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इंटरनल सोर्स की राशि से होता है पांच शक्षिकों का भुगतान

इंटरनल सोर्स की राशि से होता है पांच शिक्षकों का भुगतान मामला राजा सिंह महाविद्यालय काशिक्षकों के 24 स्वीकृत पदों के एवज में 11 शिक्षक हैं कार्यरतप्रमुख विज्ञान विषय के शिक्षकों का पद है रिक्तवैकल्पिक शिक्षकों से होती है पांच विषयों की पढ़ाई1971 में बिहार विश्व विद्यालय मुजफफरपुर से संबद्ध हुआ था महाविद्यालयवर्तमान में 2416 […]

इंटरनल सोर्स की राशि से होता है पांच शिक्षकों का भुगतान मामला राजा सिंह महाविद्यालय काशिक्षकों के 24 स्वीकृत पदों के एवज में 11 शिक्षक हैं कार्यरतप्रमुख विज्ञान विषय के शिक्षकों का पद है रिक्तवैकल्पिक शिक्षकों से होती है पांच विषयों की पढ़ाई1971 में बिहार विश्व विद्यालय मुजफफरपुर से संबद्ध हुआ था महाविद्यालयवर्तमान में 2416 छात्र-छात्राएं हैं अध्ययनरतशिक्षकों के बारे में सेल्फ मैनेजमेंट की बात करता है जेपी विश्वविद्यालयफोटो: 01 राजा सिंह महाविद्यालय. 02 प्राचार्य उदय शंकर पांडे.सीवान . गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सपना लिए छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण करने जब महाविद्यालय पहुंच रहे हैं, तो उनका सपना चकनाचूर हो जा रहा है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कौन कहे, महाविद्यालय को प्रतिदिन अपनी ही समस्याओं से दो -चार होना पड़ रहा है. जिले का प्राथमिक विद्यालय हो या महाविद्यालय शिक्षकों की कमी उनके लिए प्रतिदिन की समस्या बन कर रह गयी है. आज एक ऐसे ही महाविद्यालय राजा सिंह कॉलेज की हम चर्चा कर रहे हैं, जहां विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकृत 24 शिक्षकों के पद में से मात्र 11 शिक्षक ही कार्यरत हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महाविद्यालय में प्रमुख विज्ञान विषय के शिक्षक ही नहीं हैं. महाविद्यालय में अंगरेजी,हिंदी, अर्थशास्त्र, इतिहास,साइकॉल्जी,राजनीति शास्त्र,भूगोल,उर्दू व संस्कृत के दो-दो पद स्वीकृत हैं. जबकि फिलॉसफी,भौतिक विज्ञान,रसायन शास्त्र,गणित,बॉटनी व जूलॉजी विषय के लिए एक एक शिक्षकों का पद स्वीकृत है. शिक्षकों की मानें तो शिक्षकों का स्वीकृत पद यूजीसी के मानक के अनुरूप नहीं है. महाविद्यालय में रसायन शास्त्र, गणित, जूलॉजी, इतिहास, संस्कृत व उर्दू विषय के शिक्षक ही नहीं हैं. महाविद्यालय प्रशासन द्वारा रसायन शास्त्र, गणित, जूलॉजी, इतिहास व फिलॉस्फी विषय के शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था कर पठन -पाठन का काम किया जाता है, जिनका पेमेंट महाविद्यालय प्रशासन द्वारा इंटर्नल सोर्स के माध्यम से किया जाता है. महाविद्यालय प्रशासन ने बताया कि विश्व विद्यालय से जब भी शिक्षकों की कमी के बारे में पत्र व्यवहार किया गया, वहां से सेल्फ मैनेजमेंट की बात कह कर पल्ला झाड़ दिया जाता है. वर्मतान समय में महाविद्यालय में कुल छात्रों की संख्या 24 सौ 16 है, जिसमें इंटर में 1450, स्नातक पार्ट वन में 735, पार्ट टू में 150 व पार्ट थ्री में 81 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. महाविद्यालय 1971 में सर्वप्रथम बिहार विश्व विद्यालय मुजफफरपुर से संबद्ध हुआ था. बाद में अस्तित्व में आये जय प्रकाश विश्व विद्यालय से संबद्ध हो गया. क्या कहते हैं अधिकारीसरकार व विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षकों की व्यवस्था नहीं करने के बावजूद स्थानीय व्यवस्था व शिक्षकों के आपसी सहयोग से छात्र-छात्रओं का पठन-पाठन जारी है. छात्र हित में महाविद्यालय प्रशासन तत्पर है. मेरा प्रयास सीमित संसाधन में इसे मॉडल महाविद्यालय बनाने का है. उदय शंकर पांडे, प्राचार्य, राजा सिंह महाविद्यलय,सीवान

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