परेशानी. शहर में ओवरब्रिज के नाम पर है सिर्फ आंदर ढाला रेलवे ओवरब्रिज
शहर में वाहनों का परिचालन काफी कष्टकारी हो गया है. थोड़ी-सी दूरी तय करने में भी कभी-कभी घंटों लग जाते हैं. इससे निजात के लिए शहर में ओवरब्रिज की संख्या बढ़ना आवश्यक प्रतीत हो रहा है. जाम का एक मुख्य कारण यहां सड़कों पर लगा अतिक्रमण है. जब तक सड़कों पर से पूर्ण रूप से अतिक्रमण को हटा नहीं दिया जाता है, लोगों को ऐसे ही जाम से रू-ब-रू होते रहना होगा.
शहर के सभी प्रमुख मार्ग अतिक्रमण के शिकार
सड़कों पर अवैध बसपड़ाव इस शहर की पहचान
सीवान : रेंगते वाहन व जाम में जूझते नागरिक. यह तसवीर हर दिन यहां शहर की रहती है. इससे निजात के लिए तमाम प्रशासनिक दावाें के बावजूद सच्चाई यह है कि यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. खास बात है कि जाम से स्थायी निजात दिलाने के लिए अब तक कोई ठोस कार्ययोजना भी नहीं बनायी गयी.
सिसवन ढाला व कचहरी ढाला पर नहीं है ओवरब्रिज : शहर में ओवरब्रिज के नाम पर आंदर ढाला रेलवे ओवरब्रिज है. इस कारण आंदर की ओर आने व जानेवाले लोगों को सुविधा मिली है.
साथ ही शहर से मैरवा और यूपी की ओर वाहनों का परिचालन भी इस ब्रिज के माध्यम से आसान हुआ है. जिले के दक्षिणांचल को जोड़नेवाले सिसवन ढाला पर ओवरब्रिज नहीं होने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैसे भी पूर्वोतर रेलवे के गोरखपुर के बाद सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्टेशन होने से काफी संख्या में ट्रेनों के परिचालन से रेलवे फाटक बंद होने से लोगों को काफी परेशानी होती है.
वहीं, कचहरी ढाला बंद होने की स्थिति में घंटों तक जाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. चूंकि यहीं से ललित बस स्टैंड होकर वाहन चलते हैं, जो जिले के पश्चिम एवं उतर दिशा की ओर जाते है. साथ ही काफी संख्या में स्कूल, कॉलेज, कार्यालय व बैंक आदि भी इस क्षेत्र में हैं. ऐसे में इन दोनों स्थानों पर रेलवेब्रिज की आवश्यकता जान पड़ती है. लेकिन अभी इसका कोई प्रस्ताव नहीं है. इस कारण आनेवाले समय में भी इस समस्या से निजात की कोई संभावना नहीं दिखती.
सभी प्रमुख मार्ग अतिक्रमण के शिकार : दो लाख से अधिक आबादी वाले शहर के सभी प्रमुख मार्ग यहां अतिक्रमण के शिकार हैं. इस कारण हर दिन जाम में लोग जूझने को मजबूर हैं. वाहनों की संख्या के विस्तार के साथ ही सड़कों का चौड़ीकरण नहीं होने व अतिक्रमण के कारण यह संकरी हो गयी है.
इसके साथ ही सड़कों पर अवैध बस पड़ाव इस शहर की पहचान बन गयी है. वहीं, बेतरतीब ढंग से वाहनों का परिचालन और लचर ट्रैफिक शहर की व्यवस्था में शुमार हो गया है. ऐसे में शहर में महाजाम और नागरिकों की परेशानी लाजमी ही है.
सड़क पर ही सज जाती हैं दुकानें : जब शहर की सड़क पर ही हर तरफ अतिक्रमण हो और सड़क पर ही अवैध रूप से स्टैंड बना दिया जाये, तो जाम से निजात की कल्पना भी कैसे की जा सकती है. शहर का शायद ही ऐसी कोई सड़क हो, जहां अतिक्रमण नहीं किया गया हो. सड़क पर ही यहां दुकानें सज जाती हैं और अपनी दुकान के आगे दुकानदार भी अवैध कब्जा जमाये बैठे हैं. अगर कहा जाये कि करीब 40 प्रतिशत सड़कों पर अवैध कब्जा है,
तो कहना गलत नहीं होगा. शहर में स्टैंड के नाम पर एकमात्र ललित बस स्टैंड है, जहां से पश्चिम और उत्तर की ओर जानेवाली गाड़ियां हीं खुलती हैं. उनमें भी गोपालगंज की तरफ जानेवाली गाड़ियां अवैध रूप से गोपालगंज मोड़ से खोली जाती हैं. शहर से पूरब और दक्षिण की ओर जाने के लिए कोई अधिकृत बस स्टैंड नहीं है, जिसके कारण सड़क किनारे ही स्टैंड बना दिया गया है. वैसे तो जिले से सभी गाड़ियों का परिचालन ललित बस स्टैंड से ही किया जाना है.
नो इंट्री के हालात में वहां से परिचालन संभव नहीं है.
महाजाम से हलकान रहते हैं नागरिक : शहर में जाम की स्थिति, तो आये दिन बनी रहती है. लेकिन, सोमवार व शनिवार को स्थिति काफी भयावह हो जाती है. जाम के कारण घंटों स्कूली वाहन व एंबुलेंस भी फंसे रहते हैं. साथ हीं कई कामकाजी भी घंटों विलंब से अपने कार्यालय पहुंच पाते हैं. जाम के कारण कई लोगों की ट्रेनें व बसें भी छूट जाती हैं.
भीषण गरमी व बरसात में तो नागरिकों को महाजाम में और भी परेशानी होती है.
सड़क पर रेंगते दिखते हैं वाहन, रोज जाम से जूझते दिखते हैं शहरवासी व राहगीर
यहां लगता है महाजाम
ऐसे तो पूरे शहर में महाजाम की स्थिति रहती है. लेकिन कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां पर अमूमन जाम का आलम रहता है. और यहां वाहन रेंगते नजर आते हैं.
थाना रोड, अस्पताल रोड, रजिस्ट्री कचहरी रोड, कचहरी रोड, सिसवन ढाला, बबुनिया रोड, कचहरी ढाला, जेपी चौक
ये ऐसे प्रमुख प्वाइंट हैं, जहां जाम की स्थिति में पूरे शहर में महाजाम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. साथ ही लगन और पर्व त्योहार के मौसम में तो जाम के कारण लोगों का शहर में पैदल चलना मुश्किल हो जाता है.