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मकान का ताला तोड़ हजारों की संपत्ति चुरायी

मकान का ताला तोड़ हजारों की संपत्ति चुरायी फोटो:- 01 -चोरी की घटना के बाद बिखरा सामान.सीवान . नगर थाने मखदुम सराय मोहल्ले के गौशुलवरा मसजिद के बगल में अज्ञात चोरों ने एक मकान का ताला तोड़ कर हजारों रुपए मूल्य के कीमती सामान को चुरा लिये. मकान मालिक फिरोज अख्तर परिवार सहित करीब एक […]

मकान का ताला तोड़ हजारों की संपत्ति चुरायी फोटो:- 01 -चोरी की घटना के बाद बिखरा सामान.सीवान . नगर थाने मखदुम सराय मोहल्ले के गौशुलवरा मसजिद के बगल में अज्ञात चोरों ने एक मकान का ताला तोड़ कर हजारों रुपए मूल्य के कीमती सामान को चुरा लिये. मकान मालिक फिरोज अख्तर परिवार सहित करीब एक सप्ताह से एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए टाटा गये हैं. फिरोज अख्तर के भाई मंजूर आलम ने बताया कि सोमवार की सुबह करीब 11 बजे जब दुकान का स्टाफ सामान निकालने के लिए घर पर गया, तो देखा कि घर के सभी ताले टूटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि स्टाफ की सूचना पर जब वे अपने भाई के मकान पर गये, तो देखा कि घर के सभी ताले और अलमारी के ताले टूटे हैं तथा सामान बिखरा पड़ा है. उन्होंने बताया कि उनके भाई अभी सीवान नहीं आये हैं. इसलिए यह बताना कठिन है कि कितने रुपये के कौन-कौन से सामान की चोरी हुई है. उन्होंने बताया कि घर को देख कर ऐसा लगता लगता है कि चोरों ने अलमारी को तोड़ कर सिर्फ कीमती आभूषणों को ही चुराया है. मंजूर आलम ने घटना की जानकारी स्थानीय थाने को लिखित रूप से दे दी है.फ्लायर पिजड़े में बंद परिंदों को आजाद कराते हैं अब्दुल जब्बार 10 वर्षों से शिकारियों की कैद से आजाद कराते हैं पंछीकरीब एक हजार परिंदों को कर चुके हैं आजादफोटो: -02- शिकारी से तोते को खरीद कर आजाद कराते हाजी अब्दुल जब्बार.सीवान . दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं, जो तरह-तरह के शौक रखते हैं. हुसैनगंज थाने के मड़कन निवासी हाजी अब्दुल जब्बार पेशे से तो व्यवसायी हैं, लेकिन इनका एक अलग तरह का शौक है. अब्दुल जब्बार शिकारियों के पिंजड़ों में अंद परिंदों को खरीद कर उन्हें आजाद कराते हैं. पिंजड़ों में कैद परिंदों को आजाद कराने का शौक इनको करीब दस वर्ष पहले हुआ. तब से लेकर आज तक ये करीब एक हजार से अधिक परिंदों को आजाद करा चुके हैं. पंक्षियों को आजाद कराने में इनकी आमदनी का एक मोटा हिस्सा खर्च हो चुका है. इसके बावजूद इनके परिवार का का इस नेक काम में सहयोग ही मिला है. अब्दुल जब्बार ने बताया कि जिस प्रकार किसी बेबस इनसान को मदद करने से दिल को खुशी होती है, उसी प्रकार शिकारियों की कैद से परिंदों को आजाद कराने में होती है. ऐसी बात नहीं है कि अब्दुल जब्बार ने सिर्फ सस्ते बिकने वाले परिंदों को आजाद कराया है. बल्कि ये महंगे दाम में बिकने वाले परिंदों को बिना भी एक पल सोचे आजाद करा देते हैं. उन्होंने बताया कि पंक्षियों को कैद करके नहीं रखना चाहिए.

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