व दवा पर यकीन नहीं सीवान : रेल कर्मियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए बना रेलवे अस्पताल यहां खुद बीमार है. छपरा-गोरखपुर रेलखंड पर टेकनिवास से भाटपार रानी रेलवे स्टेशन के मध्य में कार्यरत रेल कर्मियों के चिकित्सा की जिम्मेदारी उठाने में असमर्थ […]
सीवान : रेल कर्मियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए बना रेलवे अस्पताल यहां खुद बीमार है. छपरा-गोरखपुर रेलखंड पर टेकनिवास से भाटपार रानी रेलवे स्टेशन के मध्य में कार्यरत रेल कर्मियों के चिकित्सा की जिम्मेदारी उठाने में असमर्थ यह स्वास्थ्य केंद्र मात्र कर्मियों के स्वास्थ्य परीक्षण देने तक सिमट कर रह गया है. विभाग अपने कर्मचारियों पर ट्रेन में सफर करनेवाले रेल यात्रियों के स्वास्थ्य के प्रति पूरी तरह बेखबर है.
32 साल पहले 1984 में सीवान जंकशन पर चार बेडों वाला जब अस्पताल खुला, तो कर्मचारियों को इस बात की खुशी हुई कि उन्हें कम-से-कम छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के गोरखपुर या वाराणसी नहीं जाना पड़ेगा. लेकिन, कर्मचारियों को यह नहीं पता था कि यह अस्पताल जल्द ही अपनी उपयोगिता को खो देगा. प्रतिदिन करीब आठ से 10 रेल कर्मचारी ही इलाज कराने आते हैं. ऐसी बात नहीं कि कर्मचारी बीमार ही नहीं पड़ते हैं. रेल कर्मचारी बीमार पड़ते हैं. लेकिन उन्हें रेल अस्पताल के इलाज व दवा पर यकीन नहीं है.
85 किलोमीटर रेल रूट के कर्मियों के इलाज की जिम्मेवारी
एक चिकित्सक व दो पैरा मेडिकल स्टाफ के जिम्मे है व्यवस्था
फार्मासिस्ट और वार्ड अटेंडेंट ही मरीजों को दे देते हैं सूई
प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था नहीं
सीवान जंकशन का रेल अस्पताल चार बेडों वाला है. लेकिन, मरीजों के प्राथमिक उपचार करने के लिए डॉक्टर के अलावे न तो कंपाउंडर है और न ड्रेसर. रेल ने अभी तक दोनों पदों को सृजित नहीं किया है. मरीज के आने पर फार्मासिस्ट और वार्ड अटेंडेंट ही मरीजों को सूई देते हैं. जरूरत पड़ने पर टांका लगाते हैं. घायल रेल कर्मचारियों या यात्रियों को इलाज करने की नौबत बहुत कम ही आती है. सभी जानते हैं कि रेल अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है. इसलिए सदर अस्पताल में ही ले जाना बेहतर समझते हैं. दवा के नाम पर करीब आठ से दस दवाएं अस्पताल में उपलब्ध हैं. अस्पताल में टीकाकरण जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को सदर अस्पताल या अपने पास के अस्पताल में जाना पड़ता है
रेल अस्पताल की हालत बहुत खराब है. मुझे तीन दिन बाद सेवानिवृत्त होना है. लेकिन, आज तक मेरा स्वास्थ्य कार्ड विभाग द्वारा नहीं बनाया गया. परिचय पत्र दिखा कर ही इलाज कराता हूं.
सुखदेव यादव
काम करने के दौरान कहीं कट जाता है, तो प्राइवेट में इलाज कराना पड़ता है. अस्पताल दिन में बारह से साढ़े चार बजे तक बंद रहता है. इस कारण काफी परेशानी होती है.
गजेंद्र प्रसाद
क्या कहते हैं अधिकारी
रेल ने जो सुविधा उपलब्ध करायी है, उससे रेल कर्मचारियों व यात्रियों का इलाज किया जाता है. ड्रेसर व कंपाउंडर का पद सृजित नहीं होने की स्थिति में वार्ड अटेंडेंट व फार्मासिस्ट मरीजों को सूई देते हैं और जरूरत पड़ने पर टांका लगाते हैं. जहां तक अस्पताल में और सुविधा बढ़ाने की बात है, तो यह रेल की अपनी नीतिगत बात है. इसमें हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते.
डाॅ केशव कुमार, वरीय रेल मंडल चिकित्सा पदाधिकारी, वाराणसी
अन्य कामों में व्यस्त रहते हैं डॉक्टर
रेल अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर हैं. रेल अस्पताल का दायरा टेकनिवास स्टेशन से लेकर भाटपार रानी व सीवान से लेकर तमकुही आउटर सिगनल तक का है. इसके बीच किसी भी कर्मचारी या रेल यात्री के इलाज की जबावदेही सीवान रेल अस्पताल की है. इसके अलावा इन क्षेत्रों के सभी स्टेशनों पर सफाई व खान-पान के वेंडरों की जांच करने की भी जवाबदेही रेल अस्पताल के डॉक्टर की है. सीवान रेल अस्पताल के अधीन जितने भी रेल कर्मचारी हैं,
उन्हें इलाज के लिए रेफर कराने व मेडिकल सिक लेने के लिए सीवान रेल अस्पताल ही आना पड़ता है. सीवान रेल अस्पताल में सुबह आठ बजे से बारह बजे और शाम साढ़े चार से साढ़े पांच तक ओपीडी चलता है. शेष समय में ताला लटक जाता है. आपात स्थिति में कर्मचारियों व यात्रियों के इलाज के लिए अधिकारी फोन कर बुलाते हैं.
रेल अस्पताल की बात मत पूछिए. उसमें हम जैसे गरीब कर्मचारी ही इलाज कराने जाते हैं. जब इलाज से फायदा नहीं होता है, तो रेफर करा कर वाराणसी या गोरखपुर रेल अस्पताल चले जाते हैं.
जयराम यादव
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement