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नहीं मिली राशि, आत्मदाह की धमकी

संवाददाता, जीरादेई पूर्व डीइओ व डीपीओ के मौखिक आदेश पर जीरादेई प्रखंड में केजीबीवी के लिए खरीदी गयी सामग्री के भुगतान के लिए अधिकारियों की चौखट का चक्कर काट रहे पूर्व लेखापाल ने आत्मदाह करने की धमकी दी है. उन्होंने 31 अक्तूबर को जनता दरबार में दिये गये आवेदन में इसका जिक्र किया है. मालूम […]

संवाददाता, जीरादेई

पूर्व डीइओ व डीपीओ के मौखिक आदेश पर जीरादेई प्रखंड में केजीबीवी के लिए खरीदी गयी सामग्री के भुगतान के लिए अधिकारियों की चौखट का चक्कर काट रहे पूर्व लेखापाल ने आत्मदाह करने की धमकी दी है. उन्होंने 31 अक्तूबर को जनता दरबार में दिये गये आवेदन में इसका जिक्र किया है. मालूम हो कि इस विद्यालय के संचालन के लिए पूर्व लेखापाल ने करीब 1.98 लाख रुपये के सामान की खरीदारी की थी, जिसका भुगतान अब तक लंबित पड़ा हुआ है. बता दें कि जीरादेई प्रखंड में वर्ष 2007 से फरवरी,2012 तक कस्तूरबा विद्यालय का संचालन एनजीओ द्वारा होता था. इसके बाद 19 फरवरी, 2012 में एनजीओ से हटा कर इसका प्रभार विद्यालय शिक्षा समिति को सौंप दिया गया. इसकी जिम्मेदारी लेखापाल धनंजय कुमार को दी गयी. 31 अक्तूबर को जनता दरबार में दिये गये आवेदन में तत्कालीन लेखापाल ने लिखा है कि केजीबीवी के संचालन का पूर्व डीपीओ नंद किशोर सिंह व डीइओ राधा कृष्ण सिंह यादव ने मुङो मौखिक आदेश दिया था. आदेश के बाद मैंने खरीदारी की. इस क्रम में मुङो जून व जुलाई का भुगतान कर दिया गया, लेकिन शुरू में केजीबीवी के संचालन के लिए अप्रैल व मई में करीब एक लाख 98 हजार 66 रुपये के सामान की खरीदारी का भुगतान नहीं किया गया.

मार्च, 2012 में ही डीपीओ नंद किशोर सिंह ने अमरेंद्र कुमार गौड़ को डीपीओ का प्रभार दिया. मैंने पूर्व डीपीओ के मौखिक आदेश पर की गयी खरीदारी के बारे में उन्हें लिखित जानकारी दी. लेकिन उनके द्वारा भी कुछ नहीं किया गया. विरोध करने पर उन्होंने मुझसे एक लाख रुपये की मांग करते हुए भुगतान करने की बात कही. लेकिन मैंने मना कर दिया. इसके बाद मुङो सितंबर माह में लेखापाल पद से भी हटा दिया गया. इसके बाद पैसे के भुगतान के लिए चक्कर काटता रहा. थक हार मैंने आठ अगस्त, 2012 को एक लिखित आवेदन तत्कालीन डीएम, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सर्व शिक्षा अभियान को दिया. इसके बाद भी भुगतान नहीं हो सका. इधर विद्यालय के संचालन के लिए मेरे द्वारा जिन दुकानों से सामान की खरीदारी की गयी थी, वह मुझ पर पैसे का भुगतान करने का दबाव बना रहे हैं. मेरे पास अब आत्मदाह कर लेने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है. जनता दरबार में दिये गये आवेदन की तय शुदा तिथि से पहले अगर भुगतान नहीं किया गया तो 25 नवंबर को डीएम कार्यालय के समक्ष आत्मदाह कर लूंगा.

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