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वाहन जांच से लोग परेशान, लक्ष्य हुआ दोगुना

वाहन जांच से लोग परेशान, लक्ष्य हुआ दोगुना 22 की जगह 42 लाख हुआ परिवहन विभाग का मंथली टारगेट टारगेट पूरा करने के लिए हांफ रहा विभाग हर कदम पर परेशानी झेलना बनी जनता की नियती प्रभात पड़ताल सीवान. लोक तांत्रिक शासन में जनहित सबसे प्रमुख उद्देश्य है, लेकिन वर्तमान में शासन-प्रशासन की उदासीनता से […]

वाहन जांच से लोग परेशान, लक्ष्य हुआ दोगुना 22 की जगह 42 लाख हुआ परिवहन विभाग का मंथली टारगेट टारगेट पूरा करने के लिए हांफ रहा विभाग हर कदम पर परेशानी झेलना बनी जनता की नियती प्रभात पड़ताल सीवान. लोक तांत्रिक शासन में जनहित सबसे प्रमुख उद्देश्य है, लेकिन वर्तमान में शासन-प्रशासन की उदासीनता से ऐसा लगता है कि इससे विशेष कोई वास्ता नहीं रह गया है और परेशानी और अभाव में जीना मानों आम जनता की आदत-सी बन गयी है. पद व रसूख के अनुसार लोगों को सुविधाएं मिलती हैं. एक तरफ परिवहन विभाग ने यातायात नियमों के पालन और दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए सघन जांच का आदेश जारी किया है. राज्य परिवहन आयुक्त के पत्रांक 5649 दिनांक 29.12.15 द्वारा यह आदेश जारी किया गया है. इसके बाद से पूरे राज्य में परविहन विभाग का अभियान जारी है, जिससे आम जनता परेशान हो रही है. लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अर्थदंड के साथ ही जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है और यह सिर्फ सड़क सुरक्षा सप्ताह के नाम पर चलाने से काम नहीं चलेगा. परिवहन विभाग ने टारगेट किया दोगुना : परिवहन विभाग द्वारा सीवान जिले को पहले वाहन जांच के दौरान अर्थदंड द्वारा 22 लाख प्रतिमाह वसूली का टारगेट था, जिसे विभाग ने अब 42 लाख कर दिया है. डीटीओ का टारगेट पांच लाख से 12 लाख, एमवीआइ का सात लाख से 15 लाख और एमवीआइ मोबाइल का 10 लाख से 15 लाख कर दिया गया है, जिसके बाद टारगेट पूरा करने के लिए परिवहन विभाग द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है. जनता हो रही परेशान : मोटर वाहन अधिनियम के विभिन्न धाराओं में फाइन के बाद लोगों को जिला परिवहन कार्यालय या एसडीएम कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है, जिससे लोग काफी परेशान हो रहे हैं. वहीं पुलिस द्वारा भी नजायज वसूली की सूचना मिल रही है. हालांकि इधर परिवहन विभाग द्वारा भी कैंप लगा कर फाइन किया जा रहा है. इस जांच में बीमार व अस्पताल जाने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा जा रहा है, जिससे लोगों की परेशानी और भी बढ़ रही है. वहीं अगर ट्रैफिक पुलिस व हर थाने को फाइन का अधिकार मिले, तो लोगों की परेशानी कम हो सकेगी. टारगेट बना सांसत : जिले से हर माह 42 लाख रुपये अर्थदंड के रूप में राजस्व वसूली कर विभाग को देना है. इससे भी परिवहन विभाग से लेकर पुलिस तक सब के हाथ पांव फूले हुए हैं. लोगों का कहना है कि जिस प्रकार ड्रग विभाग अगर नियमानुसार दवा दुकानों की जांच करे, तो कमी मिलना निश्चित ही है. उसी प्रकार परिवहन के 25 नियमों के अंतर्गत कार्रवाई से बचना लगभग असंभव-सा है. ऐसे में आखिर पिसना तो आम जनता को ही है. जागरूकता से बनेगी बात : यातायात नियमों का पालन नहीं करना आम समस्या है. इसके लिए यह अभियान तो आवश्यक है, लेकिन अर्थदंड से काम नहीं चलेगा. इसके लिए विभागीय और सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाये जाने की जरूरत है, जिससे वाहन दुर्घटना में भी कमी आयेगी. साथ ही विभाग सिर्फ विभिन्न अवसरों पर जागरूकता अभियान चला कर अपने कर्तव्य पूर्ति से नहीं बच सकता. सभी सड़कों पर यातायात नियमों से संबंधित बोर्ड व साइन बोर्ड होने चाहिए. साथ ही शहर में इलेक्ट्रॉनिक सिगनल आदि प्रणाली की भी व्यवस्था होनी चाहिए. लोगों में जागरूकता होगी, तभी इस समस्या से बचा जा सकेगा. क्या कहते हैं अधिकारी विभाग के निर्देश पर यह अभियान चलाया जा रहा है. लोगों में यातायात नियम के पालन के प्रति जागरूकता बढ़ने से दुर्घटनाओं में भी कमी आयेगी. यातायात सुविधा के लिए विभाग प्रयासरत है. विभाग अपने स्तर से जागरूकता अभियान चला रहा है, लेकिन इसकी सफलता के लिए आम जनता की सहभागिता जरूरी है. वीरेंद्र प्रसाद, जिला परिवहन पदाधिकारी, सीवान

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