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धरातल पर नहीं उतरी योजना

प्रशिशक्षित सेवा प्रदाताओं की कमी के कारण मौत होती है गर्भपात के दौरान जिले में मातृ मृत्यु दर एक लाख पर करीब 219 है 219 से घटा कर 119 करने का लक्ष्य रखा गया सीवान : देश में गर्भपात सन 1971 से कानूनन वैध है, लेकिन सुरक्षित और कानूनी रूप से मान्य गर्भपात की सुविधाएं […]

प्रशिशक्षित सेवा प्रदाताओं की कमी के कारण मौत होती है गर्भपात के दौरान

जिले में मातृ मृत्यु दर एक लाख पर करीब 219 है
219 से घटा कर 119 करने का लक्ष्य रखा गया
सीवान : देश में गर्भपात सन 1971 से कानूनन वैध है, लेकिन सुरक्षित और कानूनी रूप से मान्य गर्भपात की सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग ने महिलाओं के लिए महत्वाकांक्षी योजना युक्ति को करीब छह वर्ष पहले शुरू किया. लेकिन जिले में युक्ति योजना शुरू से ही धरातल पर उतरी ही नहीं. विभाग द्वारा इस योजना को लाने के बाद जिले में इस योजना का प्रचार-प्रसार भी किया गया. कई निजी स्वास्थ्य केंद्रों ने अधिकृत होने के लिए आवेदन भी किया.
लेकिन मामला विभाग की फाइलों में दब कर रह गया. आज भी जिले की गरीब ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं में असुरक्षित गर्भपात के कारण बीमारी एवं मृत्यु होना एक बड़ी समस्या है. जिले में मातृ मृत्यु दर एक लाख पर करीब 219 है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत जिला सतर्कता एवं निगरानी समिति की हुई बैठक में मातृ मृत्यु दर को 2017 तक 219 से घटा कर 119 करने का लक्ष्य रखा गया. बैठक में संस्थागत प्रसव पर तो जोर दिया गया,
लेकिन युक्ति जैसी महत्वाकांक्षी योजना पर चर्चा तक नहीं हुई. सूबे में प्रत्येक साल करीब 5.8 लाख गर्भपात किये जाते हैं. इनमें से अधिकतर गर्भपात सरकारी मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य केंद्रों से बाहर अप्रशिक्षित प्रदाताओं द्वारा अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में किये जाते हैं. संस्थागत प्रसव के साथ-साथ असुरक्षित गर्भपात में कमी आने से ही मातृ मृत्यु दर में कमी आ सकेगी.
क्या है योजना : ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं का सुरक्षित गर्भपात कराने के लिए इच्छुक निजी स्वास्थ्य केंद्रों का निर्धारित मानकों का आकलन कर उन्हें अधिकृत करना था. कानूनी गर्भपात कराने वाले निजी स्वास्थ्य केंद्रों को विभाग द्वारा तय एक राशि कार्य करने के बदले दी जानी है.अधिकृत निजी स्वास्थ्य केंद्रों को निम्न सेवा प्रदान करनी थी.
1. प्रथम तिमाही तक की गर्भपात सेवाएं.
2.अपूर्ण गर्भपात के केसों का इलाज करना.
3.गर्भपात की जटिलताओं का इलाज व आवश्यकता पड़ने पर रेफरल सेवा प्रदान करना (महिला की हालत को स्थिर करने के बाद).
4.दूसरी तिमाही के गर्भपात के लिए रेफर करना.
इसके अलावा वे महिलाएं जो उपर्युक्त सेवाएं चाहती हैं, उन्हें अधिकृत निजी स्वास्थ्य केंद्र द्वारा गर्भपात के विषय में परामर्श व गर्भपात के पश्चात उचित गर्भ निरोध के साधनों के बारे में सलाह देनी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
इस योजना की जानकारी मुझे नहीं है. अगर योजना महिलाओं के लिए महत्वाकांक्षी है, तो इसे जरूर चालू किया जायेगा.मैं उस योजना की फाइल मंगा कर देखता हूं कि क्यों आज तक उसे लंबित रखा गया.
डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन

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