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सदर अस्पताल में महिला मरीजों को नहीं मिलती आपात सेवा

सदर अस्पताल में महिला मरीजों को नहीं मिलती आपात सेवा जटिल प्रसव के लिए महिला मरीजों को जाना पड़ता है प्राइवेट मेंए ग्रेड नर्स व एएनएम आपात काल में करती हैं महिला मरीजों का इलाजफोटो: 23 सदर अस्पताल का उपेक्षित महिला वार्ड फोटो- 24 सदर अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर.सीवान. सदर अस्पताल में महिला मरीजों के […]

सदर अस्पताल में महिला मरीजों को नहीं मिलती आपात सेवा जटिल प्रसव के लिए महिला मरीजों को जाना पड़ता है प्राइवेट मेंए ग्रेड नर्स व एएनएम आपात काल में करती हैं महिला मरीजों का इलाजफोटो: 23 सदर अस्पताल का उपेक्षित महिला वार्ड फोटो- 24 सदर अस्पताल का ऑपरेशन थियेटर.सीवान. सदर अस्पताल में महिला मरीजों के लिए आपात कालीन सेवा उपलब्ध नहीं होने के कारण महिला मरीजों को परेशानी होती है. ऐसी बात नहीं है कि महिला डॉक्टरों की ड्यूटी लगती ही नहीं है. महिला डॉक्टरों की ड्यूटी तो लगती है, लेकिन कोई भी महिला डॉक्टर ओपीडी के बाद ड्यूटी में रहती नहीं हैं. अस्पताल प्रशासन का कहना है कि महिला डॉक्टरों को मरीज आने के बाद ऑन कॉल बुलाया जाता है. दिन में तो फोन करने पर महिला डॉक्टर मरीज को देखने के लिए आ जाती हैं, लेकिन रात में कोई महिला डॉक्टर नहीं आती हैं. वहीं कोई पैरवी वाला मरीज होता है, तो अधिकारियों के दबाव में मरीज को देखने के लिए आती हैं. डॉक्टर के नहीं रहने की स्थिति में नर्स मरीजों को सादे कागज पर दवा लिख कर मरीजों को बिना भरती किए उपचार करती हैं. अगर मरीज की हालत चिंताजनक होती है तो नर्स पुरुष इमरजेंसी के डॉक्टर से अनुरोध कर भरती कराती हैं तथा कुछ दवा लिखवा कर सुबह होने का इंतजार करती हैं. सदर अस्पताल में महिला डॉक्टरों की संख्या काम लायक है फिर भी महिला मरीजों को सुविधा नहीं मिल पाती है.सदर अस्पताल में नहीं होता जटिल प्रसव का सिजेरियन : सदर अस्पताल के ओटी गत 20 अप्रैल को तोड़-फोड़ की घटना में क्षतिग्रस्त हो गया. इसके बाद करीब छह माह से अधिक समय तक सदर अस्पताल में सिजेरियन हुआ ही नहीं. महिला मरीजों को सिजेरियन कराने के लिए प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ा. करीब एक माह पहले सदर अस्पताल के नये ओटी में अस्पताल प्रशासन ने सिजेरियन शुरू कराया, लेकिन अब तक करीब आधा दर्जन से अधिक सिजेरियन नहीं हो सके. विभाग का मानना है कि कुल प्रसव का करीब पांच प्रतिशत जटिल प्रसव होता है, जिसका सिजेरियन करना अनिवार्य होता है. जिले के करीब सभी सरकारी अस्पतालों में प्रतिदिन करीब दो सौ से अधिक प्रसव होते हैं यानी सरकारी अस्पतालों में 10 महिलाओं का सिजेरियन रोज होना चाहिए. पूरे जिले में 16 पीएचसी, दो रेफरल व एक अनुमंडलीय अस्पताल हैं, लेकिन सदर अस्पताल को छोड़ कर कहीं भी सिजेरियन नहीं होता है.क्या कहते हैं अधिकारीपहले से महिला वार्ड की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. महिला डॉक्टरों को यह बात अच्छी तरह समझा दी गयी है कि उन्हें हर हाल में अपनी ड्यूटी करनी पड़ेगी. बहुत जल्द ही व्यवस्था में और सुधार हो जायेगा.डॉ शिवचंद्र झा, सिविल सर्जन

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