संवाददाता, सीवान
सदर अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था लड़खड़ा-सी गयी है. शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने वाले सदर अस्पताल की व्यवस्था देख कर पुराने दिनों की याद ताजा हो रही है. आलम यह है कि रोगी तड़प रहे हैं, लेकिन उनकी सुधि लेने वाले चिकित्सक हमेशा नदारद रहते है. सबसे खास बात चिकित्सक नौकरी तो स्वास्थ्य विभाग की करते हैं, लेकिन अपना ज्यादातर समय प्राइवेट चिकित्सालय व नर्सिग होम को देते है. यही नहीं सूत्रों की मानें तो इनके साथ गोरखधंधा करने वाले दलाल अस्पताल से मरीजों को बहला-फुसला कर इनके क्लिनिक तक पहुंचाते हैं. ऐसा नजारा एक दिन नहीं बल्कि रोजाना आपको सदर अस्पताल में देखने को मिल जायेगा. ताला बंद कक्ष के सामने सुबह से लाइन लगा कर खड़े मरीज चिकित्सक का इंतजार करते रहते हैं. वहीं कई मरीज बैरंग लौट जाते हैं, तो कई प्राइवेट चिकित्सालयों का सहारा लेते हैं. बता दें कि केंद्र व राज्य सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित कर रही है. एक से बढ़ कर एक उपकरणों से अस्पतालों को लैस किया जा रहा है, लेकिन चिकित्सकों की लापरवाही व उदासीनता पूर्ण रवैया के चलते गरीब व लाचार लोगों को इन योजनाओं का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. लोगों को इस तरह की सुविधाओं से वंचित करने में कहीं-न-कहीं चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी दोषी है. क्योंकि अस्पताल में न तो चिकित्सक के आने का समय निर्धारण है और न ही जाने का. सुबह से मरीज चिकित्सक के इंतजार में तड़पते रहते हैं. गुरुवार को सदर अस्पताल पहुंची प्रभात खबर की टीम ने इसकी पड़ताल की तो अधिकतर चिकित्सकों के कक्ष बंद मिले, तो कई की कुरसियां खाली पड़ी थी.
9.30 बजे- स्त्री रोग विशेषज्ञ का कक्ष : सदर अस्पताल में तैनात स्त्री रोग विशेषज्ञ के कक्ष के सामने आधा दर्जन महिलाएं खड़ी थी. प्रभात खबर की टीम ने जब उनसे खड़े रहने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र से वह इलाज कराने के लिए आयी हैं. मैडम अभी नहीं आयी हैं. करीब आठ बजे से वह उनका इंतजार कर रही है. वहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ के कक्ष का दरवाजा ताला विहीन बंद मिला.
9.45- दंत रोग विशेषज्ञ का कक्ष : दंत रोग विशेषज्ञ का कक्ष तो खुला मिला, लेकिन चिकित्सक नदारद थे. वहां तैनात व चिकित्सक के आने इंतजार कर रही एएनएम से पूछा गया तो उसने बताया कि वह अभी नहीं आये हैं. कब आयेंगे, पूछने पर वह उचित जवाब नहीं दे सकी. बाहर खड़े मरीजों ने बताया कि आये दिन इसी तरह चिकित्सक गायब रहते हैं.
10 बजे-चर्म रोग विशेषज्ञ का कक्ष : चर्म रोग विशेषज्ञ के कक्ष में ताला बंद था. बंद दरवाजे के सामने एक वृद्ध महिला बैठी हुई थी. वहीं अन्य मरीज इधर-उधर टहल रहे थे. प्रभात खबर की टीम ने महिला से आने का कारण पूछा तो उसने बताया कि त्वचा संबंधी परेशानी बा, इहे डॉक्टर साहब से दिखावे आईल बानी. आधा घंटा से अधिक हो गईल बा बाबू, लेकिन अबे तक उ न आईले.
10.10 बजे-नेत्र रोग विशेषज्ञ का कक्ष : नेत्र रोग विशेषज्ञ का कक्ष खुला हुआ था. बाहर मरीज चिकित्सक का इंतजार कर रहे थे. मरीजों ने पूछने पर बताया कि आठ बजे से उनका इंतजार कर रहे हैं. दो घंटे होने जा रहे हैं इंतजार करते-करते. कई मरीज तो वापस चले गये हैं.