न्याय के इंतजार में लंबा वक्त गुजर रहा है लोगों का
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10 जजों के पद रिक्त, 66 हजार मुकदमे लंबित
न्याय के इंतजार में लंबा वक्त गुजर रहा है लोगों का सीवान : मुकदमों का बोझ झेल रहे न्यायालयों के दर्द को बयां करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भावुक हो उठते हैं. उनके द्वारा बयां की गयी बदहाल तसवीर कमोबेश सीवान जिले के न्यायालयों की भी […]
सीवान : मुकदमों का बोझ झेल रहे न्यायालयों के दर्द को बयां करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में भावुक हो उठते हैं. उनके द्वारा बयां की गयी बदहाल तसवीर कमोबेश सीवान जिले के न्यायालयों की भी है. यहां लंबे समय से 10 जजों के कोर्ट खाली पड़े हैं. यहां मुकदमों की संख्या 66 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है.मुकदमों की सुनवाई न होने से न्याय के इंतजार में लंबा वक्त गुजर जा रहा है.
जिला मुख्यालय में न्यायालयों की संख्या तीन दर्जन तक है. यहां फौजदारी, दिवानी समेत अन्य मामलों की सुनवाई होती है. हालात ये हैं कि ये न्यायालय संसाधनों के संकट से हमेशा जूझते रहे हैं. भवन के अभाव से लेकर फर्नीचर की कमी तो सामान्य बात है, इसके अतिरिक्त न्यायाधीशों की कमी आये दिन बनी रहती है. इसका असर न्यायालयों में विलंब से मुकदमों के निस्तारण पर पड़ता है.
डेढ़ लाख आबादी पर एक जज : जिले की अनुमानित आबादी 36 लाख से अधिक है. आबादी के अनुपात में न्यायालयों व पदस्थापित जजों की संख्या का आकलन करें, तो तसवीर काफी निराशाजनक है. यहां कुल न्यायालयों की संख्या 33 है. इनमें से 10 न्यायालय जज के अभाव में खाली चल रहे हैं. ऐसे में मात्र 24 न्यायालयों में ही नियमित सुनवाई होती है.आबादी के अनुपात में तैनात जजों की संख्या का आकलन करने पर तसवीर डेढ़ लाख आबादी पर एक जज की है. इस कारण समय से लंबित वादों का निस्तारण नहीं होना सामान्य शिकायत है.
फरार अभियुक्तों का नहीं है सही आंकड़ा : न्यायालयों में मुकदमों की सुनवाई के दौरान अभियुक्त के फरार होने की स्थिति में वारंट व कुर्की जब्ती की कार्रवाई के बाद भी उसके नहीं हाजिर होने पर सुनवाई स्थगित हो जाती है. इनके मुकदमों की फाइल रिकाॅर्ड रूम में जमा हो जाती है. इसके बाद आरोपित के गिरफ्तार होने की स्थिति में ही फिर सुनवाई शुरू होती है. ऐसे मामलों की भी संख्या जिले में हजारों में है. इनका न्यायालयों में सुनिश्चित संख्या अस्पष्ट है. ये भी मामले लंबे समय तक लंबित रहते हैं.
खाली पड़े न्यायालय
पांच फास्ट ट्रैक कोर्ट
दो अपर जिला व सत्र न्यायाधीश के कोर्ट
तीन प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट
34 फीसदी गांव अब भी विद्युतीकरण से वंचित
1438 में से 950 गांवों का हुआ है विद्युतीकरण
जीकेसी प्रोजेक्ट्स लिमिटेड कंपनी को मिला है कार्य
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