सीवान : बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर जिले के सरयू नदी व अन्य नदियों के तट पर स्नान दान के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. जिले के दरौली, रघुनाथपुर में सरयू नदी तथा गुठनी में गंडकी नदी के तट पर स्नान के लिए मंगलवार की रात से ही श्रद्धालु उमड़ने लगे थे. इस मौके पर इन घाटों पर मेले का भी आयोजन किया गया था.
घाटों पर बैरिकेडिंग व अन्य सुरक्षात्मक प्रबंध किये गये थे. सुबह स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु,सूर्य व भगवान शिव एवं माता गंगा की अाराधना की और इच्छित दान भी किया. कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान व दान का विशेष महत्व माना जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा कही जाती है.भरणी नक्षत्र होने पर विशेष रूप से फलदायी होती है और रोहिणी नक्षण होने पर इसका महत्व बहुत ही अधिक बढ़ जाता है.
विष्णु भक्तों के लिए यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन संध्याकाल में भगवान विष्णु का प्रथम अवतार मत्स्यावतार हुआ था. भगवान को यह अवतार वेदों, प्रलय के अंत तक सप्त ऋ षियों, अनाजों एवं राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था. इस तिथि को ब्रह्मा,विष्णु, शिव,अंगिरा और आदित्य आदि का दिन भी माना जाता है. इस दिन किये जाने वाले स्नान, दान, हवन, यज्ञ व उपासना का अनंत फल प्राप्त होता है. इस दिन सत्यनारायण की कथा सुनी जाती है.
सायंकाल में देवालयों, मंदिरों, चौराहों और पीपल व तुलसी वृक्ष के पास दीये जलाये जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर चूंकि जलाशय में स्नान का विशेष महत्व है, तो इस दिन नदियों किनारे बडी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर स्नान करते हैं और श्री हरि का स्मरण करते हैं.
कुछ इस तरह आये दुनिया में धर्म : गंगा,यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरु क्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा भी कहा जाता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी पर भगवान विष्णु चार मास के लिए योगनिद्रा में लीन होते हैं तो फिर वे कार्तिक शुक्ल एकादशी को उठते हैं और पूर्णिमा से वे कार्यरत हो जाते हैं.
यही वजह है कि दीपावली को लक्ष्मीजी का पूजन बिना विष्णुजी के श्रीगणेश के साथ किया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन जो भी दान किया जाता है उसका कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दिन अन्न, धन व वस्त्र दान का विशेष महत्व है.
मान्यता तो यह भी है कि इस दिन व्यक्ति जो भी दान करता है वह मृत्युपरांत स्वर्ग में उसे प्राप्त होता है. सभी सुखों व ऐश्वर्य को प्रदान करने वाली कार्तिक पूर्णिमा को की गयी पूजा और व्रत के प्रताप से हम ईश्वर के और करीब पहुंचते हैं. इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा से प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है. शिवजी के अभिषेक से स्वास्थ्य और आयु में बढ़ोतरी, दीपदान से भय से मुक्ति और सूर्य आराधना से लोकप्रियता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
पूर्णिमा पर शिव हुए त्रिपुरारि : कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का अंत किया था और भगवान विष्णु ने उन्हें त्रिपुरारि कहा था. इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है.
इस दिन चंद्रमा उदय के समय शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छह कृतिकाओं का पूजन करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं. इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान का फल मिलता है.
वहीं सिख संप्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन सिख संप्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. नानकदेव सिखों के पहले गुरु हैं. इस दिन सिख संप्रदाय के अनुयायी सुबह गुरुद्वारे जाकर गुरु वाणी सुनते हैं. इसे गुरु पर्व भी कहा जाता है.
हसनपुरा संवाददाता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर प्रखंड के उसरी बुजुर्ग, हसनपुरा,अरंडा, पियाउर, धनौती व झौवा सहित अन्य गांवों के हजारों श्रद्धालु महिला-पुरुषों ने बाण गंगा ,दहा नदी में डुबकी लगायी और दान दिया.
दरौंदा संवाददाता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बुधवार को हजारों श्रद्धालुओं ने दरौंदा प्रखंड मुख्यालय स्थित रामजानकी मंदिर सहित बगौरा, लीलासाह के पोखरा, जलालपुर, भीखाबांध, रामगढ़ा, शेरपुर, रमसापुर, सहित विभिन्न गांवों के तालाबों के घाटों पर डुबकी लगाई व स्नान के बाद पूजा-पाठ कर दान-दक्षिणा दी.