शांता क्लॉज लायेंगे बच्चों का उपहारक्रिसमस डे के साथ नव वर्ष की शुरू हुई तैयारीसजने लगे हैं शहर के विभिन्न गिरजाघरफोटो: 34 चर्च 35 डीएवी में क्रिसमस ट्री बनाते बच्चे.सीवान. नव वर्ष के आगमन का अपने-अपने अंदाज में स्वागत की तैयारी शुरू हो गयी है. वहीं 25 दिसंबर अर्थात ईश्वर के दूत के रूप में ईसा मसीह के धरती पर आगमन के दिन क्रिसमस डे से लेकर नववर्ष के आगमन तक के हर दिन जश्न मनाने की परंपरा को यादगार बनाने में युवा जुटे हुए हैं, तो बच्चों में इस अवसर को लेकर अत्यधिक उत्साह है क्रिसमस की रात सफेद रंग की बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूंछों वाले शांता क्लॉज स्वर्ग से उतर कर हर घर में आते हैं और बच्चों के लिए तोहफे की पोटली क्रिसमस ट्री पर लटका कर चले जाते हैं. इधर, क्रिसमस डे को लेकर महादेवा रोड स्थित गिरिजा घर को सजाया-संवारा जा रहा है.स्कूली बच्चाें की है अपनी तैयारी : डीएवी पब्लिक स्कूल कंधवारा में बच्चों ने क्रिसमस ट्री बना कर अपनी कला कृतियों के प्रति ललक को प्रदर्शित किया, जिसमें बेहतर प्रदर्शन करनेवालों को पुरस्कृत किया गया. इस दौरान बच्चों ने क्विज में भी हिस्सा लिया. इसमें गौशाला रोड विद्यालय के विवेकानंद हाउस प्रथम,अरविंदो हाउस द्वितीय व श्रद्धानंद हाउस तृतीय स्थान पर रहा. प्राचार्य बीके पाठक व शाखा प्रभारी डाॅ हरिशंकर श्रीवास्तव ने विजेताओं को शील्ड व मेडल देकर सम्मानित किया. बच्चों में प्रशांत, सौरभ, श्रेया, आर्यन, तनुष, अनामिका, अनुष्का, मानसी का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा. आयोजन में शिक्षक आरके चौधरी, आरके मिश्रा, प्रज्ञा रानी, सुनीता श्रीवास्तव, अनुभव, अजेय, विजया लक्ष्मी, रविरंजन दूबे की महत्वपूर्ण भूमिका रही.उधर, शहर के अन्य प्ले व नर्सरी स्कूलों मेें भी बच्चों द्वारा क्रिसमस डे की तैयारी की जा रही है.यीशु के जन्म दिन को लेकर ये हैं किंवदंतियां : 25 दिसंबर को यीशु का जन्मदिन होने का कोई तथ्यपूर्ण प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं. दुनिया में इसी तिथि को सदियों से मनाया जा रहा है.अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 इस्वी में मनाया गया था. क्रिसमस के मौके पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं और गिरजाघरों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है. लोग अपने घरों के आंगन में क्रिसमस ट्री बना कर उसे रंग-बिरंगे बल्बों और खिलौनों से सजाते हैं. गिरजाघरों में यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां तैयार की जाती हैं. 24 दिसंबर की आधी रात यीशु का जन्म होना माना जाता है. इसलिए गिरजाघरों में ऐन वक्त पर विशेष प्रार्थना की जाती है. कैरोल गाये जाते हैं और अगले दिन धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है. ईसाई पौराणकि कथा के अनुसार, प्रभु ने मेरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत को भेजा, जिसने बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा.वह बच्चा बड़ा होकर राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी.देवदूत गैब्रियल, एक भक्त जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मेरी एक बच्चे को जन्म देगी तथा उसे (जोसफ को) मेरी की देखभाल करनी चाहिए. जिस रात जीसस का जन्म हुआ. उस समय नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मेरी और जोसफ बेथलेहम जाने के रास्ते में थे.उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली,जहां मेरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया. इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ.यीशु के दुबारा जीवित होने का पर्व है ईस्टर : सच्चाई, ईमानदारी की राह पर चलने और दीन-दुखियों की भलाई की सीख देने वाले ईसा मसीह के विचार उस समय के निरंकुश शासक पर नागवार गुजरे और उसने प्रभु पुत्र को सूली पर टांग कर हथेलियों में कीलें ठोंक दीं. इस यातना से यीशु के शरीर से प्राण निकल गये, मगर कुछ दिन बाद वह फिर जीवित हो उठे. ईसा के दोबारा जिंदा हो जाने की खुशी में ईस्टर मनाया जाता है.
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शांता क्लॉज लायेंगे बच्चों का उपहार
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