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आइसीयू में डॉक्टर नहीं
मरीजों को नहीं मिल रही आइसीयू की सेवा साधारण बीमारीवाले वीआइपी मरीजों को रखा जाता है आइसीयू में मरीज नहीं रहने पर कर्मचारी ताला लगा कर चले जाते हैं घर सीवान : सदर अस्पताल में करीब एक दशक से अधिक समय से आइसीयू यानी गहन चिकित्सा कक्ष की स्थापना की गयी. लेकिन, विभाग द्वारा मरीजों […]
मरीजों को नहीं मिल रही आइसीयू की सेवा
साधारण बीमारीवाले वीआइपी मरीजों को रखा जाता है आइसीयू में
मरीज नहीं रहने पर कर्मचारी ताला लगा कर चले जाते हैं घर
सीवान : सदर अस्पताल में करीब एक दशक से अधिक समय से आइसीयू यानी गहन चिकित्सा कक्ष की स्थापना की गयी. लेकिन, विभाग द्वारा मरीजों का इलाज के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था नहीं किये जाने से मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
आइसीयू के लिए विभाग ने सदर अस्पताल परिसर में अलग से सात कमरों का एक भवन का निर्माण कराया है, लेकिन आइसीयू के भवन के आधा से अधिक हिस्सों पर अन्य विभागों का कब्जा है. चार कमरों में मरीजों को भरती करने के लिए बेड लगाये गये हैं. इसमें से तीन कमरों में शुरू से ही वेंटिलेटर नहीं लगाया गया है. कर्मचारियों का कहना है कि चूंकि आइसीयू में मरीज भरती होते हैं नहीं. इसलिए खराब होने की डर से उसे खोल कर एक कक्ष में बंद कर रखा गया है.
विभाग ने अभी तक नहीं किया डॉक्टरों का पद सृजित : जब सदर अस्पताल में सिर्फ आइसीयू का भवन बना, तब कुछ डॉक्टरों को आइसीयू में मरीजों का इलाज करने के लिए प्रशिक्षत किया गया था.
लेकिन, समय के साथ-साथ डॉक्टरों ने कुछ समस्याओं को लेकर या तो नौकरी छोड़ दी या उनका दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरण हो गया. सदर अस्पताल में मरीजों की गहन चिकित्सा के लिए कक्ष तो बनाये गये, लेकिन अभी तक डॉक्टरों के पद सृजित नहीं हुए. इस कारण आइसीयू को शुरू से ही सही ढंग से नहीं चलाया जा सका. इसमें प्रतिदिन स्वास्थ्यर्मियों की ड्यूटी लगती है. लेकिन डॉक्टर के नहीं रहने से सब कुछ बेकार पड़ा है. जब कोई वीआइपी मरीज आता है, तो उसे आइसीयू में रखा जाता है. सदर अस्पताल के इमर्जेंसी कक्ष में जिस डॉक्टर की ड्यूटी रहती है, वही डॉक्टर मरीजों की देखभाल करता है.
आइसीयू में उपचार के लिए नहीं है आवश्यक दवा : सदर अस्पताल में विभाग ने आइसीयू की स्थापना तो करीब एक दशक पूर्व ही कर दी, लेकिन आइसीयू में मरीजों के इलाज में काम आने वाली आवश्यक दवा की खरीद आज तक विभाग ने नहीं की. वैसे तो आइसीयू के रजिस्टर में दर्जनों मरीजों के नाम दर्ज होंगे, जिनका इलाज इसमें किया गया है. सदर अस्पताल के इंडोर और ओपीडी में कम आने वाली दवाओं से किसी तरह काम चलाया जाता है.
अन्य जीवनरक्षक दवाएं मरीजों के परिजनों को स्वयं बाजार से खरीदनी पड़ती है. गरीब मरीजों को तो गहन चिकित्सकीय इलाज के लिए डॉक्टर पीएमसीएच रेफर कर देते हैं.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन डॉ शिवचंद्र झा
जरुरत पड़ने पर मरीजों को आइसीयू में भरती किया जाता है. सदर अस्पताल का आइसीयू चालू हालत में है. विभाग ने आइसीयू को चलाने के लिए डॉक्टरों के पद को सृजित कर दिया है.
प्रधानमंत्री के लिए एक कक्ष बनाया गया था वीआइपी
विगत विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीवान में होनेवाले कार्यक्रम को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सदर अस्पताल के आइसीयू के एक कक्ष को टिप-टॉप कर वीआइपी बनाया था. आपात स्थिति में अगर प्रधानमंत्री को किसी चिकित्सकीय इलाज की जरूरत होती, तो इसी कक्ष में इलाज किया जाता. प्रधानमंत्री के लिए बने इस वीआइपी कक्ष के लिए एसएनसीयू का एक एसी निकाल कर इस कक्ष में लगाया गया, जो आज तक अपने पुराने स्थान पर नहीं लग पाया.
आइसीयू में उपयोग आनेवाली दवा की भी व्यवस्था की गयी, जिसकी जरूरत नहीं पड़ने पर वापस लौटा दी गयी. टीबी विभाग के वरीय डॉक्टर जसमुद्दीन के नेतृत्व में डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की एक मेडिकल टीम बनायी गयी थी. काश ऐसी व्यवस्था उन गरीब लोगों के लिए विभाग करता, जिनके पास डॉक्टर को देने के लिए फीस की रकम भी नहीं रहती.
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