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दो दशक बाद भी नहीं टपका एक बूंद पानी

दो दशक बाद भी नहीं टपका एक बूंद पानी अनुपयोगी बना जलापूर्ति केंद्रनिर्माण पर खर्च हुए करीब 18 लाख रुपयेफोटो- 13- जलापूर्ति केंद्र. बड़हरिया . प्रखंड मुख्यालय के प्रखंड मैदान के पूर्वी छोर व आइवी के बीच स्थित जलापूर्ति केंद्र प्रखंडवासियों के लिए नाकारा बना हुआ है. विदित हो कि 2001 में निर्मित इस जलापूर्ति […]

दो दशक बाद भी नहीं टपका एक बूंद पानी अनुपयोगी बना जलापूर्ति केंद्रनिर्माण पर खर्च हुए करीब 18 लाख रुपयेफोटो- 13- जलापूर्ति केंद्र. बड़हरिया . प्रखंड मुख्यालय के प्रखंड मैदान के पूर्वी छोर व आइवी के बीच स्थित जलापूर्ति केंद्र प्रखंडवासियों के लिए नाकारा बना हुआ है. विदित हो कि 2001 में निर्मित इस जलापूर्ति केंद्र के नलों से अब तक एक बूंद पानी नहीं टपक पाया है. दरअसल इस जलापूर्ति केंद्र के निर्माण दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गयी व घटिया सामग्री का उपयोग किया गया था. नतीजतन निर्माण के कुछ दिन बाद ही जलापूर्ति केंद्र नाकारा हो गया था. गौरतलव है कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के तत्वावधान ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अंतर्गत 30 मई ,2001 को इस जलापूर्ति केंद्र का उद्घाटन तत्कालीन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रमा देवी ने किया था. हालांकि इसका शिलान्यास 14 जनवरी, 1996 में हुआ था. करीब 18 लाख रुपये प्राक्कलित राशि से निर्मित यह जलापूर्ति केंद्र बाजारवासियों को एक बूंद पानी पिलाने में भी विफल है. दरअसल एक किलोमीटर परिधि में बाजारवासियों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से निर्मित इस जलापूर्ति केंद्र के नल बनने के कुछ दिन बाद ही ढह गये थे. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के गेट व थाना चौक पर बने नलों का नामोंनिशान तक मिट चुका है. अब केवल प्रखंड मैदान में उतरी छोर पर प्रखंड मार्ग में महज एक नलका ही काम कर पाता है. वहां भी नलका सही सलामत नहीं है. मजे की बात है कि जब भी जलापूर्ति केंद्र चालू किया जाता है. पानी यत्र-तत्र बिखरने लगता है व सड़क पर जलजमाव हो जाता है. वैसे जिस ट्रांसफॉर्मर से इस जलापूर्ति केंद्र का कनेक्शन है, उस पर लोड भी बहुत ज्यादा है. नतीजतन लो वोल्टेज के कारण मशीन चालू नहीं हो पाती है. यदि मशीन चालू भी हो गयी तो इस केंद्र के जल का सदुपयोग नहीं हो पाता है. दरअसल इस जलापूर्ति केंद्र के निर्माण के दौरान पाइप बिछाने में अनियमितता बरती गयी थी, जहां पाइप जोड़े गये थे, वहीं से पानी बाहर निकलने लगता है. बहरहाल 18 लाख रुपये प्राक्कलित राशि से निर्मित जलापूर्ति केंद्र अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाया है. स्थानीय महताब खान, कमरान खान, महीकुल खान, शकील खान, सुशील कुमार आदि का कहना है कि यह जलापूर्ति केंद्र अनुपयोगी बन कर रह गया है, जबकि बड़हरिया बाजार में आये लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ता है.

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